बुर्राक ड्रोन एक अनमैंड कॉम्बेट एरियल व्हीकल है। इसे पाकिस्तान की नेशनल इंजीनियरिंग एंड साइंटिफिक कमीशन और पाकिस्तानी वायु सेना ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। पाकिस्तान ने इस ड्रोन को विकसित करने के लिए अमेरिका पर अपने शक्तिशाली प्रीडेटर ड्रोन देने का दबाव डाला था। उस सम अमेरिका प्रीडेटर ड्रोन की मदद से पाकिस्तान के उत्तर पश्चिमी इलाकों में हवाई हमले कर रहा था।
इस्लामाबाद: पाकिस्तानी वायु सेना भारत से लगी सीमा पर जासूसी के लिए बुर्राक ड्रोन का इस्तेमाल कर रही है। हाल में ही बुर्राक ड्रोन पाकिस्तान के पंजाब सूबे में स्थित पाकिस्तानी वायु सेना के मुरीद एयरबेस पर नजर आया है। पाक वायु सेना पहले से ही मुरीद एयरबेस से तुर्की से खरीदे गए बायरकटार टीबी-2 ड्रोन का संचालन करती है। इस ड्रोन को मुख्य रूप से भारत से लगी सीमा पर जासूसी और निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। बुर्राक ड्रोन पाकिस्तान के पंजाब से उड़ान भरने के बाद जम्मू तक के क्षेत्र को आसानी से कवर कर सकता है। हालांकि, भारतीय सीमा पर लगे सर्विलांस रडार और सैनिकों की मौजूदगी के कारण यह ड्रोन सीमा पार करने की हिमाकत नहीं कर सकता।
पाकिस्तान ने कैसे बनाया बुर्राक ड्रोन
बुर्राक ड्रोन एक अनमैंड कॉम्बेट एरियल व्हीकल है। इसे पाकिस्तान की नेशनल इंजीनियरिंग एंड साइंटिफिक कमीशन और पाकिस्तानी वायु सेना ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। पाकिस्तान ने इस ड्रोन को विकसित करने के लिए अमेरिका पर अपने शक्तिशाली प्रीडेटर ड्रोन देने का दबाव डाला था। उस सम अमेरिका प्रीडेटर ड्रोन की मदद से पाकिस्तान के उत्तर पश्चिमी इलाकों में हवाई हमले कर रहा था। लेकिन, ड्रोन की टेक्नोलॉजी लीक होने के डर से अमेरिका ने पाकिस्तान को प्रीडेटर ड्रोन बेचने से मना कर दिया। इसी के बाद पाकिस्तान ने 2009 में बुर्राक ड्रोन के विकास का काम शुरू किया। इसके लिए पाकिस्तानी वायु सेना ने नेशनल इंजीनियरिंग एंड साइंटिफिक कमीशन के साथ करार किया।
पाकिस्तान ने गोपनीय तरीके से किया निर्माण
पाकिस्तान ने काफी गुप्त तरीके से बुर्राक ड्रोन परियोना पर काम करना शुरू किया। 2012 में चीन ने पाकिस्तान के इस ड्रोन को बेचकर मदद करने की पेशकश की, लेकिन कोई भी देश खरीदने को तैयार नहीं हुआ। दुनियाभर में सैन्य विशेषज्ञों ने पाकिस्तान के बुर्राक ड्रोन की ताकत पर सवाल उठाए। बुर्राक के पहले कुछ मॉडल सिर्फ निगरानी और खुफिया जानकारी एकत्र करने में सक्षम थे। उनमें किसी भी प्रकार के आक्रामक युद्ध क्षमता का अभाव था। इनमें से कुछ शुरुआती मॉडल का इस्तेमाल पाकिस्तानी सेना ने आतंकवादियों को पकड़ने के लिए किया था। कॉम्बेट ताकत वाले बुर्राक ड्रोन का पहला सार्वजनिक प्रदर्शन 2015 में किया गया था।
प्रीडेटर और रेनबो ड्रोन की कॉपी है पाकिस्तान का बुर्राक
बुर्राक को अमेरिकी एमक्यू-1 प्रीडेटर ड्रोन, चीनी सीएएससी रेनबो सीएच-3 ए और इटालियन सेलेक्स ईएस फाल्को की कॉपी माना जाता है। बुर्राक प्रोग्राम के बारे में पॉपुलर साइंस ने कहा था कि इस ड्रोन के जरिए पाकिस्तान अब अमेरिका के बिना, अपने दम पर ड्रोन हमले कर सकता है। बुर्राक ड्रोन की पहली फ्लीट 2013 में ऑपरेशनल की गई थी। इसे शाहपर यूसीएवी के साथ पाकिस्तान वायु सेना और पाकिस्तान सेना में शामिल किया गया था। इसमें कई तरह की इमेजरी और मोशन सेंसर भी लगे हुए हैं। यह ड्रोन बारक नाम की एक लेजर गाइडेड हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल से हमला भी कर सकता है।
पाकिस्तान ने ड्रोन का नाम बुर्राक क्यों रखा
बुर्राक कुरान में उल्लेखित एक पवित्र नाम है। इस्लामी परंपराओं के अनुसार, बुर्राक एक घोड़ा है, जिसे स्वर्ग से एक प्राणी के रूप में वर्णित किया गया है। यही घोड़ा पैगंबर मोहम्मद साहब को मक्का से अल-अक्सा मस्जिद और फिर स्वर्ग में ले गया। ऐसे में पाकिस्तान ने इसी ईश्वरीय घोड़े के नाम पर अपने ड्रोन का नाम बुर्राक रखा है।