परियोजना की दूसरी सबसे बड़ी और कठिन टिहरा टनल का कार्य भी युद्धस्तर पर जारी है। इस टनल का भी करीब 70 मीटर कार्य शेष बचा है। जुलाई माह के अंत तक फोरलेन परियोजना की टनलों का कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
किरतपुर-नेरचौक फोरलेन की टनल नंबर पांच के दोनों छोर छह दिन में मिल जाएंगे। कार्य प्रगति पर है और इस टनल का आठ मीटर कार्य ही शेष बचा है। टनल की लंबाई 740 मीटर है। उधर, परियोजना की दूसरी सबसे बड़ी और कठिन टिहरा टनल का कार्य भी युद्धस्तर पर जारी है। इस टनल का भी करीब 70 मीटर कार्य शेष बचा है। जुलाई माह के अंत तक फोरलेन परियोजना की टनलों का कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस परियोजना की सबसे कठिन टिहरा टनल रही है। साल 2015 में इस टनल के धंसने से तीन मजदूर टनल में फंस गए थे। करीब नौ दिन के बचाव अभियान के बाद फंसे दो मजदूरों को जिंदा निकाल लिया गया था। एक की मौत हो गई थी। हादसे के बाद कई साल तक इस टनल का कार्य बंद रहा। वहीं पुलिस ने मामले में केस की क्लोजर रिपोर्ट बनाई। उसके बाद निर्माण कार्य शुरू हुआ। इस टनल की लंबाई करीब 1,265 मीटर है।
इसके अलावा टनल नंबर दो बागछाल की लंबाई 465 मीटर है। इस टनल का भी 35 मीटर कार्य बाकी है। टनल के निर्माण में समस्या आ रही है, क्योंकि इसका एक ही छोर से कार्य चला है। दूसरे छोर तक रास्ता न होने से इसको ब्रेक थ्रू करने में समय लग सकता है। टनल नंबर एक कैंचीमोड़ की लंबाई 1.8 किलोमीटर और टनल नंबर तीन तुन्नू की लंबाई 550 मीटर के दोनों छोर पहले ही मिल चुके हैं।
निर्माणाधीन फोरलेन पर टनलों, पुल, फ्लाईओवर, टारिंग का काम जोरों पर है। परियोजना में बन रही इन टनलों की कुल लंबाई 4.82 किलोमीटर होगी। कंपनी के अधिकारियों के अनुसार इन तीनों टनलों की खुदाई को पूरा कर दोनों छोरों को जुलाई माह तक जोड़ लिया जाएगा। इसके अलावा कीरतपुर से नेरचौक तक 22 बड़े पुलों और 15 छोटे पुलों का निर्माण किया जा रहा है। इस परियोजना की समीक्षा उपायुक्त बिलासपुर पंकज राय हर माह खुद कर रहे हैं।
2400 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान
88 किलोमीटर लंबे किरतपुर-नेरचौक फोरलेन का निर्माण तीन चरणों में किया जा रहा है। पहला चरण 14 किलोमीटर का किरतपुर से कैंचीमोड़ तक, दूसरा चरण 48 किलोमीटर का कैंचीमोड़ से भवाणा और तीसरा चरण 26 किलोमीटर का भवाणा से नेरचौक तक है। किरतपुर-नेरचौक तक फोरलेन का निर्माण कार्य 2018 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित था, लेकिन निर्माण कर रही कंपनी काम को अधूरा छोड़ कर चली गई।
इसके बाद एनएचएआई ने वर्ष 2020 में इस कार्य के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाई गई। करीब दो हजार करोड़ का टेंडर हरियाणा की गाबर कंपनी को अवार्ड हुआ। निर्माण को पूरा करने में करीब 2400 करोड़ रुपये की राशि खर्च होने का अनुमान है।
परियोजना की टनल नंबर पांच भवाणा के दोनों छोर को मिलाने का कार्य आगामी छह दिन में पूरा हो जाएगा। इसकी खुदाई का कार्य आठ मीटर शेष है। इसके अलावा टीहरा टनल का 70 मीटर कार्य शेष है। बाकि टनलों पर भी कार्य प्रगति पर है। जुलाई माह के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।– कर्नल बीएस चौहान, महाप्रबंधक, गाबर कंपनी