ब्रिटिश उच्चायुक्त बोले, कोविड-19 के बाद चीन की अर्थव्यवस्था को अनदेखा नहीं कर सकते

इस कार्यक्रम में सीईए ने वित्त को महत्वपूर्ण करार देते हुए कहा कि सार्वजनिक, निजी और बहुपक्षीय स्रोतों से कोष जुटाने की  जरूरत है।

भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स एलिस ने कोविड 19 के बाद की परिस्थितियों को लेकर चीनी अर्थव्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। एलिस ने एक कार्यक्रम में कहा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग, चीनी प्रशासन/सरकार का कोविड-19 के बाद का बर्ताव हम सभी को यह सोचने पर मजबूर कर रहा है कि उनका आर्थिक संकेतक केवल यही नहीं, बल्कि उसका एक भू-राजनीतिक पक्ष है, जिसे हम अनदेखा नहीं कर सकते।

विकसित देशों में जलवायु नीतियों के लिए बहुत कम समर्थन: मुख्य आर्थिक सलाहकार
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने सोमवार को कहा कि विकसित देशों को अपने नागरिकों को जलवायु परिवर्तन से निपटने की नीति अपनाने की आवश्यकता के बारे में समझाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि समृद्ध देशों में जीवाश्म ईंधन पर कर सहित जलवायु नीतियों के मामले में बहुत कम समर्थन है। नागेश्वरन ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये विकसित देशों की तरफ से गरीब देशों को वित्तपोषण का जिक्र करते हुए कहा कि यह वास्तविकता से कोसों दूर है क्योंकि उनके अपने देशों में ही काफी चुनौतियां हैं।

उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि उच्च आय वाले देशों में जीवाश्म ईंधन पर कर सहित जलवायु नीतियों के मामले में बहुत कम समर्थन है। सीईए ने कहा कि वास्तव में विकसित देशों के समक्ष घरेलू स्तर पर भी बड़ी चुनौतियां हैं। इसमें से एक चुनौती अपने लोगों को जलवायु परिवर्तन से निपटने की नीति अपनाने की आवश्यकता के बारे में समझाने की भी है। उन्होंने कहा कि उनके समक्ष वित्तीय रूप से स्वयं को प्रभावित किए बिना अपने देशों में जलवायु नीतियां बनाने को लेकर भी बड़ी समस्या है।

नागेश्वरन ने एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया में हरित नीति के लिए समर्थन सबसे कम है। विशेष रूप से जो देश कार्बन कर का विरोध कर रहे हैं, वे ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, डेनमार्क, जर्मनी, ब्रिटेन और अमेरिका हैं। उन्होंने कहा कि इसीलिए जब हम विकसित देशों से वित्तपोषण पर गौर करते हैं, तो वह वास्तविकता से कोसों दूर लगता है। क्योंकि उनके समक्ष घरेलू स्तर पर ही कहीं अधिक बड़ी चुनौतियां हैं।

सीईए ने वित्त को महत्वपूर्ण करार देते हुए कहा कि सार्वजनिक, निजी और बहुपक्षीय स्रोतों से कोष जुटाने की  जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बुनियादी ढांचे के विकास की जरूरत है और संपत्ति को बाजार पर चढ़ाने का मतलब संपत्ति की आर्थिक दक्षता को बढ़ाना है।
नई शिक्षा नीति पर अधिकारियों से चर्चा करेगा ब्रिटिश विवि का दल
ब्रिटेन के 22 विश्वविद्यालयों का एक प्रतिनिधिमंडल पांच दिवसीय दौरे पर भारत आ रहा है। ब्रिटिश सरकार के शीर्ष अधिकारियों के मुताबिक छह से 10 जून तक अपनी यात्रा के दौरान यह दल भारतीय अधिकारियों के साथ नई शिक्षा नीति से संबंधित सहयोग की संभावनाएं तलाशेगा।

ब्रिटेन के उच्च शिक्षा से जुड़े अधिकारियों का यह सबसे बड़ा शिष्टमंडल होगा। सांस्कृतिक संबंधों और शैक्षणिक अवसरों के लिए ब्रिटेन का अंतरराष्ट्रीय संगठन ब्रिटिश काउंसिल इस दल की मेजबानी करेगी।

भारत-ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार वार्ता का चौथा दौर अगले सप्ताह होगा: ब्रिटिश दूत
ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स एलिस ने सोमवार को कहा कि भारत-ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार वार्ता का अगला दौर अगले सप्ताह होगा। एलिस ने कहा, “ब्रिटेन अब यूरोपीय संघ में नहीं है और यह वास्तव में ब्रिटेन और भारत के बीच संबंधों को मजबूत करने का अच्छा अवसर है। मैं विशेष रूप से व्यापार के बारे में सोचता हूं जहां हम एक मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। हमारे पास अगले सप्ताह का अगला दौर होगा और दोनों प्रधानमंत्रियों ने वार्ताकारों से कहा है कि यह दिवाली तक हो जाएगा।”

ब्रिटिश उच्चायुक्त ने यह भी उल्लेख किया कि भारत का अंतरराष्ट्रीयकरण दुनिया के लिए सबसे महत्वपूर्ण दीर्घकालिक घटनाओं में से एक है और यह अपरिवर्तनीय है। बता दें कि भारत और ब्रिटेन ने इस साल जनवरी में मुक्त व्यापार समझौता वार्ता शुरू किया था। दोनों देश दोनों पक्षों के व्यवसायों को लाभ पहुंचाने के लिए त्वरित लाभ प्रदान करने के लिए एक अंतरिम समझौते की संभावना तलाश रहे हैं।