राज्य के बागवानी विकास अधिकारियों (एचडीओ) के लिए डॉ वाई एस परमार औद्यानिकी
और वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय, द्वारा 'फलों की उत्पादकता
में वृद्धि' पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
बागवानी विभाग द्वारा प्रायोजित प्रशिक्षण में राज्य के विभिन्न हिस्सों से 24 एचडीओ ने
भाग लिया। प्रशिक्षुओं को कैनोपी विकास, बगीचों का प्रबंधन, मिट्टी और पौधों का पोषण,
जल संचयन संरचनाओं के साथ-साथ फसलों में रोग और कीट प्रबंधन के बारे में प्रशिक्षित
किया गया। उच्च घनत्व वाले सेब के बागानों में उपयोग की जा रही नवीनतम तकनीकों के
बारे में जानकारी के लिए प्रशिक्षुओं ने केवीके सोलन का भी दौरा किया।
समापन समारोह के दौरान कुलपति डॉ. परविंदर कौशल ने प्रतिभागियों से सक्रिय बनने और
सरकारी योजनाओं के साथ-साथ विश्वविद्यालयों में की जा रही नवीन तकनीकों और
अनुसंधान का लाभ किसानों तक पहुंचे, यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया की। उन्होंने
कहा कि लाइन विभाग के कार्यरत युवा द्वारा फील्ड में किए जा रहे कार्यों को देखकर खुशी
होती है, लेकिन नई प्रौद्योगिकियों, क़िस्मों का चयन, प्रबंधन तकनीकों को बढ़ावा देने की
चुनौतियों से ठीक से निपटने की जरूरत है ताकि किसानों की आय में बढ़ोतरी और समग्र
अर्थव्यवस्था में सुधार के दोहरे लक्ष्यों को पूरा किया जा सके।
डॉ. कौशल ने कहा कि राज्य में कई प्रतिष्ठित कृषि-बागवानी परियोजनाएं लागू की जा रही
हैं, जिससे न केवल किसानों को लाभ बल्कि बुनियादी ढांचे का विकास भी हुआ है। उन्होंने
अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी कि किसान फसल विविधीकरण को
अपनाएं, विशेष रूप से ज्यादा शेल्फ लाइफ वाले उत्पाद। यह बताते हुए कि विश्वविद्यालय ने
नौणी में चार साल के उच्च घनत्व वाले सेब के बगीचे में 42 मीट्रिक टन से अधिक
उत्पादकता हासिल की है, डॉ कौशल ने कहा कि अब समय आ गया है कि किसानों की फील्ड
में उसी सफलता को दोहराया जाए। उन्होंने प्रतिभागियों से विश्वविद्यालय और कृषि
बागवानी क्षेत्र की नवीनतम जानकारी के बारे में जानने का आग्रह किया।
उन्होंने ग्रामीण युवाओं को हाई-टेक नर्सरी उत्पादन और खाद्य प्रसंस्करण में उद्यमी बनने
के लिए प्रेरित करने पर विशेष जोर दिया। विश्वविद्यालय द्वारा खाद्य प्रसंस्करण के लिए
विकसित कई प्रोटोकॉल का प्रसार इस क्षेत्र में मददगार हो सकता है।
उन्होंने अधिकारियों से पुराने बगीचों में उचित पृनिंग की कमी के मुद्दे को हल करने के
लिए युवाओं को प्रशिक्षित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कृषि उत्पादों के विपणन के लिए
बेहतर समर्थन प्रदान करने के लिए डेटा इकट्ठा करने के लिए क्षेत्र सर्वेक्षण करने के साथ-
साथ परागण सेवाओं के लिए मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया।
निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने यह सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया कि
किसान विश्वविद्यालय द्वारा अनुशंसित विभिन्न फलों और सब्जियों के लिए नवीनतम
पैकेज ऑफ प्रैक्टिस को अपनाए। उन्होंने बताया कि महामारी के बाद विश्वविद्यालय में यह
पहला ऑफ़लाइन प्रशिक्षण था और विश्वविद्यालय पिछले कई महीनों से ऑनलाइन प्रशिक्षण
गतिविधियों का सफलतापूर्वक आयोजन कर रहा है। प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. मनिका तोमर
ने प्रतिभागियों को विश्वविद्यालय के विभिन्न आधिकारिक सोशल मीडिया प्लैटफ़ार्म के बारे
में अवगत कराया जहां तकनीकी वीडियो नियमित रूप से साझा किए जा रहे हैं। संयुक्त
निदेशक (प्रशिक्षण) डॉ. सी.एल. ठाकुर द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। इस
कार्यक्रम में डॉ डीडी शर्मा, डीन थुनाग महाविद्यालय; डॉ अनिल सूद, संयुक्त निदेशक (संचार),
ओएसडी डॉ एमके ब्रह्मी सहित विस्तार शिक्षा संकाय डॉ पीके बवेजा, डॉ वीके चौधरी और डॉ
रेशमा नेगी ने भाग लिया।