जनपद में कूड़ा निष्पादन के लिए जगह न मिल पाने के कारण शहर का कूड़ा नगर के बीचों-बीच वार्ड नंबर-4 में फेंका जा रहा है। गंदगी के इस आलम में मक्खियां व मच्छरों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हो गई है, जिससे लोगो को घरों में भी रहना मुश्किल हो रहा है। कई परिवार तो अपने रिश्तेदारों के यहां आश्रय ढूंढ रहे हैं। इस स्थल का भारी विरोध होने के बावजूद शहर की सारी गंदगी यहीं डंप की जा रही हैं। अभी पिछले तीन चार दिनों से बिलासपुर में बारिश हो रही है व खुले आसमान के नीचे फेंके गए इस कूड़े से दुर्गंध उठ रही है।
रौड़ा सेक्टर, लुहूणू, गुरूद्वारा मार्केट, दबड़ा मोहल्ला, छात्र और छात्रा स्कूल को जाने वाली इस सड़क पर लोगों का पैदल चलना मुश्किल हो गया है। जिस स्थान पर यह कूड़ा डंप किया जा रहा है उसके सामने वार्ड नंबर-5 व 8 है जबकि साथ मुख्य बाजार भी है। प्रशासन की गलती का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। इस डंपिग साइट का विरोध कई संगठन कर चुके हैं लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है। लोगों की समस्या हल होने की बजाए निरंतर बढ़ रही है। नई डंपिग साईट के साथ सब्जी मंडी और मीट, मछली मार्केट भी है। गंदगी के इस आलम में किसी भी संक्रमण रोग के फैलने का खतरा बढ़ गया है।
हर साल स्वास्थ्य प्रशासन डेंगू, मलेरिया आदि रोगों के बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाती है और नगरवासियों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाती है लेकिन शहर के बीचों-बीच डंप की गई इस गंदगी को लेकर स्वास्थ्य प्रशासन ने भी आंखे मूंद ली है। उल्लेखनीय है कि यहां पर करोड़ों की लागत से पार्किंग का निर्माण हो रहा है। लेकिन यहां पर गंदगी का साम्राज्य हो गया है। इसके साथ ही मुख्य बाजार को जाने के लिए लोहे की सीढ़ियों का निर्माण भी किया गया है।
गंदगी के आलम में लोगों ने यहां से आना जाना बंद कर दिया है। इस अवैध डंपिग के साथ रह रहे श्याम लाल सोनू ने बताया कि वे नरकीय जीवन जीने को विवश हैं। इस बारे में शासन प्रशासन के दरवाजे पर गिड़गिड़ा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। आजीविका के लिए वे सब्जी व करियाने की दुकान कर रहे हैं, लेकिन मक्खियों का यहां इतना अंबार है कि ग्राहक दुकान में आना ही पसंद नहीे करते।
वहीं इसके साथ ही एक आंगनबाड़ी केंद्र भी हैं जहां इस बदबू का पूरा असर देखा जा रहा हैं। आंगनबाड़ी केंद्र संचालिका की माने तो लोगों ने अपने बच्चों को भेजना भी बंद कर दिया है। जिस स्थान पर यह केंद्र स्थित है वहां एक तरफ यह डंपिग साईट है और नीचे की ओर निरंतर सीवरेज रिस रही है। यही नहीं मीट, मछली मार्केट और सब्जी मंडी से निकलने वाली गंदगी को भी इसी नाले में डाला जा रहा है जोकि आगे जाकर सतलुज झील में मिलती है। इस प्रकार के भयावह माहौल में न तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कोई संज्ञान ले रहा है नहीं प्रशासन कोई उचित कदम उठा रहा है।
संबंधित अधिकारियों से इस बारे में पूछा जाए तो वह नई साईट देखने की बात कहकर मामले पर विराम लगाने की कोशिश करते हैं। किंतु मौसम के मिजाज व मौजूदा परिस्थितियों पर ध्यान केंद्रित किया जाए तो निकट भविष्य में यहां किसी बड़ी महामारी के फैलने क संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।