मोबाइल टावरों की स्थापना के लिए बिजली ट्रांसफार्मरों के लिए जगह का निरीक्षण करने की ऐवज में रिश्वत लेने वाले आरोपी बिजली बोर्ड के जेई को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम एलडी विशेष न्यायाधीश ने दोषी करार दिया है। विशेष न्यायाधीश ज्योत्सना सुमंत डढवाल ने आरोपी को दोषी करार देते हुए दो साल का कठोर कारावास और जुर्माना भी लगाया है। विशेष न्यायाधीश ने आरोपी धनीराम बरागटा को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 13 (2) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया है। जिला न्यायावादी संदीप अत्री ने मामले की पैरवी की है। उन्होंने बताया कि 30 अप्रैल, 2012 को सुगम गुप्ता पुत्र राजेश कुमार फिल्ड एग्जीक्यूटिव प्रोटॉन प्राइवेट लिमिटेड रोहिणी दिल्ली ने एसपी एसवी एंड एसीबी, शिमला में विद्युत बोर्ड चौपाल में जेई के पद पर तैनात धनी राम बरागटा के खिलाफ एक शिकायत प्रस्तुत की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कंपनी चौपाल क्षेत्र में टॉवर का विद्युतीकरण करना चाहती थी और कंपनी द्वारा उन्हें उनकी देखरेख में काम करने का काम सौंपा गया था।
बिजली का विद्युतीकरण करने के लिए, कंपनी को एचपीएसईबी के संबंधित अधिकारी से एक अनुमान/ स्थल निरीक्षण प्राप्त करना होता है। इन दोनों स्थलों अर्थात मुंडई-चौपल-06, बीजेएमएल-01 और डीआरएलए-02 कुपवी का अनुमान प्राप्त करने के लिए उन्होंने विद्युत बोर्ड चौपाल के कार्यालय में आवेदन किया था और जेई को आवेदन दिया गया था और उपरोक्त प्रस्तावित स्थलों का अनुमान तैयार था, लेकिन संबंधित अधिकारी के मौखिक अनुरोधों के बावजूद भी वह इसका निरीक्षण नहीं कर रहे थे और इसकी ऐवज में रिश्वत की मांग की जा रही थी। विजिलेंस थाना शिमला में यह मामला दर्ज किया गया। जेई के पुत्र के खाते में 25 हजार रुपए डाले गए, जिसे जेई ने एटीएम के माध्यम से निकाले। 23000 रुपए आरोपी से वसूल कर लिए, जबकि 2000 की वसूली नहीं की जा सकी। जांच एजेंसी विजिलेंस थाना से जांच प्रक्रिया पूरी होने के उपरांत मामला अदालत में पेश किया गया, जहां से एलडी विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) शिमला ज्योत्सना सुमंत डडवाल ने आरोपी को दोषी करार दिया है।