बिलासपुर सदर : भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष JP नड्डा की प्रतिष्ठा दांव पर, गृह विधानसभा…

शिमला, 07 अक्तूबर : बिलासपुर सदर विस सीट पर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की भी नजरें टिकी है। हो भी क्यों न क्योंकि यह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP National President JP Nadda) का  गृह विधानसभा क्षेत्र है। नड्डा यहां से तीन दफा विधायक का चुनाव जीत चुके है। वहीं उन्हें एक बार हार  का मुँह भी देखना पड़ा।  इसे लोकतंत्र (Democracy) का सुंदर स्वरूप ही कहेगे कि भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से नड्डा 1993 में पहली दफा बिलासपुर सदर से विधायक बने। वहीं आज राजयसभा के मार्फ़त राष्ट्रीय पटल पर विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के अध्यक्ष है। बिलासपुर सदर में नड्डा के सूपुत्र हरीश नड्डा के चुनाव लड़ने की अटकलें चल रही है। वर्तमान विधायक सुभाष ठाकुर भी नड्डा के खासमखास है।

            उधर, भाजपा के पूर्व नेता सुरेश चंदेल कांग्रेस छोड़कर दोबारा भाजपा में लौट आए है। नड्डा राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी है। बिलासपुर सदर से उनकी प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी होगी। राजनीति में भावुकता का कोई स्थान नहीं है। इसलिए नड्डा पूरा गणित गुना भाग कर राजनीतिक फायदा देखते हुए यहां से जिताऊ उम्मीदवार (Candidate) को ही टिकट देंगे। हाल ही में उन्होंने बिलासपुर के लुहणू से पीएम मोदी (PM Modi) की जनसभा एवं एम्स और हाइड्रो इंजीनियरिंग (AIIMS and Hydro Engineering University) विवि का उद्घाटन भी चुनाव के मकसद से करवाया।

उधर, कांग्रेस में टिकट की लड़ाई जारी है। कांग्रेस के पूर्व विधायक बंबर ठाकुर को यहां से जिला कांग्रेस के टिकट देने का कई बड़े नेता विरोध कर रहे है।  इसी कारण बंबर ठाकुर ने धमकी दी है कि यदि पार्टी टिकट नहीं मिला तो बगावत कर पास की ही सीट घुमारवीं से चुनाव लड़ेंगे। बंबर का कहना है कि जो नेता उनके विरोध में टिकट काटने की मांग कर रहे है वह पार्टी को  भीतर से नुकसान पंहुचा रहे है। पिछले दिनों उन्होंने बयान भी दिया था कि बिलासपुर में कांग्रेस नड्डा की बी टीम बनकर उन्हें हराने के लिए षड्यंत्र रच रही है। वहीं नड्डा को 2003 में पराजित करने वाले तिलक राज भी टिकट की दौड़ में है।

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रामलाल ठाकुर स्वयं नैना देवी छोड़कर बिलासपुर से चुनाव लड़ने के इच्छुक है ऐसा सूत्रों का कहना है। कांग्रेस में अभी टिकट को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।  बिलासपुर सदर के राजनितिक इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए तो इस सीट पर 1967 से लेकर आज तक ब्राह्मण और राजपूतों का दबदबा रहा है। जिनमें नड्डा समेत स्वर्गीय दौलत राम सांख्यान, बाबू राम गौतम ब्राह्मण तबके से भाजपा के विधायक रहे है। वहीं कांग्रेस में एक मात्र ब्राह्मण विधायक तिलक राज शर्मा भी नड्डा जैसी शख्सियत को पटखनी देने में कामयाब हुए थे। राजपूतों में भाजपा के सदा राम ठाकुर व सुभाष ठाकुर विधायक बने है। कुल मिलाकर इस विधानसभा में संघर्ष बड़ा रोचक होगा। दिग्गज नेता नड्डा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।