कैंसर का सटीक इलाज खोजने के लिए दुनियाभर में अध्ययन जारी हैं। इस दिशा में वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने वैक्सीन ईजाद कर ली है। चूहों पर इसका टेस्ट उत्साहजनक रहा है। यह वैक्सीन न केवल कैंसर का ट्रीटमेंट करती हैं, बल्कि उसे रोकने में भी कारगर है।
नई दिल्ली: बीते कुछ सालों में पूरी दुनिया में कैंसर के मरीज बढ़े हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। इस बीमारी पर लगातार रिसर्च जारी हैं। वैज्ञानिकों के हाथों अब इस दिशा में बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। उन्होंने ब्रेन कैंसर की वैक्सीन बना ली है। यह वैक्सीन सिर्फ ब्रेन कैंसर को ठीक ही नहीं, बल्कि उसे होने से भी रोकती है। अभी चूहों पर इसका टेस्ट हुआ है। शुरुआती चरण में इसके शानदार रिजल्ट मिले हैं। इसने ट्यूमर और कैंसर सेल्स को खत्म किया है। उन्हें बढ़ने से रोकने में भी वैक्सीन मददगार साबित हुई है।
इस तरीके में जीवित कैंसर कोशिकाओं का इस्तेमाल किया गया है। इन्हें ट्यूमर का खात्मा करने के लिए उपयोग किया जाता है। ये उन्हीं सेल्स को टारगेट करती हैं जिनसे ट्यूमर बनता है। कैंसर कोशिकाओं का एक खास नेचर होता हे। यह उन्हें इम्यून मॉलीक्यूल के मुकाबले कैंसर खत्म करने के लिए ज्यादा क्षमतावान बनाता है। इस खूबी की वजह होती है इनका शरीर के अंदर ज्यादा लंबी दूरी तय कर पाना। ये कोशिकाएं उसी ट्यूमर तक पहुंचती हैं जिनसे पैदा होती हैं।
वैज्ञानिकों ने किया किस तकनीक का इस्तेमाल?
CRISPR, जिसे CRISP-CAS9 भी कहते हैं, की तर्ज पर ब्रिघम और बॉस्टन में वुमेंस हॉस्पिटल के वैज्ञानिकों ने एक तकनीक विकसित की है। उन्हें जीवित कैंसर कोशिकाओं के भीतर प्रोटीन को बदलने में सफलता मिली है। कैंसर को खत्म करने के लिए ये कोशिकाएं प्राइम ट्यूमर और अन्य सेल्स में बदल जाती हैं। इस तरह की प्रक्रिया में इम्यून सिस्टम शामिल होता है। यही वायरस के लिए वैक्सीन की तरह चूहों में इम्यून संबंधी मेमोरी के लिए जिम्मेदार बन जाता है।
आसान शब्दों में समझिए मतलब
इस शोध से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका पूरा आइडिया सिंपल है। आसान शब्दों में उन्होंने कैंसर कोशिकाओं को लिया है। फिर उन्हें कैंसर किलर और वैक्सीन में तब्दील कर दिया है। इसमें जीन इंजीनियरिंग का इस्तेमाल हुआ है। इसके जरिये एक उपचार तकनीक विकसित की गई है। इसमें कैंसर कोशिकाओं का दोबारा उत्पादन किया जाता है। ये ट्यूमर कोशिकाओं को खत्म करती हैं। प्राइमरी ट्यूमर को नष्ट करने के साथ ये कैंसर को रोकने के लिए इम्यून सिस्टम को भी स्टिम्यूलेट करती हैं।
तमाम तरह के कैंसर में ब्रेन कैंसर में बचने की दर सबसे कम होती है। इसमें 10 फीसदी से भी कम मरीज बच पाते हैं। निश्चित ही यह कैंसर रोगियों के साथ डॉक्टरों के लिए भी अच्छी खबर है।