हिमाचल चुनाव में बड़ा सवाल : क्या वोटर्स पर असर डालेंगे शक्ति प्रदर्शन या चुनावी रैलियां…!

शिमला, 26 अक्टूबर : हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान शक्ति प्रदर्शन का दौर भी चला है। मंगलवार को नामांकन दाखिल करने के अंतिम दिन भी राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के अलावा आजाद उम्मीदवार शक्ति प्रदर्शन में कोई कोर कसर नहीं रखना चाहते थे।

कांग्रेस व भाजपा से बगावत करने वाले भी भीड़ जुटाकर ताकत का अहसास करवाने में जुटे हुए हैं, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या शक्ति प्रदर्शन या फिर नेताओं की रैली में भीड़ जुटाने का फार्मूला मतदाताओं को रिझाने सफल होगा या नहीं। इस बारे राजनीतिक विश्लेषकों की अलग-अलग राय है। एक राय के मुताबिक भीड़ व शक्ति प्रदर्शन मतदाताओं को प्रभावित नहीं करेगा, बल्कि इसकी बजाय मतदाताओं के जहन में स्थानीय मुद्दे हावी रह सकते हैं।

चुनावी रैलियों में बसों की बुकिंग भी मतदाताओं में नेगेटिव असर डालती है, क्योंकि इससे रोजाना सफर करने वालो को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

केंद्रीय नेताओं को बेशक की राजनीतिक दलों ने स्टार प्रचारक बना दिया है, लेकिन स्थानीय स्तर पर मतदाता अपने ही नेताओं की बात को ही प्राथमिकता दे सकते हैं। अलबत्ता यह जरूर है कि भीड़ के लिए चुनावी रैलियां एक मनोरंजन का साधन बन जाती है, इसकी वजह यह है कि रैली स्थल तक पहुंचने के लिए लोगों की एक पिकनिक भी हो जाती है, इसमें ट्रांसपोर्टेशन से लेकर खाने पीने की व्यवस्था होती है।

  उधर एक तर्क यह भी है कि शक्ति प्रदर्शन के जरिए मतदाताओं पर छाप छोड़ी जा सकती है गौर करने वाली बात यह है कि शक्ति प्रदर्शन के बाद अक्सर ही लोग यह बात करते नजर आते हैं कि उस प्रत्याशी की रैली में इतनी भीड़ थी। यानी प्रत्याशियों की रैलियों में जुटी भीड़ की तुलनात्मक चर्चा भी होती है।

खैर, 8 दिसंबर 2022 की सुबह 9:00 बजे तक इस बात के ट्रेंड मिलने शुरू हो जाएंगे कि आखिर मतदाता किस राजनीतिक दल अथवा प्रत्याशी की बात पर भरोसा जता रहे हैं।