लाखों की कार फिर भी लंबा इंतजार, महामारी के बाद रिकवरी मोड में आई इकोनॉमी ने 5 गियरों से पकड़ी रफ्तार

नई दिल्ली. मेरे एक मित्र ने मुझे फोन करके शनिवार को डिनर पार्टी की दावत दी. उसे इतना खुश देखकर मुझे बड़ी हैरानी हुई क्योंकि बमुश्किल 6 महीने पहले कार शोरूम में मैनेजर ये मेरा दोस्त कार मार्केट में मंदी का रोना रो रहा था. वो डर रहा था कि कोविड की वजह से दो साल से फीकी रही दिवाली इस साल हैट्रिक ना लगा दे. लेकिन इस बार तो उसका अंदाज़ ऐसा था कि बेसुरा होने के बावजूद गाए जा रहा था… आओ झूमे गाएं.. मिलके धूम मचाएं. उसके मूड में आए इस यू-टर्न ने मुझे चौंका दिया. मैंने पूछा किस खुशी में पार्टी-शार्टी दे रहे हो. उसने तपाक से कहा गुरू त्यौहार मस्त रहने वाले हैं, इकोनॉमी का मूड अच्छा है.

मैंने तुरंत आर्थिक पैरामीटर देखने शुरू किए तो पाया कि वाकई अर्थव्यवस्था का मूड बदलने लगा है. महंगाई की रफ्तार अब धीमी पड़ने लगी है. इस मोर्चे पर भारत का हाल ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और अमेरिका जैसे विकसित देशों के मुकाबले बेहतर रहा है. इन देशों में जुलाई में रिटेल महंगाई रिकॉर्ड 8.5 से 10 परसेंट रही लेकिन भारत में ये 6.5 परसेंट के आसपास ही है.

आंकड़े और लोगों के चेहरे की चमक इशारा कर रही है कि कोविड के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध और उसकी वजह से महंगाई और इकोनॉमी को लेकर जो चिंता बढ़ी थी वो हल्की पड़ने लगी है. इकोनॉमी में रफ्तार को मैंने पहले से आज़माए और प्रमाणित 5 नुस्खों की कसौटी पर कसा, जिस आधार पर कहा जा सकता है कि इकोनॉमी का बुरा वक्त अब पीछे छूट रहा है.

कितनी कार खरीदी जा रही हैं..
इकोनॉमी में रफ्तार पकड़ने का अंदाज लगाने का सबसे अचूक तरीका है कारों की बिक्री और ये आंकड़े बता रहे हैं पार्टी शुरू हो गई है. खरीदारों की ऐसी लाइन लगी है कि पांच, 10 या 20 लाख वाली छोड़िए करोड़ों में आने वाली मर्सिडीज, बीएमडब्लू, ऑडी, रेंज रोवर या लैंबोर्गिनी जैसी लग्जरी कारों की भी ऐसी डिमांड है कि इस दिवाली बुक कीजिए तो उसकी डिलिवरी अगली दिवाली में मिलेगी.

आलम ये है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल लग्जरी कारों की बिक्री अब तक 55 परसेंट ज्यादा है. मर्सिडीज, बीएमडब्लू जैसे कंपनी वाले तो दावा कर रहे हैं जैसी बुकिंग अब तक हुई है उसके हिसाब से इस बार महंगी कारों में बिक्री के सारे रिकॉर्ड टूट जाएंगे.

लग्जरी ही नहीं सभी तरह की गाड़ियों की भारी बुकिंग इकोनॉमी की सुधरती सेहत की तरफ इशारा कर रही है. महिंद्रा को अपनी नई स्कॉर्पियो एन की बुकिंग कुछ टाइम में बंद करनी पड़ी क्योंकि उसे को आधे घंटे में ही एक लाख लोगों ने बुक कर डाला. वेबसाइट ट्रैफिक की वजह से कुछ देर के लिए क्रैश तक हो गई. ऐसी ही बंपर बुकिंग मारुति की ग्रैंड विटारा ब्रेजा और ऑल्टो K10 को भी मिली हैं.

शेयर बाजार का प्रदर्शन
आंकड़े अर्थव्यवस्था के सुधरते मूड की कहानी बयां कर रहे हैं. शेयर बाजार पर इसका सबसे पहले असर दिखता है. यूक्रेन युद्ध शुरू होते ही अचानक विदेशी निवेशकों ने ग्लोबल अनिश्चितताओं से घबराकर घरेलू बाजार से पैसा निकालना शुरू कर दिया था. भारतीय शेयर बाजारों से विदेशी निवेशकों ने जनवरी से जून के बीच अपने शेयर बेचकर 2 लाख करोड़ रुपये निकाल लिए थे. लेकिन अगस्त के दो हफ्ते में 40 हजार करोड़ रुपये का निवेश वापस आ गया है. साल खत्म होते होते उम्मीद है कि निवेश में भारी बढ़ोतरी होगी.

