बिमल रॉय (Bimal Roy) एक ऐसे महान फिल्म निर्माता थे जिनके बारे में पढ़ कर, उनके प्रयोग को देखकर कई फिल्मकार प्रेरणा लेते हैं. भारतीय मेनस्ट्रीम सिनेमा को यथार्थ के धरातल पर लाने वाले बिमल रॉय ही थे. उनकी फिल्मोग्राफी कभी स्टार्स के आभामंडल के सामने झुकी नहीं और उनकी बनाई फिल्मों ने सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में तहलका मचा दिया. ‘दो बीघा जमीन’, ‘देवदास’, ‘परिणीता’, ‘मधुमती’, ‘परख’, ‘सुजाता’, ‘बंदिनी’ जैसी फिल्में बनाने वाले बिमल रॉय का जन्म 12 जुलाई 1909 को ढाका के एक जमींदार परिवार में हुआ था. इस दिग्गज फिल्ममेकर की जयंती पर बताते हैं वह 5 बातें जो आज के फिल्म निर्माताओं के लिए सबक है.
1- बची रील पर फिल्म बना खुद को साबित किया
बिमल रॉय ने बंगाली, हिंदी और दूसरी भाषाओं में सामाजिक मुद्दों पर फिल्में बनाने के लिए जाने जाते हैं. बिमल रॉय ने अपना करियर कलकत्ता के न्यू थियेटर स्टूडियो से एक कैमरामैन के तौर पर शुरू किया था. चूंकि वह बतौर निर्देशक फिल्म बनाना चाहते थे, लिहाजा स्टूडियो के मालिक बी एन सरकार से मिले और इसके लिए इजाजत मांगी. वह तैयार तो हो गए लेकिन एक शर्त रख दी कि बिमल रॉय दूसरी फिल्मों के बचे हुए रील ही इस्तेमाल करेंगे. बिमल ने इसे चुनौती की तरह स्वीकार किया और बची हुई रीलों पर साल 1944 में फिल्म ‘उदार पाथे’ बनाई जो बेहद पसंद की गई. इसी फिल्म को बाद में हिंदी में ‘हमराही’ टाइटिल से बनाई थी.
2- ‘जनगण मन’ को राष्ट्रगान बनने से पहले की फिल्म में लिया था
बिमल रॉय ने साल 1950 में रबिंद्रनाथ टैगोर की रचना ‘जनगण मन’ को राष्ट्रगान बनने से बहुत पहले ही अपनी फिल्म ‘उदार पाथे’ और ‘हमराही’ में इस्तेमाल किया था.
3- चलती बस में पड़ी बिमल रॉय प्रोडक्शंस की नींव
बिमल रॉय प्रोडक्शंस बनाने का ख्याल अकीरा कुरोसावा की फिल्म ‘Rashomon’देखने के बाद आया था. बॉम्बे के इरोज सिनेमा में ऋषिकेश मुखर्जी समेत कुछ लोगों के साथ फिल्म देख कर बिमल रॉय बस से वापस मलाड लौट रहे थे. शानदार फिल्म देखने के बाद ऋषिकेश ने पूछा कि क्या ऐसी फिल्म बन सकती है तो बिमल रॉय ने हामी भरी और चलते बस में बिमल रॉय प्रोडक्शंस की नीव पड़ गई.
4- एक सीन के लिए 50 हजार फीट फिल्म इस्तेमाल किया
बिमल रॉय अपनी फिल्मों में किस तरह के प्रयोग करते थे इसकी झलक फिल्म ‘सुजाता’ की मेकिंग के दौरान मिली थी. एक सीन में सुनील दत्त जब नूतन को मिलने आते हैं तो लाजवंती के पत्तों को बंद होते दिखाया जाता है. इस सीन को फिल्मानें का किस्सा भी काफी दिलचस्प है. इस सीन को बिमल रॉय ने 4 दिन तक बार-बार फिल्माया ताकि पत्तियों के माध्यम से शर्माती सकुचाती सुजाता को दिखाया जा सके, चौथे दिन एक बड़ा प्रोपेलर फैन इस्तेमाल किया गया तब जाकर पत्ते बंद हुए. करीब 50 हजार फीट फिल्म का इस्तेमाल इस सीन को फिल्माने में इस्तेमाल हो चुका था. जब इसे एडिटर अमित बोस को दिया तो डेढ़ मिनट का शॉट निकालने में हाथ-पैर फूल गए. तब बिमल ने अपने असिस्टेंट सखाराम के साथ 2 दिन से भी कम समय में इस सीन को काट दिया.
5- रो पड़े थे बलराज साहनी
बिमल रॉय की सबसे चर्चित फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ है, जिसके बिना बिमल रॉय की बात अधूरी है. इस फिल्म के सीन में फिल्म के लीड एक्टर बलराज साहनी को नीचे बैठकर जमींदार (मुराद) के पैरों में गिरकर अपने जमीन के टुकड़े के लिए गुहार लगानी थी. बिमल रॉय ने मुराद से चुपके से कहा कि वह साहनी की पकड़ से अपने पैर झटके और खुद को कैमरे की सीमा से बाहर कर दे. इसके बारे में साहनी को पता नहीं था. टेक के दौरान मुराद का पैर साहनी के चेहरे पर लग गया. अपमानित और आहत साहनी कट के बाद रोने लगे तो मुराद दौड़कर आए और साहनी से माफी मांगते हुए सारा किस्सा बयां किया. ये शॉट बेहद शानदार निकला.