Budhwa Mangal Kab Hai: बुढ़वा मंगल का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि बुढ़वा मंगल के दिन हनुमानजी की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति की मनोकामना जल्दी पूरी होती है। तो आइए जानते हैं कब है बुढ़वा मंगल। क्या है इसकी मान्यता और इतिहास।
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बुढ़वा मंगल का इतिहास
बुढ़वा मंगल का इतिहास महाभारत और रामायण से जुड़ा हुआ है। बुढ़वा मंगल को लेकर मान्यता है कि एक बार भीम को अपनी शक्तियों पर बहुत घमंड हो गया था। तभी वहां हनुमानजी बूढ़े वानर का रूप लेकर आ गए और भीम को सबक सिखाया उन्होंने भीम को परास्त कर दिया। तभी से इस दिन को बुढ़वा मंगल के नाम से जाना जाता है।
रामायण काल से बुढ़वा मंगल का क्या है इतिहास
बुढ़वा मंगल को लेकर रामायण काल से जुड़ी भी एक कहानी है। जिसके अनुसार, जब हनुमानजी माता सीता को खोजते हुए जब लंका पहुंचे तो वहां रावण ने उन्हें वानर बोलकर उनका मजाक उड़ाया। तब हनुमान जी ने लंका को अपनी पूंछ से जला दिया और रावण का घमंड चकनाचूर कर दिया।
बुढ़वा मंगल के दिन जरूर करें ये काम
बुढ़वा मंगल के दिन हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें। इसके अलावा बजरंग बाण का पाठ करना और सुंदरकांड का पाठ करने से भक्तों को हनुमानजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती है।