रिपोर्ट: अंकित कुमार सिंह
सिवान. कहते हैं न आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है. इस बात को साबित किया है सिवान की प्रज्ञा ने. प्रज्ञा कुमारी का चयन इंस्पायर अवार्ड दिल्ली के लिए हुआ है. जिसको लेकर उनके परिजनों में काफी खुशी है. प्रज्ञा कुमारी मूल रूप से सिवान के जीरादेई प्रखंड के जामापुर पंचायत की रहने वाली हैं. उसके पिता एक सरकारी शिक्षक हैं. प्रज्ञा कुमारी ने 14 वर्ष की उम्र में ही कैप ओपनर का अविष्कार किया था. जिसके पश्चात उनका चयन अब इंस्पायर अवार्ड दिल्ली के लिए हुआ है.
प्रज्ञा दिल्ली के लिए रवाना हो गई हैं जहां वो इंस्पायर वार्ड द्वारा आयोजित समारोह में भाग लेंगी. समारोह में प्रज्ञा कुमारी के अलावा इंस्पायर अवार्ड में चयनित अन्य छात्र भी शामिल होंगे. प्रज्ञा को इंस्पायर अवार्ड में एक लाख का इनाम दिया जाएगा. साथी ही पढ़ाई की बेहतरीन सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी.
प्रज्ञा ने बनाया कैप ओपनर
14 साल की उम्र में किया आविष्कार
प्रज्ञा एक दिन दवा की बोतल का ढक्कन खोलने की कोशिश कर रही थी. इसी दौरान बोतल का ढक्कन तेजी से घूम गया. ढक्कन के तेजी से घूमने की वजह से बोतल जमीन पर गिर गई और ढक्कन टेढ़ा हो गया. साथ ही प्रज्ञा के हाथ में मोच आ गई. हाथ में मोच आने से प्रज्ञा को दर्द होने लगा जिससे वह रोने लगी. हालांकि उसने हार नहीं मानी. उसे विचार आया कि क्यों ना मैं ढक्कन खोलने का कोई औजार बनाऊ. जिससे ढक्कन भी टेढ़ा ना हो, बॉटल भी खुल जाए और हाथ में भी झटका ना लगे. इसके बाद वह सीमित संसाधनों की बदौलत बोतल के ढक्कन को खोलने के लिए संसाधनों का जुगाड़ करने लगी. कड़ी मशक्कत व मेहनत की बदौलत एक महीने में कैप ओपनर बनकर तैयार हुआ. उसमें अलग-अलग ढक्कन के आकार के ढांचे वाला कैप ओपनर बनाया.
कैप ओपनर का फायदा
प्रज्ञा कुमारी ने बताया कि हम लोग अक्सर बोतल के ढक्कन को हाथ से या चाकू से रेतकर खोलते हैं. जिससे हाथ कटने का एवं बोतल का ढक्कन खराब होने का डर बना रहता है. कभी-कभी हाथ में झटका भी लग जाता है. इन्हीं सब से बचाव के लिए हाथ में किसी प्रकार की दिक्कत ना आए और बोतल का ढक्कन भी खराब ना हो, इसलिए एक कैप ओपनर को बनाया है. इस कैप ओपनर में अलग-अलग ढक्कन के आकार का ढांचा है जिसमें बोतल के ढक्कन को फंसा कर हैंडल में लगी नुकीली चीज को टाइट कर दिया जाता है. साथ ही ढक्कन को चारों ओर घुमा दिया जाता है. जिससे ढक्कन का लॉक टूट जाता है और वह आसानी से खुल जाता है.
मध्यवर्गीय परिवार से आती हैं प्रज्ञा
सिवान जिले के जीरादेई प्रखंड के जामापुर पंचायत के रुइया गांव की रहने वाली 14 वर्षीय प्रज्ञा कुमारी के पिता राजीव कुमार सिंह एक सरकारी शिक्षक हैं, जो राजकीय मध्य विद्यालय जमापुर उर्दू में कार्यरत हैं. वहीं माता ग्रहणी हैं. प्रज्ञा की प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा जामापुर सरकारी विद्यालय से ही हुई है. वह अपने पिता के विद्यालय में ही पहली कक्षा से पढ़ते आ रही हैं. वर्तमान में 8वीं कक्षा की छात्रा हैं. वह मध्यवर्गीय परिवार से हैं.
साइंटिस्ट बनने की चाहत
जीरादेई बीआरसी कार्यालय के पूर्व बीआरपी व शिक्षक प्रेम किशोर पांडेय ने बताया कि प्रज्ञा मेघावी एवं होनहार छात्रा है. वह शुरू से ही पढ़ने में तेज-तर्रार है. उसे साइंटिस्ट बनने की इच्छा है. उसने 14 वर्ष की उम्र में ही कैप ओपनर का आविष्कार किया जो हम सब के लिए हर्ष की बात है. उसे सरकारी मदद मिलती है तो वह साइंटिस्ट बन सिवान सहित भारत का नाम रोशन करेगी.
जानिए क्या है इंस्पायर अवार्ड
इंस्पायर अवार्ड भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है. इसे इनोवेशन इन साइंस परस्यूट फॉर इंस्पायर्ड रिसर्च'(इंस्पायर) कहा जाता है. यह योजना विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी),भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है. INSPIRE अवार्ड्स -MANAK (मिलियन माइंड्स ऑगमेंटिंग नेशनल एस्पिरेशंस एंड नॉलेज), DST द्वारा नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन – इंडिया (NIF), DST की एक स्वायत्त संस्था के साथ निष्पादित किया जा रहा है. जिसका उद्देश्य 10-15 वर्ष के आयु वर्ग के छात्रों को प्रेरित करना और अध्ययन करना है.
कक्षा 6 से 10 में योजना का उद्देश्य स्कूली बच्चों में रचनात्मकता और नवीन सोच की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान और सामाजिक अनुप्रयोगों में निहित 10 लाख मूल विचारों,नवाचारों को लक्षित करना है.