BJP office's registry could not be done even after getting permission of 118

118 की अनुमति मिलने के बाद भी नहीं हो पाई भाजपा कार्यालय की रजिस्ट्री

सोलन की एक बीघा ज़मीन को अभी तक  उसका असली मालिक नहीं मिल पाया है |  भाजपा कार्यालय की यह ज़मीन भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को पुकार  पुकार कर कह रही है कि  मेरी अनदेखी न करों , लेकिन  सभी नेता केवल अपनी अपनी राजनितिक रोटियां सेकने में लगे है। वरिष्ठ नेता , जिला अध्यक्ष और उनकी टीम सोलन में  बड़ा हॉस्पिटल , बड़ी बड़ी पार्किंग  बनाने के दावे  तो कर रही है लेकिन जिला में वह अपना कार्यालय तो छोड़ो अपने कार्यालय के लिए खरीदी ज़मीन को अपने नाम तक नहीं करवा पाई है।  यह एक बीघा ज़मीन भाजपा ने पहले 90 लाख में खरीदी जिसमे 85 लाख रूपये ज़मीन के मालिक को दिए गए  लेकिन रजिस्ट्री  नहीं करवाई गई। लाखों रूपये ज़मीन मालिक को देने के बाद   भाजपा नेता  कुम्भकर्णी नींद सो गए ।  जब नींद से जागे तो पता चला कि ज़मीन मालिक ने यह ज़मीन करीबन 24 लाख रूपये  में किसी और को बेच दी है।  भाजपा सरकार की बेहद खिल्ली उड़ी।  बड़े बड़े दिग्गज नेता सोलन पहुंचे |  चारसौ बीसी में ज़मीन मालिक को गिरफ्तार करवाया  गया।  भाजपा नेता मनीष कुमार को इस मामले में  ज़मानत लेनी पड़ी  उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया। उसके बाद भाजपा ने दुबारा से करीबन 26 लाख रूपये में वही ज़मीन  फिर से खरीदनी पड़ी । भाजपा के पास 118 की अनुमति नहीं थी इस लिए ज़मीन की रजिस्ट्री जिला अध्यक्ष  आशुतोष के नाम पर कर की  गई।  उसके बाद भाजपा नेता फिर से कुम्भकर्णी नींद में सो गए है अभी तक उनकी नींद नहीं खुली है।  इस बात को करीबन एक वर्ष होने लगा है। एक वर्ष में अभी तक पुलिस  और भाजपा यह भी पता नहीं लगा पाई कि आखिर ज़मीन के घोटाले में कौन कौन शामिल थे। अभी इस मामले की जांच चल रही है। जिस से यह साबित होता है कि भाजपा और पुलिस ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है   भाजपा  की खिल्ली न उड़े इस लिए बड़ी मछलियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है 

इस बीच मजे की बात यह है कि नगर निगम के चुनाव हुए। वार्ड नंबर एक से वही नेता मनीष कुमार  पार्षद बना जिसे इस भूमि घोटाले में पार्टी से निष्कासित किया गया था। भाजपा के पास संख्या बल कम इस लिए  मजबूरी में उसे ही मेयर पद का दावेदार बनाया गया।  जिस से साबित होता है कि पार्टी ने उसे निर्दोष मान लिया था । लेकिन अभी तक पार्टी ने उनका  निष्कासन रद्द नहीं किया है। 
वहीँ सबसे से महत्वपूर्ण बात यह है कि धारा 118 की अनुमति भाजपा ने करीबन 3  माह पहले ले ली है। लेकिन अभी तक न जाने क्यों जिला अध्यक्ष ने रजिस्ट्री भाजपा कार्यालय के नाम क्यों नहीं की है। इस देरी का क्या कारण है और क्या यह देरी जानबूझकर की जा रही है या फिर ऐसा तो नहीं कि  भाजपा के नेता  पहले की  लापरवाह हो गए हैं। 
जब इस बारे में प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जल्द ही कार्यालय की ज़मीन की रजिस्ट्री करवा दी जाएगी। इस बारे में जिला अध्यक्ष आशुतोष वैद्य को आवश्यक दिशा निर्देश दे दिए गए हैं। आवश्यक तैयारियां की जा रही हैं।