नेत्रहीन पिता की बेटी नहीं जमा कर पा रही थी MBBS की फीस, 200 सरकारी कर्मचारी मदद के लिए आए आगे

मेहनत करने वालों के लिए मंजिल तक पहुंचने के रास्ते अपने आप खुल जाते हैं. गुजरात के भरूच जिले की आलियाबानू पटेल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. आलिया एमबीबीएस की छात्रा हैं. वो शुरुआत से ही अपने इस लक्ष्य के लिए परिश्रम कर रही हैं लेकिन आर्थिक तंगी हर बार उनके रास्ते का रोड़ा बन जाती है. इस बार आर्थिक समस्या पहले से भी बड़ी थी लेकिन पढ़ाई में उनकी मेहनत और लगन देखते हुए 200 से अधिक सरकारी कर्मचारी उनकी मदद के लिए आगे आए.

200 कर्मचारियों ने भरी छात्रा की फीस

more than 200 govt employees paid mbbs student feesTwitter

आलियाबानू पटेल एमबीबीएस की छात्रा हैं, उन्हें अपने दूसरे समेस्टर की फीस भरने के लिए 4 लाख रुपये की जरूरत थी लेकिन ये रकम उनकी पहुंच से बाहर थी. ऐसी स्थिति में भरूच के जिला कलेक्टर तुषार सुमेरा सहित प्रशासन के 200 से अधिक कर्मचारियों ने अपना एक दिन का वेतन दान कर आलियाबानू की दूसरे सेमेस्टर की 4 लाख रुपये की फीस की व्यवस्था की है. आलियाबानु के पिता नेत्रहीन हैं. उनके पास मात्र एक दुकान है, जिसका किराया 10 हजार रुपये प्रति महीना आता है और इसी से घर का खर्च चलता है. ऐसी स्थिति में इतनी बड़ी रकम जमा करना उनके बहुत बड़ी समस्या थी.

पीएम ने किया था मदद का वादा

आलियाबनू के 12वीं कक्षा में 79.80 प्रतिशत अंक आए थे, जिसके बाद उन्होंने पिछले साल वड़ोदरा के पारुल विश्वविद्यालय में दाखिला लिया. अपनी शिक्षा के लिए आलिया को बहुत सी आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. हाल ही में उन्होंने शिक्षा में सहायता के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और जिला प्रशासन को पत्र लिखा था. इससे पहले पिछले ही साल एक कार्यक्रम में पीएम मोदी ने उन्हें मदद का आश्वासन भी दिया था.

दरअसल, पिछले साल 12 मई को प्रधान मंत्री सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इसी दौरान आलिया के नेत्रहीन पिता अय्यूब पटेल, जो केंद्र सरकार की राष्ट्रीय वृद्ध पेंशन योजना के लाभार्थियों में से एक थे, की पीएम से बात हुई थी. भरूच के दूधधारा डेयरी ग्राउंड में आयोजित ‘उत्कर्ष पहल’ कार्यक्रम में पटेल अपनी पत्नी और तीन बेटियों के साथ मौजूद थे. उस समय, अय्यूब ने पीएम को बताया कि ग्लूकोमा के कारण उन्होंने अपने आंखों की रोशनी खो दी.

पीएम मोदी ने उनसे उनके बच्चों के बारे में पूछा. अच्छी बात ये थी कि उसी दिन कक्षा 12वीं का रिजल्ट आया था और अय्यूब की बड़ी बेटी आलियाबानू के अच्छे अंक आए थे. उन्होंने अपनी सबसे बड़ी बेटी आलियाबानू के बारे में बात की. जिसके बाद आलिया को भी पीएम मोदी से बात करने का मौका मिला. पीएम द्वारा करियर के बारे में पूछे जाने पर आलिया ने कहा कि उनके पिता की आंखों की रोशनी चली जाने के बाद उन्होंने ते किया कि वह डॉक्टर बनेंगी. इस पर पीएम मोदी ने पटेल से कहा था कि अगर उनकी बेटी के सपने को पूरा करने में कोई दिक्कत आए तो वह उनसे संपर्क करें.

आर्थिक मदद के लिए लिखा DM, CM और PM को पत्र

द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए आलियाबानू पटेल ने बताया कि, “वह एक नेत्र रोग विशेषज्ञ बनना चाहती हैं. उनके पिता आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं. उन्होंने ने बताया कि पीएम मोदी ने उनकी मदद करने का आश्वासन दिया था. अब जब आलिया को मदद की जरूरत थी तब उन्होंने पीएम और जिला कलेक्टर को पत्र लिखा और आर्थिक मदद मांगी. आलिया ने कहा कि वह उनके समर्थन के लिए पीएम मोदी और जिला कलेक्टर की बहुत आभारी हैं.”

अधिकारियों ने एक दिन का वेतन किया दान

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आलिया का पत्र मिलने के बाद जिला कलेक्टर सुमेरा ने इस संबंध में अपने सहयोगियों से बात की और आलिया की आर्थिक मदद करने के लिए कहा. जिसके बाद भरूच राजस्व विभाग के 200 से अधिक अधिकारियों ने पटेल परिवार की मुश्किलों को समझते हुए, इस नेक काम के लिए अपने एक दिन का वेतन दान किया. कुल जमा राशि को एक बैंक में जमा किया गया था. बाद में शनिवार को चेक आलियाबानू को सौंप दिया गया. सुमेरा का कहना है कि, “वे ऐसी व्यवस्था करने की भी योजना बना रहे हैं, जिससे अय्यूब पटेल को आने वाले समय में अपनी बेटी की फीस जमा करने की दिक्कत ना आए.

पटेल के अनुसार उन्होंने दोस्तों, रिश्तेदारों और अन्य लोगों से पैसे उधार लेकर आलिया की पहले सेमेस्टर की फीस और अन्य खर्चों के लिए 7.70 लाख रुपए जमा किए थे. इसके साथ ही उन्होंने एक निजी बैंक से 5 लाख रुपये का लोन भी लिया था. उन्हें वर्ल्ड भरूच वोहरा फेडरेशन से भी 1 लाख रुपये भी दिए गए थे.

आलिया का पहला सेमेस्टर मई में समाप्त हो रहा है और इसके बाद उन्हें जून से पहले, दूसरे सेमेस्टर की फीस जमा करनी है. पटेल ने अपनी बेटी की फीस भरने के लिए आर्थिक मदद की उम्मीद में पीएम, सीएम और जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर गुहार लगाई है.