नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (14 सितंबर) को भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) के संविधान में संशोधन की अनुमति दे दी है, जिससे इसके अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह के अनिवार्य ब्रेक (कूलिंग ऑफ पीरियड) पर जाए बगैर पद पर बने रहने का रास्ता साफ हो गया. बीसीसीआई ने अपने प्रस्तावित संशोधनों में अपने पदाधिकारियों के लिए अनिवार्य ब्रेक में ढील देने की मांग की थी, जिससे गांगुली और शाह को 30 सितंबर 2022 के बाद भी अगले तीन साल के कार्यकाल के लिए अध्यक्ष और सचिव के पद पर बने रहे. भारत के पूर्व कप्तान गांगुली और शाह अक्टूबर 2019 से बीसीसीआई में शीर्ष पदों पर रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही जय शाह के अगला बीसीसीआई अध्यक्ष बनने को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 15 राज्य संघों ने सचिन शाह को बीसीसीआई के अध्यक्ष के रूप में सपोर्ट किया है. कई सदस्यों ने महसूस किया कि जय शाह के प्रयासों के कारण ही इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) कोविड-19 महामारी के दौरान संभव हो पाई थी. इसी के साथ ही जय शाह ही कारण हैं कि आईपीएल 48,390 करोड़ रुपये के मीडिया अधिकार 48,390 हासिल कर पाया, जिससे बोर्ड के खजाने में बड़ी बढ़ोतरी हुई है. अगर ऐसा होता है तो 33 साल के जय शाह बीसीसीआई के सबसे युवा अध्यक्ष होंगे.
एक पदाधिकारी का लगातार 12 साल का कार्यकाल हो सकता है
बता दें कि न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने कहा कि एक पदाधिकारी का लगातार 12 साल का कार्यकाल हो सकता है जिसमें राज्य संघ में छह साल और बीसीसीआई में छह साल शामिल हैं, लेकिन इसके बाद तीन साल के ब्रेक पर जाना होगा. पीठ ने कहा कि एक पदाधिकारी बीसीसीआई और राज्य संघ दोनों स्तरों पर लगातार दो कार्यकाल के लिए एक विशेष पद पर काम कर सकता है, जिसके बाद उसे तीन साल का ब्रेक लेना होगा.
ब्रेक की अवधि का उद्देश्य अवांछित एकाधिकार नहीं बनने देना
पीठ ने कहा, ”ब्रेक की अवधि का उद्देश्य अवांछित एकाधिकार नहीं बनने देना है.” इससे पहले न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की अगुवाई वाली समिति ने बीसीसीआई में सुधारों की सिफारिश की थी, जिसे शीर्ष अदालत ने स्वीकार किया था. इसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वीकृत बीसीसीआई के संविधान के अनुसार राज्य क्रिकेट संघ या बीसीसीआई में तीन-तीन साल के लगातार दो कार्यकाल के बाद किसी भी व्यक्ति का तीन साल के ब्रेक पर जाना अनिवार्य था.
गांगुली जहां बंगाल क्रिकेट संघ में पदाधिकारी थे तो वहीं शाह गुजरात क्रिकेट संघ से जुड़े थे. इस फैसले के बाद बोर्ड के अंदर कई मुद्दों पर चर्चा शुरू हो गई है. इसमें सबसे अहम है कि क्या गांगुली को बीसीसीआई के अध्यक्ष के रूप में बने रहेंगे? या वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी पेश करेंगे? ऐसे में क्या जय शाह को बीसीसीआई के सदस्य अध्यक्ष के रूप में पदोन्नत करेंगे?
बीसीसीआई के अंदर में इस बात की भी चर्चा है जल्द ही चुनाव हो सकते है. बोर्ड के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर पीटीआई से कहा, ”बोर्ड में एजीएम (वार्षिक आम बैठक) के बाद चीजें बदल सकती हैं. जब तक नामांकन पत्र दाखिल नहीं हो जाते, तब तक आप कुछ नहीं कह सकते. यह कहना जल्दबाजी होगी कि एजीएम के बाद क्या होगा. हां, कोर्ट का फैसला वर्तमान पदाधिकारियों के पक्ष में है.”