Bihar Politics: महागठबंधन की सरकार में शामिल राजद में सियासी रस्साकस्सी जारी है। प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह असहज बताये जा रहे हैं। स्थिति ऐसी है कि उन्होंने कार्यालय जाना बंद कर दिया है। साथ ही लालू यादव से उन्होंने इस्तीफे की पेशकश कर दी है। अब लालू यादव उनसे मुलाकात करेंगे और जगदानंद सिंह को मनाएंगे। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि नीतीश-लालू की करीबी से जगदानंद सिंह परेशान हैं। क्या है पूरी कहानी पढ़िए इस रिपोर्ट में।
पटना : बिहार की राजनीति में जब सियासी रिश्तों की कहानी लिखी जाएगी, तो उसमें दो नाम जरूर होंगे। एक राजद सुप्रीमो लालू यादव का। दूसरा राजद के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का। राजनीति की रपटीली राहों पर ये दोनों नेता संतुलन के साथ चलते रहे और रिश्ते की तासीर को जिंदा रखा। पार्टी स्थापना के बाद से लगातार 12वीं बार राजद की कमान संभाल रहे लालू अभी सहज ही हो रहे थे। तबतक जगदानंद सिंह के इस्तीफे की चर्चा ने उन्हें भी असहज कर दिया। लालू यादव अपनी पार्टी में दो लोगों को सबसे ज्यादा सम्मान देने के लिए जाने जाते रहे हैं। उनमें स्व. रघुवंश प्रसाद सिंह और जगदानंद सिंह का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
लालू के खासे करीबी हैं जगदानंद सिंह
समाजवादी राजनीति की सरोकार वाले रास्ते पर चलने वाले जगदानंद सिंह बहुत पहले से लालू के करीबी हैं। महागठबंधन की सरकार से बेटे और पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के इस्तीफे के बाद से जगदानंद सिंह उदास हैँ। हालांकि, राजनीति में उदासी की चर्चा ज्यादा नहीं होती। लेकिन, यदि नेता किसी बात से व्यथित हो जाएं, तो वो सियासी चर्चा बन जाती है। जगदानंद सिंह के बारे में कहा जा रहा है कि वे सुधाकर सिंह प्रकरण के बाद व्यथित हैं। सियासी जानकार इसके पीछे सबसे बड़ा कारण लालू-नीतीश की बढ़ती करीबी को मानते हैं। जिसकी वजह से जगदानंद सिंह असहज हैं।
लालू-नीतीश की करीबी से परेशानी !
जगदानंद सिंह लालू यादव के नीतीश के करीब जाने से परेशान हैं। उन्होंने पहले भी लालू के नीतीश के साथ जाने के पक्षधर नहीं रहे हैं। इससे पूर्व भी जब कभी तेजस्वी और नीतीश के बीच रिश्ते में प्रगाढ़ता आई। जगदानंद सिंह कटु बयान देने से नहीं चूके। वहीं जब-जब तेजस्वी ने नीतीश पर हमला बोला। जगदानंद सिंह खुशी से तेजस्वी के पक्ष में बयान देते रहे। सियासी चर्चा है कि इस्तीफे की चर्चा के बीच लालू यादव ने जगदानंद सिंह को दिल्ली तलब किया है। दोनों नेताओं की दिल्ली में विशेष मुलाकात होनी है। हालांकि, जगदानंद अभी तक दिल्ली नहीं जा सके हैं। उनकी ट्रेन छूट गई है। राजद से जुड़े सूत्रों की मानें, तो लालू का टारगेट अभी 2024 है। इसलिए वे जगदानंद सिंह को छोड़ेंगे नहीं। उन्हें मनाएंगे। संभावना ये भी है कि लालू के कहने पर जगदानंद सिंह मान भी जाएं।
जगदानंद सिंह ऐसा क्यों कर रहे हैं !
