कारगिल की लड़ाई से कुछ महीने पहले जब कैप्टेन विक्रम बत्रा अपने घर पालमपुर आए थे तो वो अपने दोस्तों को ‘ट्रीट’ देने ‘न्यूगल’ कैफ़े ले गए.
जब उनके एक दोस्त ने कहा, “अब तुम फ़ौज में हो. अपना ध्यान रखना…”तो उन्होंने जवाब दिया था, “चिंता मत करो. या तो मैं जीत के बाद तिरंगा लहरा कर आउंगा या फिर उसी तिरंगे में लिपट कर आउंगा. लेकिन आउंगा ज़रूर.”परमवीर चक्र विजेताओं पर किताब ‘द ब्रेव’ लिखने वाली रचना बिष्ट रावत बताती हैं, “विक्रम बत्रा कारगिल की लड़ाई का सबसे जाना पहचाना चेहरा थे.”