BSNL 4G Services : बीएसएनएल इस साल नवंबर से 4जी नेटवर्क सेवाएं (BSNL 4G) शुरू करेगा। यह अगले साल अगस्त तक धीरे-धीरे इसे 5जी में बदलेगा। कंपनी जो 4जी नेटवर्क उपकरण खरीद रही है, उसे सॉफ्टवेयर के जरिये 5जी में बदला जा सकेगा। एयरटेल (Airtel 5G) ने दिल्ली, मुंबई, वाराणसी, चेन्नै, बेंगलुरु समेत देश के 8 शहरों में 5जी सेवाएं देना शुरू कर दिया है।
नई दिल्ली : पीएम मोदी ने देश में शनिवार को 5जी मोबाइल सेवाओं (5G mobile services) की शुरुआत की है। इसके साथ ही एयरटेल (Airtel 5G) ने दिल्ली, मुंबई, वाराणसी, चेन्नै, बेंगलुरु समेत देश के 8 शहरों में 5जी सेवाएं देना शुरू कर दिया है। रिलायंस जियो (Reliance Jio 5G) दिसंबर 2023 तक सभी भारतीयों के लिए 5जी सेवाएं लेकर आएगा। दूसरी तरफ भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) अब जाकर अपने ग्राहकों को 4जी सेवाएं देगा। बीएसएनएल इस साल नवंबर से 4जी नेटवर्क सेवाएं (BSNL 4G) शुरू करेगा। यह अगले साल अगस्त तक धीरे-धीरे इसे 5जी में बदलेगा।
नवंबर से शुरू होंगी सेवाएं
बीएसएनएल की योजना 18 महीनों में लगभग 1.25 लाख 4जी मोबाइल साइट शुरू करने की है। सार्वजनिक क्षेत्र की इस दूरसंचार कंपनी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पीके पुरवार ने सोमवार को इंडिया मोबाइल कांग्रेस में यह जानकारी दी। पुरवार ने कहा, ‘‘कंपनी के 4जी नेटवर्क का सबसे पहला संचालन इस साल नवंबर में शुरू किया जाएगा।’’
टीसीएस के साथ चल रही बातचीत
कंपनी 4जी टेक्नोलॉजी को तैनात करने के लिए टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) और सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार अनुसंधान और विकास संगठन सी-डॉट के नेतृत्व वाले संघ के साथ चर्चा कर रही है। पुरवार ने कहा कि कंपनी जो 4जी नेटवर्क उपकरण खरीद रही है, उसे सॉफ्टवेयर के जरिये 5जी में बदला जा सकेगा। बीएसएनएल की 5जी सेवाओं को शुरू करने की योजना की समयसीमा के बारे में पूछे जाने पर पुरवार ने कहा कि कंपनी केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा निर्धारित 15 अगस्त, 2023 की समयसीमा के अनुसार 5जी को शुरू करने की राह पर है।
प्राइवेट प्लेयर्स के साथ प्रतिस्पर्धा क्यों नहीं कर पाई बीएसएनएल?
बीएसएनएल के पिछड़े रहने के पीछे तीन प्रमुख वजह सरकारी दखल, लाल फीताशाही और स्पेक्ट्रम नीलामी में भाग नहीं लेना है। बीएसएनएल साल 2000 में आई थी। उस समय इसमें भारत सरकार की 100 फीसदी हिस्सेदारी थी। यह दूरसंचार विभाग के नियंत्रण में रही। समय पर जरूरी सरकारी मंजूरियां नहीं मिलने के चलते यह निजी ऑपरेटर्स से पिछड़ती चली गई। वहीं, साल 2006 से 2012 की अवधि में इस कंपनी में लाला फीताशाही काफी अधिक देखने को मिली। बीएसएनएल में टेंडर की प्रक्रिया पूरे होने में ही महीनों लग जाते थे। इस अवधि में कंपनी की बाजार हिस्सेदारी में गिरावट आई और प्राइवेट प्लेयर काफी आगे निकल गए। नेटवर्क और अन्य कई समस्याओं के चलते ग्राहक परेशान रहने लगे और उन्होंने निजी कंपनियों का रुख किया। साल 2010 में जब 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी हुई, तो सरकारी कंपनी होने की वजह से बीएसएनएल ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। साल 2016 में 4जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के समय भी बीएसएनएल को बाहर रखा गया।