हिमाचल में घर बनाना और महंगा: 500 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ गया सरिया, सीमेंट न मिलने से पंचायतों में रुके विकास कार्य

बीते सोमवार को एक ही दिन में सरिया के दाम में 200 रुपये का उछाल आया है। दो महीने के भीतर सरिया एक हजार रुपये महंगा हो चुका है। सीमेंट के दामों में भी करीब एक महीना पहले बढ़ोतरी हुई है। सीमेंट के दाम 425 रुपये प्रति बैग है। एक हजार ईंट 10 हजार रुपये में मिल रही हैं।
हिमाचल प्रदेश में घर बनाना अब और महंगा हो गया है। एक सप्ताह के भीतर प्रति क्विंटल सरिया के दाम 500 रुपये बढ़ गए हैं। पिछले सप्ताह सरिया प्रति क्विंटल 6500 रुपये में बिक रहा था, अब कीमत 7000 रुपये हो गई है। बीते सोमवार को एक ही दिन में सरिया के दाम में 200 रुपये का उछाल आया है। दो महीने के भीतर सरिया एक हजार रुपये महंगा हो चुका है। सीमेंट के दामों में भी करीब एक महीना पहले बढ़ोतरी हुई है। सीमेंट के दाम 425 रुपये प्रति बैग है। एक हजार ईंट 10 हजार रुपये में मिल रही हैं। रेत की गाड़ी 18 हजार और बजरी की गाड़ी करीब 17 हजार रुपये में मिल रही है। ऐसे में घर बना रहे लोगों का बजट बिगड़ गया है।

कुछ कारोबारी कीमतें बढ़ने की वजह यूक्रेन-रूस के युद्ध को बता रहे हैं। दलील दी जा रही है कि बाहर से आयात होने वाले कच्चे माल के दाम बढ़ने से सरिया महंगा हुआ है। कारोबारी शिवांश इंटरप्राइजिज और सत्यम शर्मा एंड संज के मालिक ने बताया कि उद्योगों से माल की कमी है। उद्योग कह रहे हैं कि माल चाहिए तो बढ़े दामों पर ही मिलेगा। दाम बढ़ने का कारण पूछा जाता है तो कोई कोयले के दाम में बढ़ोतरी का तर्क देता है तो कोई युद्ध की वजह से कच्चे माल की कीमत बढ़ने की बात कहता है। उन्होंने कहा कि उद्योगों पर नियंत्रण होना चाहिए। 

ठेकेदारों ने टेंडर भरना छोड़ा: नवनीत ठाकुर
होट मिक्स प्लांट एसोसिएशन कांगड़ा-चंबा के चेयरमैन नवनीत ठाकुर ने बताया कि सरिया, सीमेंट और रेत बजरी सहित अन्य सामान के दामों में काफी उछाल आया है। इसके चलते ठेकेदार यूनियन ने नए टेंडर न डालने का फैसला लिया है। यह फैसला तब तक जारी रहेगा, जब तक प्रदेश सरकार कोई निर्धारित रेट तय नहीं कर देती। 

सरिया         19 फरवरी    8 मार्च
12 एमएम    6750        8100            
16 एमएम    6850        8200
10 एमएम    6950        8300
8 एमएम      7050        8400

सीमेंट    पहले     अब
पीसीसी  425     435
गोल्ड   455      475

सीमेंट नहीं मिलने से पंचायतों में रुके विकास कार्य

हिमाचल प्रदेश की पंचायतों में मनरेगा के तहत किए जाने वाले विकास कार्यों के लिए पिछले आठ-नौ माह से सीमेंट नहीं मिल रहा है। इससे विकास कार्य ठप हो गए हैं। हिमाचल प्रदेश की पंचायतों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत कई विकास कार्य शुरू किए गए हैं, लेकिन सीमेंट नहीं पहुंचने से काम लटक गए हैं। इससे मनरेगा मजदूरों को रोजगार भी नहीं मिल रहा है। हालात यह हैं कि सीमेंट न होने से मनरेगा के तहत दिहाड़ी लगाकर गुजर-बसर करने वाले मजदूर बेकार बैठे हैं। संबंधित पंचायत प्रधानों से कार्य शुरू करने की लगातार मांग कर रहे हैं।

विकास खंड धर्मशाला के तहत प्रधान-उपप्रधान संगठन के प्रधान सुरेश कुमार ने बताया कि पिछले आठ-नौ माह से पंचायतों में सीमेंट नहीं आ रहा है। इससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सीमेंट कार्य शुरू करने से पहले एक मस्टररोल लगाना पड़ता है। इसमें कुछ सामान एकत्रित किया जाता है। पंचायतों में मस्टररोल के तहत सामान तो इकट्ठा कर लिया गया, लेकिन अभी सीमेंट नहीं पहुंचा है। कार्यस्थल पर मनरेगा मजदूरों की ओर से एकत्रित किया गया रेत-बजरी और पत्थर भी गायब हो चुका है।

वित्तायोग के तहत किए जा रहे कार्यों के लिए सीमेंट आ रहा है, लेकिन मनरेगा के तहत किए जाने वाले कार्यों के लिए सिविल सप्लाई विभाग सीमेंट भेजता है। इसके लिए एडवांस पैसा जमा करवाना पड़ता है। यह पैसा शिमला से आता है। हो सकता है पैसा नहीं आया हो, जिसके चलते सीमेंट की सप्लाई रुकी हो। – अश्वनी शर्मा, जिला पंचायत अधिकारी, कांगड़ा