Bihar News : तीन हफ्ते की जान और खून में ‘जहर’, पटना एम्स के डॉक्टरों ने ऐसे बचा ली जान

Bihar News in Hindi : बिहार में पटना एम्स के डॉक्टरों ने चिकित्सा जगत में एक तरह से चमत्कार कर दिखाया है। यहां तीन हफ्ते का एक ऐसा शिशु लाया गया था जिसे मेटाबोलिज्म की जन्मजात दुर्लभ बीमारी थी। आखिर में बच्चे के डायलिसिस का फैसला लिया गया। इस फैसले ने शिशु की जान बचा दी।

 
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News About पटना: एम्स पटना के डॉक्टरों ने चिकित्सा जगत में एक नया मुकाम हासिल किया है। यहां एक नवजात शिशु विभाग में मेटाबोलिज्म के संदिग्ध जन्मजात बीमारी का कठिन मामला सामने आया। इसके बाद तीन हफ्ते के बच्चे का सफलतापूर्वक इलाज किया गया। 3 सप्ताह के बीमार नवजात शिशु को उल्टी, सुस्ती, तेजी से बिगड़ती मानसिक स्थिति और हाइपरअमोनेमिया के इलाज लिए एक निजी अस्पताल से एम्स पटना रेफर किया गया था। उच्च रक्त अमोनिया का स्तर एक बच्चे के लिए जानलेवा हो सकता है। ये बच्चे के दिमाग को नुकसान पहुंचा सकता है। चूंकि बच्चे में अमोनिया का स्तर बहुत अधिक था, इसलिए एम्स पटना में नियोनेटोलॉजी टीम ने पेरिटोनियल डायलिसिस का निर्णय लिया । पेरिटोनियल डायलिसिस 3 दिनों तक जारी रखा गया, जिसके बाद रक्त अमोनिया सामान्य स्तर पर आ गया। एम्स पटना में किसी नवजात शिशु में यह प्रक्रिया पहली बार की गई।

दुलर्भ बीमारी से बचाई गई 3 हफ्ते के शिशु की जान

यह एक जोखिम भरी प्रक्रिया थी क्योंकि इसमें पेट में कैथेटर डालना शामिल था, लेकिन यह आवश्यक और जीवनरक्षक था। टीम में कंसल्टेंट नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ भावेश, डॉ रामेश्वर, डॉ सौरभ, डॉ केशव, डॉ रिची और रेजिडेंट डॉ पुलक, डॉ संजीव, डॉ जनारथनन और डॉ श्रेया शामिल थे। इस प्रक्रिया की मदद से अमोनिया के स्तर को तेजी से कम किया जा सकता है। आनुवंशिक विश्लेषण से पता चला कि नवजात शिशु को प्रोपियोनिक एसिडमिया नामक दुर्लभ जन्मजात बीमारी है। बच्ची को विशेष कम प्रोटीन वाले आहार पर शुरू किया गया, जिस पर उसकी स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हुआ और 3 हफ्तों के बाद उसे अस्पताल से सफलतापूर्वक छुट्टी दे दी गयी।