ईडी, इनकम टैक्स या DRI के खिलाफ FIR कर सकते हैं राज्य? जानें क्या कहता है कानून

राज्यों की तरफ से अक्सर ये शिकायत रही है कि मोदी सरकार केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। ईडी, इनकम टैक्स, डीआरआई जैसी एजेंसियों का उपयोग विपक्षी नेताओं के खिलाफ किया जा रहा है। इस संबंध में सोमवार को छत्तीसगढ़ के सीएम ने अनावश्यक रूप से परेशान करने पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के अधिकारियों के खिलाफ ऐक्शन की बात कही।

नई दिल्ली : राज्यों की तरफ से केंद्र की मोदी सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर लगातार आरोप लगाए जा रहे हैं। हाल के दिनों में जिस तरह से ईडी, इनकम टैक्स और डीआरआई एजेंसियों की तरफ से ताबड़तोड़ छापेमारी की जा रही है, वह सबका ध्यान अपनी तरफ खींच रही हैं। खास बात है कि जिन लोगों पर छापे मारे जा रहे हैं उनमें से अधिकतर विपक्षी दलों के ही नेता हैं। ऐसे में विपक्षी दलों की सरकार वाले राज्यों के आरोपों को पूरी तरह से खारिज भी नहीं किया जा सकता है। हालांकि, केंद्र सरकार लगातार इस बात को दोहराता रहा है कि ये एजेंसियां स्वायत्त हैं और केंद्र सरकार की तरफ उनके कामकाज में कोई दखलंदाजी नहीं की जाती है। हकीकत क्या है इस पर पक्ष और विपक्ष लंबी बहस कर सकते हैं।

कब तक डरोगे…शिकायत कीजिए हम कार्रवाई करेंगे
इस बीच छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने एक कार्यक्रम के दौरान एक वक्ता के भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि हम कब तक डरेंगे, हम कब तक सहेंगे। ये डीआरआई, ईडी, इनकम टैक्स…इनसे डरने की जरूरत नहीं है। यदि आपको अनावश्यक रूप से तंग किया जाए छत्तीसगढ़ सरकार के मुखिया के रूप में मैं आपको विश्वास दिलाता हूं यदि वो अधिकारी आपको बेजा तंग करता है तो छत्तीसगढ़ के किसी भी थाने में एफआईआर कीजिएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी, ये मैं आपको विश्वास दिलाता हूं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि क्या राज्य सरकार ईडी, सीबीआई या इनकम टैक्स अधिकारी के खिलाफ ऐक्शन ले सकती है।

हाईकोर्ट ने खारिज की थी ईडी के खिलाफ FIR
पिछले साल केरल हाईकोर्ट ने ईडी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि क्राइम ब्रांच के पास ईडी के खिलाफ जांच जारी रखने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि किसी अन्य एजेंसी की तरफ से किसी बड़े मामले की जांच करने वाली केंद्रीय एजेंसी के खिलाफ मामला दर्ज करना असामान्य है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि केंद्रीय एजेंसी के खिलाफ न तो राज्य सरकार और ना ही पुलिस विभाग के पास कोई अधिकार है। वहीं, ईडी ने याचिका में तर्क में दिया था कि क्राइम ब्रांच के पास ईडी के खिलाफ केस दर्ज करने की पावर नहीं है। दरअसल, क्राइम ब्रांच ने ईडी के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया था। इसमें कहा गया था कि ईडी के अधिकारियों ने सीएम के खिलाफ बयान देने के लिए आरोपियों पर दबाव डाला था।

सीबीआई पर 9 राज्य लगा चुके हैं रोक
देश के 9 राज्यों मिजोरम, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र, केरल, झारखंड, पंजाब और मेघालय अपने यहां सीबीआई की जांच करने की सहमति को रद्द कर चुके हैं। ऐसे में सीबीआई अपनी तरफ से आपराधिक मामले दर्ज कर इन राज्यों में जांच नहीं कर सकती है। सीबीआई, दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 के तहत शासित होती है। इस अधिनियम 1946 की धारा 6 के अंतर्गत सीबीआई को जांच के लिए राज्यों द्वारा आम सहमति देने का प्रावधान है। ऐसे में सीबीआई के पास दिल्ली के साथ ही कि केवल केंद्र शासित प्रदेशों में अधिसूचित अपराधों की जांच करने की शक्ति है। अपराध का पता लगाना तथा कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य के अंतर्गत आता है। कानून के अनुसार सीबीआई को राज्यों की सहमति से ही राज्य के भीतर कार्य करने की अनुमति है। जहां तक संवैधानिक प्रावधान का संबंध है अपराध की जांच राज्य का विषय है। इसका दायित्व राज्य पुलिस का है।

ईडी के अधिकार के पक्ष में दिया था फैसला
इस साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय ने को प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत ईडी के मिले अधिकार को जायज ठहराया था। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले कहा कि पीएमएलए कानून में बदलाव सही है और ईडी की गिरफ्तारी की शक्ति भी सही है। यानी ईडी के पास जितने भी अधिकार हैं, उसे सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत किसी आरोपी की गिरफ्तारी गलत नहीं है। यानी शीर्ष अदालत ने ईडी के गिरफ्तारी के अधिकारी को बरकरार रखा था। शीर्ष अदालत के इस फैसले को कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना गया था। कांग्रेस ने फैसले से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सुप्रीम कोर्ट से पीएमएलए एक्ट को खत्म करने की मांग की थी।

इस तरह राज्य में एजेंसी से जुड़े किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ उत्पीड़न की शिकायत तो दर्ज की जा सकती हैं लेकिन केरल हाईकोर्ट के फैसले के संदर्भ में देखें तो राज्य सरकार के पास केंद्रीय जांच एजेंसियों के खिलाफ केस दर्ज करने का अधिकार नहीं है।