आपके आसपास ऐसे कई लोग होंगे, जो हमेशा अपनी किस्मत को कोसते रहते होंगे. जबकि, सच तो यह है कि इंसान अपनी किस्मत खुद बदल सकता है. सतना के रहने वाले बृजेश द्विवेदी इसका एक बड़ा उदाहरण हैं. दिव्यांग होने के बावजूद उन्होंने जिस तरह से क्रिकेटर बनने का सपना देखा और मेहनत से उसे पूरा भी किया वो काबिले तारीफ है. वर्तमान में बृजेश अपने इलाके की शान हैं. 2017 से वो टीम इंडिया का हिस्सा हैं और कई इंटरनेशनल लीग खेल चुके है. बृजेश के अब तक सफर को जानने के लिए इंडिया टाइम्स ने उनके साथ खास बातचीत की.
2 साल की उम्र में पोलियों का शिकार हुए
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ब्रजेश बताते हैं कि उनकी उम्र दो साल से भी कम थी जब वो पोलियों का शिकार हुए और उनका बाया पैर लगभग बेकार हो गया था. पिता पेशे से बस कंडक्टर थे और अपने बेटे के भविष्य को लेकर बेहद चिंतित थे. घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं था बावजूद इसके उन्होंने बेटे के इलाज के लिए वो सब किया जो वो कर सकते थे. पिता चाहते थे बेटा खूब पढ़े ताकि उसे कोई दिक्कत न हो. किन्तु बेटे ने पढ़ाई के साथ-साथ स्पोर्ट को चुना. शुरुआत में परिवार के लोग उनके इस फैसले के खिलाफ थे. मगर, बड़े भाई के सपोर्ट के बाद ब्रजेश की राह आसान हो गई.
लोगों ने मजाक उड़ाया लेकिन पीछे नहीं हटे
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बृजेश बताते हैं कि क्रिकेट के शुरुआती दिनों में उन्हें बहुत परेशानी हुई. एक तरफ उनका शरीर साथ नहीं दे रहा था. दूसरा, उनके पास पर्याप्त संसाधन नहीं थे. जैसै-तैसे जुगाड़ करके उन्होंने एक पुरानी किट खरीदी थी और टूटे बैट व फटे गल्वस के साथ प्रैक्टिस शुरू की थी. गेंदबादी और बल्लेबाजी, दोनों में बृजेश की रुचि थी इसलिए उन्होंने खुद को एक आलरांडर की तरह तैयार किया. इस सफर में लोगों ने उनकी दिव्यांगता का खूब मजाक उड़ाया लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. मौजूद समय में वो टीम इंडिया के एक मजबूत स्तंभ हैं.
अब भारत के लिए क्रिकेट खेलते हैं बृजेश
2017 में कोलकाता में हुए अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग क्रिकेट टूर्नामेंट में बृजेश को भारतीय टीम में शामिल किया गया था जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2022 में उन्हें बांग्लादेश में आयोजित चार देशों की अंतरराष्ट्रीय बंगबंधु टी-20 क्रिकेट सीरीज के लिए भी भारतीय टीम का हिस्सा बनाया गया था.
समाज के लिए मिसाल है
उपलब्धियों की बात करें बृजेश के नाम एम फाउंडेशन का खेल रत्न, नेशनल स्पोर्ट्स टाइम्स का मप्र खेल रत्न, और इंडियाज शाइनिंग स्टार 2019 जैसे कई बड़े सम्मान दर्ज हैं. बृजेश अपनी कामयाबी का श्रेय अपने दिवंगत माता-पिता को देते हैं. बृजेश के मुताबिक परिवार के सहयोग और साथ के बिना उनका आगे बढ़ना संभव नहीं था.