हिमाचल प्रदेश में पहली बार प्लास्टिक के टैंकों में मछली पालन किया जाएगा। इसके लिए मत्स्य पालन विभाग ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा के तहत बायोफ्लॉक योजना शुरू की है। मछली उत्पादन से किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए विभाग प्रदेश के सात जिलों में ट्राउट उत्पादन के लिए 120 नई इकाइयां शुरू करेगा। इसकी घोषणा सीएम ने बजट 2022-23 में की है। उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन क्षेत्र की क्षमता और संभावना को देखते हुए ट्राउट हैचरी, मछली फीड मील और बर्फ संयंत्र भी स्थापित किए जाएंगे।
प्रदेश में बिलासपुर के कोलडैम, कुल्लू और मंडी में ही वर्तमान में ट्राउट उत्पादन किया जा रहा है, लेकिन अब विभाग कांगड़ा, चंबा, शिमला, सिरमौर और किन्नौर में भी ट्राउट उत्पादन की यूनिट लगाएगा। इसमें प्रति यूनिट लगाने का खर्च 5.5 लाख रहेगा। वहीं, अनुकूल वातावरण की बात करें तो ट्राउट तैयार करने के लिए मंडी और कुल्लू सबसे बेहतर जिले हैं। इस कारण दोनों जिलों में सबसे ज्यादा इकाइयां स्थापित होंगी। बताते चलें कि विभाग इन ट्राउट इकाइयों को लगाने के लिए प्रदेश भर में 6.60 करोड़ रुपये खर्च करेगा।
उधर, प्लास्टिक के टैंक में मछली पालन के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया जाता है। मत्स्य विभाग के निदेशक सतपाल मेहता ने बताया कि अभी तक प्रदेश में बिलासपुर जिला के जुखाला और तलाई में इस योजना के तहत टैंक लगाए जा रहे हैं। इनमें से तलाई का टैंक तैयार है और जुखाला में तैयार हो रहा है। एक टैंक की लागत 14 और दूसरे की 25 लाख है। 25 लाख की योजना में 40 फीसदी सब्सिडी सामान्य वर्ग के लिए है, जबकि अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग और महिलाओं को 60 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी।