शिक्षा जीवन का आधार माना जाता है, लेकिन अगर वहीं की व्यवस्था डगमगा रही हो तो कुछ भी कहना मुश्किल है। यही हाल जिला के स्नातकोत्तर महाविद्यालय बिलासपुर में देखने को मिल रहा है।
इस महाविद्यालय के तहत कर्मचारियों के रहने के लिए बनाए गए आवास की हालत इतनी खस्ता है, उसमें रहना तो दूर दो पल टिकना भी कठिन है। यहां तक कि इन आवास के शौचालयों की हालत इतनी बदतर हो गई है कि उसमें कहीं तो दरवाजे टूटे हैं और कहीं अंदर की खस्ता हालत है। लेकिन महाविद्यालय प्रशासन का ध्यान इसकी और नहीं जा रहा, जबकि महाविद्यालय से मात्र 50 मीटर की दूरी पर यह आवास बने हुए हैं।
कमरों की हालत प्रशासन व संबधित विभाग की नाकामयाबी को साफ-साफ दिखा रहा है। अपने ही महाविद्यालय के कर्मचारियों को बदहाल कमरों में रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, कर्मचारियों से इस विषय पर जब बात की गई तो उनका कहना है कि इस विषय पर संबधित विभाग को कई बार अवगत करवाया गया है, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है।
कमरों की भी हालत इतनी बदहाल है कि कहीं खिड़कियां तो कहीं छत गिर रही है। सोचने की बात है कि उसी रास्ते से कॉलेज के अधिकारियों का आए दिन आना जाना होता है। लेकिन कमरों की हालत देख कर किसी ने भी आज तक मरम्मत के बारे में नहीं सोचा।
कमरों की हालत बयां कर रही है कि जब से इस भवन का निर्माण किया गया है उसके बाद आज तक संबंधित विभाग के द्वारा कोई भी मरम्मत कार्य नहीं करवाया गया है। विभाग की लापरवाही के कारण करोड़ों की लागत से बने भवन खंडहर बन रहे हैं। कर्मचारी हर महीने अपने वेतन में से आवास भत्ता कटवाते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें इन खंडहरों जैसे आवासों में रहने को मजबूर होना पड़े यह प्रशासन की लापरवाही ही दिखाता है। जीता-जागता उदाहरण अधीक्षक महोदय का आवास देखने को मिल रहा है।
वहीं गैर शिक्षक कर्मचारियों ने संबंधित विभाग से आग्रह किया है कि जल्द से जल्द कमरों की मरम्मत को करवाया जाए। ताकि समय रहते भवन को खंडहर बनने से बचाया जा सके और कोई भी बड़ी घटना को होने से समय रहते रोका जा सके।
कॉलेज की प्राचार्य प्रो नीना वसुदेवा ने कहा कि कॉलेज आवासों की मरम्मत को लेकर लोनिवि के अधिकारियों से व्यय का आकलन के बारे में पत्राचार किया है। जैसे ही आकलन बनकर आएगा, उसे मंजूरी के लिए उच्चतर शिक्षा निदेशालय को भेजा जाएगा। बजट आने के बाद ही मरम्मत कार्य होगा।