कारगिल युद्ध में सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित सूबेदार मेजर संजय कुमार कहते हैं कि कारगिल युद्ध का मंजर याद कर खून खौल उठता है। प्वाइंट 4875 को फतह करना एक चुनौती की तरह नहीं, बल्कि सपने की तरह देखा और उसे पूरा भी किया।
कारगिल युद्ध में सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित सूबेदार मेजर संजय कुमार कहते हैं कि कारगिल युद्ध का मंजर याद कर खून खौल उठता है। प्वाइंट 4875 को फतह करना एक चुनौती की तरह नहीं, बल्कि सपने की तरह देखा और उसे पूरा भी किया। दुश्मन को सबक सिखाने का आज भी मौका मिले तो वह सबसे पहले जाना चाहेंगे। वर्तमान में पुणे, महाराष्ट्र में तैनात सूबेदार मेजर संजय कुमार तब राइफलमैन थे। उन्होंने बताया कि चार और पांच जुलाई 1999 का दिन उन्हें आज भी याद है। दिन और रात लगातार चले ऑपरेशन के दौरान दो गोलियां उनके घुटने में लगी थीं और दो शरीर के अन्य भाग में। वह अपने दो साथियों को भी खो चुके थे
इसके बावजूद मश्को वैली द्रास में प्वाइंट 4875 पर कब्जा किया। दुश्मन की यूनिवर्सल मशीनगन छीनकर तीन पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था। वहीं उन्होंने युवाओं का नशे के जाल में फंसना बेहद दुखद बताते हुए कहा कि हम युवाओं को पढ़ाई और देश की तरक्की में हाथ बंटाने की सलाह देते हैं। उन्होंने कहा कि आज युवा कम उम्र में ही नशे की चपेट में आ रहे हैं। सरकार को उचित कदम उठाने चाहिए, ताकि वह नशे से बचकर देश सेवा कर सकें। युवा पीढ़ी को देश सेवा के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए।