सोलन नगर परिषद के रोस्टर को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है । विवाद की सबसे बड़ी वजह यह है कि रूस्टर जारी करते हुए चुने हुए नगर परिषद पार्षदों और मनोनीत पार्षदों को आमंत्रित नहीं किया गया जिसके चलते नगर परिषद दो गुटों में बटी नजर आई जिसमें एक तरफ नगर परिषद अध्यक्ष पूर्व पार्षद कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशी रह चुके राजेश कश्यप और दूसरी तरफ पूर्वाध्यक्ष पवन गुप्ता और उनके साथ आए सात पार्षद आमने सामने नज़र आए।
मीडिया के समक्ष पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष ने अपनी ही पार्टी के नगर परिषद अध्यक्ष की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा किया और कहा कि यह वही लोग है जिन्होंने 2015 में उन्हें नगर परिषद अध्यक्ष के पद से अविश्वास प्रस्ताव पारित कर उतार दिया था जिसका खामियाजा अभी तक सोलन की जनता भुगत रही है और शहर का विकास पूरी तरह से ठप हो चुका है ।
पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष पवन गुप्ता ने मीडिया के सामने रोष प्रकट करते हुए कहा कि उन्हें जिला प्रशासन द्वारा यह सूचित नहीं किया गया था की नगर परिषद का रोस्टर जारी किया जाना है और जब उन्हें पता चला तो वह अपने पार्षदों के साथ उपायुक्त कार्यालय पहुंचे तो उन्होंने उन्हें आश्वस्त किया था कि रोस्टर की कार्यवाही उनके समक्ष की जाएगी लेकिन लेकिन उसके बावजूद भी उन्हें इस रोस्टर कार्यवाही में शामिल नहीं किया गया ।
जिसका वह पुरजोर विरोध करते हैं उन्होंने इस प्रक्रिया में शामिल हुए लोगों को भाजपा की बी टीम की संज्ञा दी ।उन्होंने कहा कि यह टीम षड्यंत्रकारियों की टीम है जो कांग्रेस के साथ मिलकर भाजपा को हानि पहुंचाने का कार्य कर रही है और भाजपा कार्यकर्ताओं की और पार्षदों की सरेआम अनदेखी की जा रही है उन्होंने कहा कि आज के समय में सोलन शहर का विकास पूर्ण रूप से ठप हो चुका है और केवल हितों को साधने की राजनीति नगर में चल रही है।