By breaking the pavement, the residents of the city are being forced to leave the speeding vehicles.

फुटपाथ को तोड़ कर शहर वासियों को तेज़ रफ्तार वाहनों से निकलने पर किया जा रहा मजबूर

परवाणु से शिमला तक फोरलेन का निर्माण किया जा रहा है।  इस रोड़ को बनाने के लिए बड़े बड़े इंजीनियर काम कर रहे है।  कई बार इस रोड़ का सर्वे भी किया गया। लेकिन उसके बावजूद भी सोलन शहर को किस तरह से फोरलेन  से जोड़ा जाएगा इसका शायद ही किसी को पता है।  सोलन शहर को जिस तरह से इस फोरलेन से जोड़ा गया है।  वह बेहद जोखिम भरा है। सोलन शहर से चण्डीगढ जाते और आते समय केवल एक ही सर्विस लेन से हो कर गुजरना पड़ता है।  वह भी जान हथेली पर लेकर।  जिसे देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि किसी भी अधिकारी और राजनीतिक प्रतिनिधि ने इस और कोई ध्यान नहीं दिया है। यह जिम्मेवारी सोलन प्रशासन और नगर निगम की थी।  लेकिन अभी तक उन्होंने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। यह आने वाले समय में सोलन में जाम का बड़ा कारण बनेगा और  फिर दुर्घटनाओं  को रोकना भी मुश्किल होगा।  क्योंकि पैदल यात्रियों के लिए भी वही सड़क है जहाँ से सोलन में वाहन और जाते हैं।  जिस कारण शहर वासियों ने भारी रोष व्यक्त किया है।
हाउसिंग बोर्ड  वासियों ने  रोष प्रकट करते हुए कहा कि  प्रशासन और  नगर निगम शायद उस समय का इंतज़ार कर रहा है जब कोई बड़ी घटना होगी और किसी शहर वासी की जान जाएगी। उन्होंने कहा कि शहरों में सड़क के किनारे प्रशासन और शासन द्वारा  पैदल चलने के लिए अलग से पाथ बनाया जाता है।  लेकिन सोलन शहर में उल्टा हो रहा है जो पैदल चलने का मार्ग था उसे तोड़ कर शहर वासिओ को उस सड़क पर चलने के लिए मजबूर किया जा रहा है जहाँ सैकड़ों तेज़ रफ्तार वाहन चल रहे हैं। वहीँ से बच्चों और बजुर्गों को गुजरना पड़ रहा है।  उन्होंने कहा कि कुछ वृद्ध लोग तो अब सोलन शहर  में जाना पसंद नहीं कर हैं क्योंकि वह इतने समर्थ नहीं है कि तेज़ रफ्तार वाहनों में से जान जोखिम में डाल कर निकल सकें।  उन्होंने कहा कि उन्हें फोरलेन निर्माण कार्य को देख कर ऐसा नहीं लग रहा है कि इसको किसी शिक्षित इंजीयनर ने डिज़ाइन किया है।  उन्होंने कहा कि सड़क की व्यस्था को देख कर कोई अनपढ़ भी बता देगा कि यातायात व्यवस्था दरुस्त नहीं है लेकिन उसके बावजूद भी अभी तक शासन और प्रशासन द्वारा कोई पहल नहीं की गई है।