पृथ्वी की उत्पत्ति और मानव सभ्यता के विकास को लेकर भूगर्भशास्त्री और जैव विविधता के क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिक निरंतर गहन अध्ययन में जुटे है। मगध विश्वविद्यालय के प्राणी विज्ञान के सहायक प्राचार्य प्रो. राहुल कुमार और जैव विविधता पर काम करने वाले मृत्युंजय शर्मा को हजारीबाग के जंगल से कुछ ऐसे जीवाश्म मिले हैं…
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हिमयुग के जीवाश्म होने की संभावना
प्रो0 राहुल कुमार और पर्यावरणविद मृत्युंजय शर्मा को जोड़ाकाट के गोंदलपुरा जंगल में जो जीवाश्म मिले हैं, उसके हिमयुग के होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। पहले भी विभिन्न अध्ययनों में इस क्षेत्र में हिमयुग से संबंधित कई अवशेष रहने की जानकारी मिल चुकी है।
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किसी सरीसृप का जीवाश्म
जंतु वैज्ञानिक राहुल कुमार का कहना है कि जीवाश्म को देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि यह किसी सरीसृप का रहा होगा,क्योंकि हड्डी के साथ लंबी पूंछ के भी अवशेष मिल रहा है। यह पक्षी जैसी आकृति वाला यह सरीसृप आर्किप्टेरिक्स का संबंधी हो सकता है। यह जीवाश्म डायनासोरकाल या उसके बाद की अवधि का हो सकता है।
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लाल रंग का पत्थर के आकाशगंगा से गिरने की संभावना
गोंदलपुरा के जंगल में एक लाल रंग के पत्थर भी मिला है। इस तरह का पत्थर छोटानागपुर के पठार या आसपास के क्षेत्रों में नहीं पाया जाता है। ऐसे में भूगर्भशास्त्री यह अनुमान लगा रहे है कि यह पत्थर आकाशगंगा के किसी दूसरे ग्रह या तारा से टूटकर गिरा होगा। हालांकि इसकी प्रमाणिकता को लेकर अभी अध्ययन की जरूरत है।
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कई ऐतिहासिक रहस्यों को गर्भ में छिपाये है जोराकाठ का जंगल
गोंदलपुरा और जोराकाठ के जंगल अपनी खूबसूरती के साथ ही कई ऐतिहासिक रहस्यों को भी छिपाए हुए है। इस जंगल में पत्थरों के कई समूह हिमयुग के पत्थरों से मेल खाते है। इनका संबंध गोंडवाना लैंड से भी हो सकता है। धरती के पेंजिया भूखंड काल में गोंडवाला भूमि पर प्रथम जीव की उत्पति के प्रमाण मिले है।
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झारखंड में अब तक किसी सरीसृप का जीवाश्म नहीं मिला
भू-गर्भ शास़्त्री नीतीश प्रियदर्शी का कहना है कि अब झारखंड के राजमहल के पहाड़ियों और कोयला खनन क्षेत्रों में ‘पादप’ के कुछ जीवाश्म जरूर मिले है, लेकिन राज्य के किसी भी हिस्से में अब तक किसी सरीसृप या जंतु का कोई जीवाश्म नहीं मिला है। अब यदि बड़कागांव में किसी सरीसृप का जीवाश्म मिलने की बात सामने आ रही है, तो इसका गहन अध्ययन जरूरी है। इसकी मदद से पृत्वी और मानव सभ्यता के विकास के कई रहस्यों से पर्दा उठ सकता है।