LNJP के डॉक्टर ने बताया कि इस आधुनिक मशीन से अगर प्राइवेट सेंटर में इलाज कराया जाए, तो खर्च 5 से 7 लाख रुपये आता है। जबकि लोअर एनर्जी वाली मशीन से इलाज का खर्च ढाई से तीन लाख रुपये है। एलएनजेपी में यह इलाज पूरी तरह से फ्री किया जाएगा। अस्पताल में औसतन हर साल ढाई हजार से ज्यादा कैंसर के मरीज आते हैं।
नई दिल्ली: एलएनजेपी अस्पताल में अब आधुनिक रेडिएशन मशीन से भी कैंसर के इलाज की सुविधा फ्री में उपलब्ध होगी। 25 करोड़ की लागत से यह मशीन मंगाई गई है, जो अब तक के कैंसर के इलाज में सबसे आधुनिक मशीनों में से एक हैं। हाई इंड एनर्जी वाली लीनियर एक्सीलेटर कैंसर मशीन कई मायनों में बाकी रेडिएशन मशीनों से बेहतर है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इसमें हाई डोज दिया जाता है, लेकिन बहुत कम समय के लिए। यानी हाई डोज की वजह से कम समय में इलाज पूरा हो जाता है। अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर सुरेश कुमार ने कहा कि नवंबर में इसकी शुरुआत कर दी जाएगी।
अस्पताल के कैंसर स्पेशलिस्ट ने कहा कि एलएनजेपी में जो मशीन लगाई गई है, वह हाई इंड एनर्जी है। इसमें 5 एनर्जी इलेक्ट्रॉन की है और 2 एनर्जी प्रोटॉन की है। इसके अलावा इसमें प्लेटिनिंग फिल्टर फ्री बीम है, जिससे हाई डोज रेट से रेडिएशन की जा सकती है और समय कम लगता है। कम समय के लिए हाई डोज देने से भी इलाज पूरा हो जाता है। डॉक्टर ने दावा किया कि एम्स में यह मशीन है, लेकिन एलएनजेपी की मशीन उससे भी आधुनिक है।
डॉक्टर का कहना है कि मशीन इंस्टॉल कर दी गई है, लेकिन अभी शुरू नहीं हुई है। रेगुलेटरी अथॉरिटी को पत्र लिख दिया गया है, वहां से अनुमति मिलने के बाद इसे शुरू किया जाएगा। पूरी उम्मीद है कि नवंबर तक इसकी शुरुआत हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इस एडवांस हाई एंड एनर्जी से कैंसर का इलाज उन मरीजों में किया जाता है, जिनमें फोसर रेडिएशन की जरूरत होती है। यह कम समय में बेहतर इलाज करती है।
एलएनजेपी के डॉक्टर ने बताया कि इस आधुनिक मशीन से अगर प्राइवेट सेंटर में इलाज कराया जाए, तो खर्च 5 से 7 लाख रुपये आता है। जबकि लोअर एनर्जी वाली मशीन से इलाज का खर्च ढाई से तीन लाख रुपये है। एलएनजेपी में यह इलाज पूरी तरह से फ्री किया जाएगा। अस्पताल में औसतन हर साल ढाई हजार से ज्यादा कैंसर के मरीज आते हैं। यहां कैंसर का डिपार्टमेंट एम्स से भी पुराना है। पीजी की पढ़ाई भी सबसे पहले यहां पर शुरू हुई थी। डॉक्टर ने कहा कि ट्रीटमेंट सेशन में कम समय लगता है, इसलिए अब हम ज्यादा मरीजों का इलाज उतने ही समय में कर पाएंगे। यह कैंसर के मरीजों के लिए वरदान साबित होगा।