40 मिनट लिफ्ट में अटकी सांसें: मम्मी यहां बहुत डर लग रहा है…बाहर निकालो, बजाया अलार्म, चिल्लाते रहे 7 बच्चे

लिफ्ट में फंसे बच्चे
जिले की सोसाइटियों में खस्ताहाल लिफ्ट में बच्चों के फंसने के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। अब शुक्रवार रात ग्रेनो वेस्ट की गुलशन बेलिना सोसाइटी के टावर ई की लिफ्ट में करीब 40 मिनट तक सात बच्चों के फंसने का मामला सामने आया है। बच्चों ने चिल्ला कर मदद मांगी, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। बार-बार अलार्म बजाया। इस पर भी सुरक्षाकर्मियों ने कोई कार्रवाई नहीं की परिजनों का आरोप है कि लिफ्ट की चाबी मिलने में काफी समय लग गया। इस कारण बच्चों को निकालने में देरी हुई। वहीं, लिफ्ट के सीसीटीवी कैमरे भी खराब मिले। घटना के बाद से निवासियों में काफी रोष है। उन्होंने सोसाइटी की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। निवासियों ने बताया कि शुक्रवार शाम टावर ई में 14वीं मंजिल पर राजू शर्मा के फ्लैट में जन्मदिन की पार्टी थी। सोसाइटी के अलग-अलग टावर के बच्चे भी पार्टी में शामिल होने पहुंचे थे। रात करीब 9:40 बजे सात बच्चे घर जाने के लिए निकले थे।
इसी लिफ्ट में फंसे थे बच्चे

अचानक झटके के साथ लिफ्ट 14वीं मंजिल पर ही अटक गई। काफी देर फंसे रहने के बाद कुछ निवासियों ने बच्चों के चिल्लाने की आवाज सुनी। उन्होंने आपातकालीन नंबर पर फोन किया, लेकिन वह बंद मिला।

लिफ्ट में फंसे बच्चे
इसके बाद लोगों ने टावर के सुरक्षाकर्मी को सूचना दी, लेकिन उसके पास लिफ्ट खोलने की चाबी नहीं थी। सोसाइटी के मुख्य गेट पर चाबी लाने की सूचना दी गई। ऐसे में चाबी लाने में करीब 40 मिनट लग गए। इसके बाद बच्चों को बाहर निकाला गया।
gulshan society

खराब मिला लिफ्ट में लगा सीसीटीवी कैमरा
निवासियों ने बताया कि लिफ्ट में सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ था। शनिवार को निवासी फुटेज देखने पहुंचे तो पता चला कि लिफ्ट का सीसीटीवी कैमरा खराब है। मेंटेनेंस टीम से जवाब मांगा गया तो उन्होंने बताया कि कई टावर के सीसीटीवी कैमरे खराब हैं, इन्हें ठीक कराने के लिए कंपनी से शिकायत की गई है।
ग्रेनो वेस्ट की सोसाइटियों में लगातार बच्चों के लिफ्ट में फंसने की घटना हो रही है। कुछ दिन पहले पैरामाउंट इमोशंस सोसाइटी में एक बच्चा 50 मिनट तक लिफ्ट में फंसा रहा था।

इसी लिफ्ट में फंसे बच्चे

इससे बच्चा काफी दिन तक सदमे में रहा था। परिजनों के साथ निवासियों ने बिल्डर की शिकायत पुलिस से की थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। वहीं, सभी सोसाइटियों में लिफ्ट की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने में लापरवाही बरती जा रही है। प्राधिकरण से भी लोगों को कोई मदद नहीं मिल रही है।
फाइल फोटो

तीन बच्चों ने नहीं ली लिफ्ट
लिफ्ट में करीब 40 मिनट तक फंसने के कारण बच्चे काफी डर गए थे। बाहर निकलने के बाद तीन बच्चों ने नीचे जाने के लिए फिर लिफ्ट नहीं ली। वे 14वीं मंजिल से नीचे सीढि़यों से उतरे। चार बच्चों को लोग लिफ्ट से नीचे लेकर गए। घटना के बाद से सातों बच्चें काफी सहमे और डरे हुए हैं।
सोसाइटी के निवासी अविनाश सिंह
दूसरे टावर में जाने के कारण लगा समय
मेंटेनेंस टीम का कहना है कि सीसीटीवी कैमरों को ठीक करने की शिकायत कई दिन पहले की जा चुकी है। घटना के समय चाबी मुख्य गेट के पास सुरक्षा रूम में रखी थी। जल्दबाजी में सुरक्षाकर्मी किसी अन्य टावर में रेस्कयू करने पहुंच गए थे। इस कारण कुछ समय लगा। मेंटेनेंस टीम ने बच्चों की गलती के कारण लिफ्ट फंसने की भी बात कही है। बता दें कि सोसाइटी के इसी टावर ई में लिफ्ट फंसने से कुछ देर पहले ही एक फ्लैट की बालकनी में आग लग गई थी।
शिवेंद्र सिंह, निवासी
सोसाइटी में सुविधाओं से जुड़ी काफी समस्याएं हैं। बार-बार बैठक कर उनका समाधान कराने की मांग की जाती है, लेकिन कुछ नहीं होता है। यह हादसा भी उसी का नतीजा है।

लग्जरी सुविधाओं के नाम पर मेंटेनेंस शुल्क लिया जा रहा है, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था समेत सभी सुविधाओं का बुरा हाल है। लिफ्ट में बच्चे फंस रहे हैं। प्राधिकरण भी कार्रवाई नहीं करता है 

फाइल फोटो
बाथरूम जाते वक्त भी डर के कारण दरवाजा बंद नहीं करते बच्चे
मनोवैज्ञानिक डा. अभय सिंह तोमर का कहना है कि लिफ्ट में फंसे बच्चे क्लास्ट्रोफोबिया (बंद स्थान पर फंसने पर बचकर नहीं निकल पाने की सोच) से भी पीड़ित हो सकते हैं। उनके मन में खौफ और डर बैठ जाता है। ऐसे बच्चे बाथरूम जाते वक्त भी डर के कारण दरवाजा तक नहीं बंद करते। दूसरी बार लिफ्ट में जाने की जगह कई-कई मंजिल तक सीढि़यों से ही आना-जाना पसंद करते हैं। बच्चों में पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (सदमे की स्थिति) भी हो सकती है। यदि सही समय पर बच्चों की काउंसलिंग न हो तो बच्चे अवसाद से भी पीड़ित हो जाते हैं। आजकल सोसाइटी में यह घटनाएं आम हो गई हैं। यदि लिफ्ट में कांच के दरवाजे हों तो भी काफी हद तक बच्चों या अन्य आयु वर्ग के लोगों को कम दिक्कत होगी।