बॉर्डर रोड बार्डर रोड आर्गनाइजेशन (बीआरओ) ने पिछले दिनों लेह लद्दाख में उमलिंग ला पास में विश्व की सबसे ऊंची सड़क बनाकर इतिहास रच दिया. जिसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स ने मान्यता प्रदान की है, लेकिन इस रोड निर्माण में आए चैलेंज के बारे में शायद ही लोगों को पता होगा. आइए जानते हैं कि रोड निर्माण में बीआरओ को क्या-क्या चैलेंज आए हैं. कितनी मुसीबतें झेलकर यह कीर्तिमान स्थापित किया गया है.
लेह लद्दाख के उमलिंग ला पास रोड बनाना चैलेंज था, क्योंकि यहां पर आक्सीन की मात्रा कम रहती है. बीआरओ के अनुसार सामान्य स्थानों की तुलना यहां 60 फीसदी कम आक्सीजन रहती है. इसमें लगातार काम करते रहना चैलेंज था. इतना ही नहीं यहां का तापमान माइनस 40 डिग्री तक जाता है. रोड निर्माण के दौरान कई कर्मारियों के नाक से खून आना रहा. तो कई को बीपी हाई जैसी समस्या रही. कई ऐसे कर्मी भी रहे जिन्हें निर्माण के दौरान चक्कर आते रहे और आक्सीजन कम होने की वजह से हांफते रहे. इन परेशानियों के बावजूद बीआरओ ने काम जारी रखा और रोड बनाकर कीर्तिमान स्थापित किया.
निर्माण स्थल तक सिंगल लेन रोड थी, जिससे ट्रकों से निर्माण सामग्री पहुंचाना अपने आप में चुनौतीपूर्ण कार्य था. गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में भारत ने एलएसी के करीब वाले इलाकों में सड़क, ब्रिज और टनल जैसे बॉर्डर-इंफ्रास्ट्रक्चर का एक बड़ा जाल बिछा दिया है.
मोटरेबल रोड पर एक नजर
लेह लद्दाख में बीआरओ ने उमलिंग ला पास को मोटरेबल बना दिया है. यह मोटरेबल रोड 19024 फीट की ऊंचाई पर है. उमंलिग ला पास विश्व का सबसे ऊंचा मोटरेबल रोड है. यह एलएसी से केवल 15 किमी की दूरी पर है. यह रोड लेह चिसूम्ल और डेमचोक से जोड़ती है , जो 52 किमी लंबी है. इस सड़क के निर्माण से चुमार सेक्टर के सभी इलाकों की कनेक्टिविटी बढ़ जाएगी. यह सड़क इलाके की सामाजिक और आर्थिक उन्नति के साथ-साथ पर्यटन को भी बढ़ावा देगी.
बीआरओ ने इसे बना नया कीर्तिमान स्थापित किया है, इससे पूर्व बीआरओ ने बोलीविया के उतूरुंसू में 18953 फीट पर बनी रोड को विश्व की सबसे ऊंची रोड का दर्जा हासिल था. यह रोड एवरेस्ट बेसकैंप से भी ऊंचा है. नेपाल में दक्षिण बेस कैंप की ऊंचाई 17598 फीट, तिब्बत में उत्तर बेस कैंप 16900 फीट है. इसके अलावा रोड सियाचिन ग्लेसियर 17700 फीट से भी अधिक ऊंचाई पर बनाया गया है.