सिताब दियारा से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिहार की जनता को सीधा संदेश देने की कोशिश की। साथ ही उन्होंने लोकनायक जयप्रकाश नारायण के ‘राजनीतिक चेलों’ को भी नसीहत दी। गृहमंत्री अमित शाह ने नीतीश कुमार और लालू यादव दोनों ही नेताओं को अपने निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि बिहार के विकास में सबसे बड़ी बाधा राजनीति का अपराधीकरण है। अमित शाह सीधे-सीधे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर लिया।
पटना : लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जन्मभूमि से भाजपा के रणनीतिकार अमित शाह ने जेपी के ‘चेलों’ को जेपी के ही तीर से ‘मारने’ का आगाज कर डाला। धीरे-धीरे भाजपा नेता अमित शाह का बिहार आगमन का स्वर चुनावी होता जा रहा है, भले अभी चुनाव में लगभग दो साल शेष है। राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो आगामी लोकसभा चुनाव में बिहार की भूमिका को अमित शाह ने बखूबी समझ लिया है। कहा तो ये जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरी बार पीएम की कुर्सी सौंपने के ख्याल से उनका एक पांव अब बिहार ही रहने वाला है। पिछले 17 दिनों में अमित शाह का दो बार बिहार आगमन इस संभावना को गवाही देता दिख रहा है।
बिहार में सियासत का लिटमस टेस्ट?
अगर ऐसा हो रहा है तो भाजपा के रणनीतिकार के लिए इसकी वजह भी है। दरअसल, पीएम नरेंद्र मोदी को अपदस्थ करने की लड़ाई बिहार की धरती से शुरू हुई है। मोदी सरकार के विरुद्ध विपक्षी एकता की मुहिम भी शुरू हुई है तो उसका केंद्र बिंदु बिहार बना हुआ है। इस विपक्षी एकता के नायक बन कर उभारे हैं तो वे हैं लालू प्रसाद और नीतीश कुमार। सो, अपने विरुद्ध उठती आवाज के विरुद्ध खड़े होने का साहस रखते भाजपा ने भी पूरे हिंदी बेल्ट के लिए बिहार को ही प्रक्षेपण स्थल मानते आगामी लोकसभा का शंखनाद भी कर डाला है।
अमित शाह ने चलाए जेपी के तीर
महागंठबंधन की सरकार बनने के बाद दूसरी बार बिहार आए अमित शाह ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जयंती के बहाने राज्य में बनी नई राजनीतिक जोड़ीदार लालू प्रसाद और नीतीश कुमार पर जम कर तीर चलाए। लोकनायक के सिद्धांतों को सामने रख अमित शाह ने नीतीश कुमार और लालू प्रसाद की सही तस्वीर रखते राज्य की जनता को भी आगाह किया। उन्होंने साफ कहा कि जेपी के जिन चेलों ने कांग्रेस से देश को मुक्ति दिलाने का संघर्ष किया था, आज कुर्सी के खातिर कांग्रेस की गोद में बैठ गए हैं। अमित शाह ने राज्य की जनता को इस बात से भी आगाह कराया कि जेपी ने जिसे राजनीति को अपराधीकरण से बचाने की जिम्मेवारी सौंपी थी, आज उसी के कैबिनेट में अपराधी भरे पड़े हैं।
इस प्लान पर काम कर रही बीजेपी
भाजपा के अंदरूनी स्रोतों से मिली जानकारी के अनुसार वो हर उस क्लिपिंग, तस्वीर या वीडियो की तलाश में जुटी है, जिसे दिखाकर नीतीश कुमार को राजनीति में अपराधीकरण का जिम्मेदार बताया जा सके। प्रचार प्रसार के इस अभियान उन सारे तथ्यों का प्रकटीकरण किया जाना है कि कब-कब अपराधियों की वैशाखी से नीतिश कुमार चुनावी वैतरणी पार करते रहे।
बहरहाल, अमित शाह के लगातार दूसरी बार बिहार आने का मकसद साफ दिखने लगा है। हमलावर बने अमित शाह ने नीतीश और लालू प्रसाद के हर उस पहलू को उभारने की कोशिश कि जो उनके चेहरे के रंग उड़ा दे। मेरी कमीज से तुम्हारी कमीज सफेद कैसे? ये जंग बिहार में अब जारी हो चुकी है।