जैसे ही ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बने, भारत में उनको लेकर बहस तेज हो गई. विपक्ष के कई नेता उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद ये सवाल उठा रहे हैं कि भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के पीएम संभावना है या नहीं. ऐसे में सवाल पूछने वालों को अल्पसंख्यक समुदाय के डॉक्टर मनमोहन सिंह का उदाहरण दिया जा रहा है, जो मोदी सरकार से पहले 10 वर्षों तक देश का पीएम पद संभाल चुके हैं.
IAS का जवाब है चर्चा में
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वहीं देश के राष्ट्रपति के पद पर भी कई मुस्लिम और सिख समुदाय के नेता बैठ चुके हैं. इस विवाद पर एक आईएएस का ट्वीट बेहद चर्चा में हैं. ये आईएएस हैं कश्मीर के शाह फैसल. उन्होंने भारत में मुस्लिम समुदाय की स्थिति को लेकर अपनी बात रखी. 2009 के यूपीएससी टॉपर रहे शाह फैसल ने ट्वीट के माध्यम से कहा कि ‘मुसलमानों को भारत में जितनी आजादी मिली है, उतनी कथित मुस्लिम देशों में भी नहीं है. मौलाना आजाद से लेकर डॉ. मनमोहन सिंह, डॉ. जाकिर हुसैन से लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तक, भारत हमेशा से सबके लिए समान अवसरों वाला देश रहा है. फैसल के अनुसार, भारत में अल्पसंख्यकों के लिए शीर्ष पदों तक पहुंचने के रास्ते अब भी खुले हुए हैं और इस बात के गवाह वे खुद रहे हैं.
मुस्लिम देशों में होता है भेदभाव
ऋषि सुनक को लेकर चल रही बहस पर IAS शाह फैसल ने कहा कि, ‘हमारे पड़ोसी इस बात से हैरान हैं कि ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कैसे बन गए. ऐसा इसलिए है क्योंकि वहां का संविधान गैर-मुसलमानों को सरकार के शीर्ष पदों तक पहुंचने से रोकता है. लेकिन हमारे देश में ऐसा कभी नहीं होता. यहां पर संविधान में जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों को शुरू से ही बराबर के अधिकार दिए हैं और उनके साथ कभी भेदभाव नहीं किया है.’
अपनी बात रखते हुए IAS ने खुद का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि, ‘उनकी खुद की जिंदगी एक सफर की तरह है. वह 130 करोड़ देशवासियों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चले. उन्होंने यहां सभी के लिए अपनापन, सम्मान, प्रोत्साहन और हर मोड़ पर लाड़-प्यार को महसूस किया है. यही हमारा भारत है, जिसे हम इंडिया भी कहते हैं.’
कौन हैं IAS शाह फैसल?
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IAS शाह फैसल को कश्मीर के उस पहले युवा के रूप में जाना जाता है जिन्होंने साल 2009 में UPSC टॉप किया था. 10 साल तक सरकारी नौकरी करने के बाद साल 2019 में उन्होंने सरकार से इस्तीफा देकर अपनी जम्मू और कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी बनाते हुए राजनीति में प्रवेश किया. उसी दौरान सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया और कई शाह फैसल समेत कई नेताओं को अरेस्ट कर लिया. इसके बाद उनका मन राजनीति से उचट गया और उन्होंने सरकार को उनका इस्तीफा वापस लेने की एप्लीकेशन दी, जिसे सरकार ने लंबे विचार के बाद इस साल स्वीकार कर लिया. अब वह दोबारा बहाल हुए हैं.