Bihar Politics: अमित शाह की जुबान पर चढ़े ललन सिंह ‘प्रवक्ता’ बनकर खुश हैं! बदले-बदले जेडीयू अध्यक्ष की रणनीति भी जान लीजिए

Lalan Singh News: पूर्णिया रैली में अमित शाह ने ललन सिंह का नाम क्या ले लिया, अचानक उनके व्यवहार में परिवर्तन आ गया। कहा तो ये भी जा रहा है कि अमित शाह ने ललन सिंह का नाम लेकर बिहार की राजनीति को संजीवनी दे दी है।

रमाकांत चंदन, पटना: राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह (Lalan Singh) पहले ऐसे तो न थे। मौन उनकी राजनीति की ताकत रही थी और गाहे बेगहे नपा तुला बोलना उनकी राजनीति की खूबसूरती। पर अचानक से जैसे करिश्मा हो गया। इतना बोलने लगे कि प्रवक्ताओं की कोई भूमिका ही नहीं रही। सारे प्रवक्ता जैसे बेरोजगार हो गए। अब जब बोलने की कमान राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने संभाल लिया तो भला प्रवक्ताओं की बिसात ही क्या ? राजनीतिक गलियारों में यह अचंभित करने जैसा ही था कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को ज्यादा मजा प्रवक्ता की भूमिका में आ रहा है। क्या मोदी क्या आरसीपी अकेले ही लगे पांच मारने। उधर से बयान गिरा नहीं कि कैच करने को ललन सिंह आतुर और फिर पलटवार।

अमित शाह ने नाम क्या लिया ?
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा छिड़ी है कि भाजपा के द्वारा आयोजित गत सप्ताह पूर्णिया रैली में अमित शाह (Amit Shah) ने ललन सिंह का नाम क्या ले लिया, अचानक ललन सिंह के व्यवहार में परिवर्तन आ गया। कहा तो जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव 2024 तक के लिए अमित शाह ने ललन सिंह का नाम लेकर बिहार की राजनीति को संजीवनी दे दी है। और फिर उभरा ललन सिंह के प्रवक्ता वाली तेवर। किसी का बयान आया नहीं की उनकी तरफ से बयान देना चालू।
मोदी बनाम ललन सिंह
इन दिनों ललन सिंह और सुशील मोदी (Sushil Modi) एक दूसरे के लिए ‘हिट मी’ बन गए हैं। मोदी ने ललन सिंह से कई सवाल पूछ डाले। सवालों के क्रम में सुशील मोदी ने पूछ डाला कि चारा घोटाल का पीआईएल किसने दायर किया। चारा घोटाला का कागज किसने सीबीआई को उपलब्ध कराया। आईआरसीटीसी घोटाला ( IRCTC Scam ) का कागज पीएम रहे डॉ मनमोहन सिंह और सीबीआई को किसने पहुंचाई। ऐसे कई सवाल का जवाब लेकर खुद ललन सिंह सामने आ गए। देखिए सुशील मोदी एक तरह से 2022 के बाद निराश हताश और बेरोजगार हो गए हैं। 2022 में उप मुख्यमंत्री पद से हट गए तो खुद को बेरोजगार और तिरस्कृत महसूस कर रहे हैं। ऐसे में विरोध करने का खुल्ला मौका मिला है तो करने दीजिए। उन्हे केंद्रीय नेतृत्व स्वीकार कर और कोई पद मिल जाए तो हमे भी हताश निराश मोदी के लिए खुशी ही होगी। लगता है कि प्रदेश अध्यक्ष बनेंगे सुशील मोदी। 15 वर्ष पहले प्रदेश अध्यक्ष बने मोदी को यह बयान इतना नागवार गुजरा कि वे बोल उठे कि शीघ्र ही ललन सिंह मुंगेर के जिला अध्यक्ष बनेंगे।

ललन सिंह बनाम आरसीपी
नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह में राजनीतिक जंग क्या छिड़ गई,ललन सिंह खुद हमलावर अंदाज में आकर आरसीपी को राजनीति का ककहरा सीखाने लगे। हमले को मुख खोलते ललन सिंह यह कह डाले कि अधिकारी थे न, आरसीपी राजनीति किससे सीखी। ए बी सी आता था। उनकी अंतिम इच्छा थी मंत्री बनना और वे बन गए। राजनीति के आड़े साजिश रच रहे थे। पार्टी तोड़ने का सपना देख रहे थे। और अब खुद ही टूट गए।

लालू नाम केवलम
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और ललन सिंह के रिश्ते राजनीतिक जगत में काफी चर्चा में रहा है। नोक झोंक की बानगी और बयानों की कटुता इतनी की दुश्मन भी शर्मा जाए। लेकिन महागंठबंधन की सरकार बनने के बाद लालू प्रसाद के घर गए तो वे काफी सहज दिखे। लालू प्रसाद एंड फैमिली के साथ तस्वीरें वायरल की और बाहर निकले तो पत्रकारों का कहा कि लालू जी से आशीर्वाद लेने गए कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को बिहार में जीरो पर आउट करना है। सच है कि राजनीति में देर तक कोई न दुश्मन होता है और न कोई दोस्त।

पर क्या है इस बदले रवैये का सच
राजनीत के धरातल पर जो यह दिख रहा है वह आधा सच है। पूरा सच कुछ और है। दरअसल अमित शाह के जिह्वा पर चढ़े ललन सिंह की अपनी महत्ता भाजपा की नजर में दिख गई। सो, इसके बरक्स वे न अपने कद के प्रति बल्कि अपने क्षेत्र मुंगेर की राजनीति समीकरण के प्रति भी सचेत हो गए। वर्ष 2014 में अकेले दम पर लोक सभा चुनाव लड़ कर देख चुके हैं। तब वे तीसरे नंबर पर थे। वह भी तब जब ललन सिंह को अनंत सिंह का भी साथ मिला था। लोजपा की वीणा देवी जीती थीं। इसके पूर्व 2010 में विधानसभा चुनाव का प्रचार भी कर थक गए। पर हासिल कुछ नहीं हुआ। साथ ही अपनी व्यक्तिगत पहुंच का भी पता चल गया। सो, अब आगामी लोकसभा चुनाव के लिए लालू प्रसाद (Lalu Prasad Yadav) से आशीर्वाद तो ले ही रहे हैं, साथ ही यादव मतों की गोलबंदी भी कर रहे हैं। इनके इस अचानक प्रवक्ता वाली भूमिका से नीतिश कुमार (Nitish Kumar) को फायदा हो न हो लेकिन ललन सिंह को फायदा तो दिखता नजर आ रहा है।