Japan Road Safety Experiment : प्रयोग में पाया गया कि सुरक्षित होने के बावजूद लोग आंखों वाली कार के सामने सड़क पार करने में हिचक रहे थे जबकि बिना आंख वाली कार के सामने सहजता से सड़क पार कर रहे थे। इसका मतलब है कि यह नया प्रयोग सड़क हादसों को कम कर सकता है।
टोक्यो : जापान में कारों पर एक बिल्कुल नया प्रयोग किया जा रहा है। सड़क हादसों को रोकने के लिए कारों के आगे बड़ी-बड़ी आंखें लगाई जाएंगी। ये आर्टिफिशियल आंखें जापान की सेल्फ ड्राइविंग कार पर लगाई जाएंगी जो दाएं-बाएं घूम सकती हैं। जब ये कारें सड़क पर चलेंगी तो पैदल चलने वाले लोग इन्हें देखकर खुद सावधान हो जाएंगे जिससे पैदल यात्रियों के साथ होने वाले सड़क हादसों को कम किया जा सकेगा। फिर भी अगर गाड़ी के सामने कोई शख्स आ जाता है तो ये कार खुद रुक जाएगी। रोड एक्सिडेंट रोकने के लिए जापान बिल्कुल नई तकनीक पर काम कर रहा है।
खबरों के मुताबिक इंजीनियर्स का कहना है कि अगर कार पर लगी आंखें किसी भी दिशा में नहीं देख रही हैं तो इसका मतलब है कि कार पैदल चलने वालों को नहीं पहचान रही है। इसलिए पैदल यात्रियों को सड़क पार नहीं करनी चाहिए, नहीं तो कार उन्हें टक्कर मार सकती है। इसका मतलब है कि अगर कार यह पहचान ले कि उसके सामने कौन है तो सड़क हादसों में गिरावट आ सकती है। उम्मीद है कि गेज़िंग कार (देखने वाली कार) से पैदल यात्रियों के साथ कार एक्सिडेंट में कमी आ सकती है।
वर्चुअल रियलिटी पर आधारित प्रयोग
इंजीनियर्स ने प्रयोग के तौर पर गोल्फ बग्घी पर नकली आंखें लगाईं। ये आंखें दाएं और बाएं घूमती थीं जिन्हें रिसर्चर कंट्रोल कर रहे थे। आगे चलकर इस टेक्नोलॉजी को सेल्फ ड्राइविंग वाली कारों पर इस्तेमाल किया जाएगा जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से कंट्रोल होती हैं। वर्चुअल रियलिटी पर आधारित इस प्रयोग में इंजीनियर्स ने 9 पुरुषों और 9 महिलाओं को शामिल किया। आंख वाली गाड़ी के आगे से सड़क पार करने का फैसला वालंटियर्स को अपने विवेक से करना था।
आंखों वाली कार से सतर्क हुए लोग
इस प्रयोग में चार स्थितियां थीं। दो में कार पर आंखें लगी थीं और दो में कार बिना आंखों के थी। यह पाया गया कि सुरक्षित होने के बावजूद लोग आंखों वाली कार के सामने सड़क पार करने में हिचक रहे थे जबकि बिना आंख वाली कार के सामने सहजता से सड़क पार कर रहे थे। इसका मतलब है कि यह नया प्रयोग सड़क हादसों को कम कर सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो की शोधकर्ता शिया मिंग चांग ने कहा कि चार पुरुषों ने सड़क पार करने में रिस्क लिया जबकि महिलाओं ने ऐसा नहीं किया।