ब्लिंकन ने कहा भारत में उपासना स्थलों पर हमले बढ़े, जारी की धार्मिक स्वतंत्रता पर रिपोर्ट – प्रेस रिव्यू

ब्लिंकन

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अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि हाल के दिनों में भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थल को लेकर लोगों पर हुए हमले बढ़े हैं.

भारत से छपने वाले ज़्यादातर अख़बारों ने अमेरिकी विदेश मंत्री के इस बयान को प्रकाशित किया है.

दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय की 2021 की रिपोर्ट जारी करते हुए ब्लिंकन ने कहा, “भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं. वहां हाल के दिनों में लोगों पर और उपासना स्थलों पर हमले के मामले बढ़े हैं.”

एंटनी ब्लिकन ने अपने संबोधन में वियतनाम और नाइजीरिया का उदाहरण भी दिया.

इस रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021 में दुनिया के अलग-अलग देशों में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति का आकलन किया गया है. इस रिपोर्ट को अमेरिकी विदेश मंत्रालय के इंटरनेशनल रिलिजियस फ़्रीडम विभाग के राजदूत रशद हुसैन के नेतृत्व में तैयार किया गया है.

यह आकड़े अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ़) की जारी रिपोर्ट से अलग है. अप्रैल महीने में, आयोग ने विदेश मंत्रालय से सिफ़ारिश की थी वह भारत को ‘विशेष चिंता वाले’ देशों की सूची में डाल दे. आयोग की ओर से बीते तीन सालों से यह सिफ़ारिश की जा रही है लेकिन भारत को अभी तक इस सूची में नहीं डाला गया है.

रशद हुसैन ने गुरुवार को कहा, “जैसा कि विदेश मंत्री ने बताया कि भारत में लोगों पर और उपासना स्थलों पर हमले बढ़े हैं, तो इस संदर्भ एक तथ्य ये भी है कि कुछ अधिकारी या तो ऐसे मामलों पर ग़ौर नहीं करते या फिर इसका समर्थन करते हैं.”

धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध वाले देशों का उल्लेख करते हुए ब्लिंकन ने सऊदी अरब के साथ-साथ चीन, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान का नाम लिया. उन्होंने कहा, “चीन में मुस्लिम वीगर समुदाय और दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों का दमन जारी है.”

वहीं पाकिस्तान का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि साल 2021 में कम से कम 16 लोगों पर ईशनिंदा का मामला दर्ज हुआ और कोर्ट ने मौत की सज़ा सुनायी.

भारत का ज़िक्र करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने ऐसे ग़ैर-हिंदुओं को गिरफ़्तार किया जिन्होंने मीडिया या फिर सोशल मीडिया पर कुछ ऐसा लिखा जिसे हिंदुओं और हिंदुत्व के लिए ‘अपमानजनक’ बताया गया.

रिपोर्ट में त्रिपुरा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के साथ हुई लिंचिंग की घटनाओं का भी ज़िक्र किया गया है.

धर्मेंद्र प्रधान

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कोई भाषा हिंदी या अंग्रेज़ी से कम नहीं- धर्मेंद्र प्रधान

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि भारत की सभी भाषाएं राष्ट्रीय हैं.

एक बैठक को संबोधित करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि कोई भी भाषा हिंदी या फिर अंग्रेज़ी की तुलना में कमतर नहीं है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के साथ मिलकर पॉलिसी बनाएगी.

द हिंदू अख़बार की ख़बर के अनुसार, धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि जिस तरह निवाला खाने के लिए पांचों उंगलियों को एकसाथ आना पड़ता है, भाषा भी उसी तरह है.

गुजरात के गांधीनगर में आयोजित दो दिवसीय नेशनल एजुकेशन मिनिस्टर्स कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने संबोधन में धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “बीते कुछ दिनों से, भाषा को लेकर कई तरह की आशंकाएं सामने आयी हैं. सभी भाषाएं राष्ट्रीय भाषा है, चाहे वो गुजराती हो या फिर तमिल, पंजाबी हो या असमी. कोई भी भाषा हिंदी या अंग्रेज़ी से से कम नहीं है.”

बकरीद पर गाय की क़ुर्बानी ना देने की अपील

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ख़बर के अनुसार, मुस्लिम संगठन जमियत उलेमा-ए-हिंद ने मुस्लिम समुदाय से अपील की है कि वे बकरीद के मौक़े पर गाय की कुर्बानी न दें

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ख़बर के अनुसार, संगठन की ओर से कहा गया है कि गाय की कुर्बानी से हिंदुओं की भावनाएं आहत होती हैं, और वे भी भाई समान हैं. इसीलिए यह फ़ैसला लिया गया है.

गेहूं

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गेहूं लौटाने पर भारत ने तुर्की से मांगा जवाब

भारत सरकार ने गुणवत्ता के कारण तुर्की के भारतीय गेहूं को ख़ारिज करने के मामले में तुर्की के अधिकारियों से विवरण मांगा है.

भारत ने गेहूं का यह निर्यात आईटीसी के माध्यम से किया था.

तुर्की के गेहूं की खेप को वापस किये जाने के बाद निजी कंपनी आईटीसी ने दावा किया है कि 60 हज़ार टन गेहूं के खेप के निर्यात के लिए उसके पास हर आवश्यक मंज़ूरी थी.

हिंदुस्तान अख़बार की ख़बर के अनुसार, गेहूं के निर्यात पर पाबंदी के बावजूद सरकार कुछ देशों को गेहूं निर्यात करने के लिए मंजूरी दे सकती है. जिन देशों के नाम इस लिस्ट में शामिल हैं, उन देशों ने भारत सरकार से विशेष अनुरोध किया है.

इस बीच सरकार ने दावा किया है कि गेहूं के निर्यात पर पाबंदी से घरेलू बाज़ार में गेहूं और आटे की क़ीमत में गिरावट आनी शुरू हो गई है.