हालांकि, राजद के नेताओं के मन में ये सवाल भी तैरने लगा है कि राजद सुप्रीमों के पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा से ठीक पहले जगदानंद सिंह ने ऐसा कदम क्यों उठाया ? चर्चा होगी, तो ये बात भी निकलेगी कि सुधाकर सिंह का इस्तीफा किन परिस्थितियों में हुआ। हालांकि, ये भी कहा जा रहा है कि सुधाकर सिंह का इस्तीफा जगदानंद सिंह खुद तेजस्वी के पास लेकर गए थे। लेकिन, ये कदम उन्होंने नाराज होकर बेमन से उठाया था।
जगदानंद सिंह का पार्टी में कद बड़ा है
राजद में जगदानंद सिंह का कद स्व. रघुवंश प्रसाद सिंह के नहीं रहने के बाद लगातार बढ़ा है। उनका प्रदेश अध्यक्ष दोबारा चुना जाना इस बात का सबूत है। जगदानंद सिंह अभी पार्टी के सबसे बड़े सवर्ण और ठाकुर चेहरे के रूप में आगे हैं। जगदानंद सिंह का नीतीश कुमार से वैचारिक विरोध काफी पुराना है। नीतीश और जगदानंद कभी लालू के बहुत करीबी थी। दोनों नेता पहली बार 1985 में विधायक बनें। कहा जाता है कि नीतीश और जगदानंद को आस-पास ही सरकारी आवास भी मिला था। दोनों ने मिलकर लालू को बिहार में नेता प्रतिपक्ष बनवाया था। लालू को मुख्यमंत्री बनाने के लिए जगदानंद सिंह और नीतीश कुमार ने साथ-साथ अभियान शुरू किया। उसके बाद नीतीश कुमार ने अलग होकर समता पार्टी बनाई। लालू के चारा घोटाले में जेल जाने के बाद जगदानंद सिंह राबड़ी सरकार में सबसे ताकतवर मंत्री के रूप में सामने आए। तभी से नीतीश और उनका रास्ता अलग हो गया था।
2015 में स्थिति कुछ अलग थी
सियासी जानकारों की मानें, तो 2015 में स्थिति अलग थी। लालू यादव महागठबंधन के खिलाफ स्व. रघुवंश प्रसाद सिंह की बयानबाजी रोक नहीं पाते थे। इस बार वैसा नहीं है। लालू यादव के साथ तेजस्वी भी हैं। पार्टी का लक्ष्य 2024 है। इसे लेकर लालू और नीतीश दोनों गंभीर हैं। लालू यादव ने इसे ध्यान में रखकर जगदानंद सिंह को दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। लेकिन, बेटे सुधाकर इस्तीफे और उस दौरान जेडीयू नेताओं की प्रतिक्रिया से आहत जगदानंद ने इस्तीफे का प्रस्ताव दे दिया है। जगदानंद सिंह महागठबंधन को लेकर असहज हैं और बेटे का इस्तीफे ने आग में घी डालने का काम किया है।
नीतीश कुमार से रिश्ता काफी पुराना
आपको जानकर हैरानी होगी कि वर्तमान में नीतीश और लालू के करीब आने से खफा हो रहे जगदानंद सिंह का रिश्ता नीतीश कुमार से काफी गहरा था। जगदानंद सिंह ने नीतीश कुमार की बहन की शादी में अगुवाई की थी। पहले जगदानंद सिंह नीतीश के काफी करीबी थी। हालांकि, बाद में जब दोनों के रिश्तों में खटास आई, तब जगदानंद सिंह नीतीश कुमार से चिढ़ गए। वहीं,नीतीश कुमार ने जगदानंद से बदला लेने के लिए बीजेपी से कहकर उनके बेटे सुधाकर सिंह को रामगढ़ से टिकट दिला दिया। इसके बाद भी जगदानंद ने बेटे के खिलाफ प्रचार कर नीतीश को दिखाया कि उनके लिए राजद कितना महत्वपूर्ण है।