खास बात ये है कि पिछले छह महीनों में अमेरिकी बाजार करीब दो परसेंट गिरे हैं लेकिन इन मुश्किल हालात में भी सेंसेक्स ने 3 परसेंट कमाई कराई है.

स्टार्टअप का बूस्टर
कोविड की वजह से कारोबार में जो थकावट आई थी वो उसे अब वैक्सीन का बूस्टर डोज मिल गया है. प्राइस वाटरहाउस कूपर की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक स्टार्टअप मामले में भी भारत दिग्गज आर्थिक ताकतों के स्तर पर खड़ा हो गया है. अनुमान है कि 2022 खत्म होते होते 50 से ज्यादा देशी स्टार्टअप यूर्निकॉर्न क्लब में शामिल होंगे. स्टार्ट अप की भाषा में यूनिकॉर्न ऐसी कंपनियां होती हैं जिनका वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर से ज्यादा होता है.

सैलरी में इंक्रीमेंट
नौकरी करने वालों की हर साल यही फिक्र होती है कि इस साल इंक्रीमेंट कितना होगा? तो उन सभी लोगों के लिए अच्छी खबर है कि कारोबार के अच्छे मूड को देखते हुए कंपनियां इस वित्तीय साल में सैलरी में औसतन करीब 10 परसेंट बढ़ोतरी करेंगी. एशिया पेसिफिक क्षेत्र में तो भारत सबसे ज्यादा सैलरी बढ़ने वाले देशों में सबसे ऊपर होगा. मैनपावर पर सर्वे करने वाली कंपनियों का कहना है कि लोगों के पास नौकरियों के विकल्प ज्यादा आ गए हैं और उन्हें ज्यादा सैलरी मिल रही है इसलिए वो बची हुई रकम लाइफ स्टाइल में खर्च कर रहे हैं.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का बढ़ता रसूख
भारत के पक्ष में सबसे अच्छी बात ये हुई है कि मोदी सरकार ने विदेश नीति जो काम किया है उसके अच्छे नतीजे अब दिखने लगे हैं. यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया की बड़ी शक्तियां दो हिस्सों में बंट गई हैं. लेकिन भारत के पक्ष में सबसे अच्छी बात ये हुई है कि रूस और अमेरिका दोनों ने भारत की शर्तों पर लगातार आर्थिक संबंध मजबूत करने पर जोर दिया है. जिस तरह से चीन ने ताइवान के प्रति आक्रामक रुख अपनाया है उसके बाद दुनिया चीन के बजाए भारत को निवेश के लिए ज्यादा आकर्षक मानने लगी है.

अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के मुताबिक भारत की ग्रोथ स्टोरी को लेकर पूरी दुनिया को भरोसा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लगातार बढ़ती लोकप्रियता और आर्थिक सुधारों को लेकर उनका ट्रेक रिकॉर्ड को देखते हुए अमेरिकी इन्वेस्टमेंट बैंक मॉर्गन स्टेनली ने अनुमान लगाया है कि इस वित्तीय साल में भारत की अर्थव्यवस्था की ग्रोथ एशिया में सबसे ज्यादा रहेगी.

जीडीपी ग्रोथ 15% तक पहुंचने का अनुमान
मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक कोविड के झटके से भारत उबर गया है और उसकी इकोनॉमी फर्राटा दौड़ लगाने को तैयार है. इन्हीं सभी बातों की वजह से ही उम्मीद की जा रही है कि मौजूदा वित्तीय साल की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 15 परसेंट तक पहुंच सकती है.

इकोनॉमी दुरुस्त होने का सीधा फंडा है जब लोग कार, कपड़े, घूमने फिरने, और बाहर खाने-पीने पर पैसा खर्च करने लगें मतलब उनके पास पैसा आ रहा है. साथ ही इसका सीधा मतलब ये भी है कि भविष्य को लेकर उनकी फिक्र कम हो रही है इसलिए वो पैसा बचाकर रखने के बजाए खर्च कर रहे हैं. तो हर लिहाज से इकोनॉमी और हमारे लिए त्यौहारों का सीज़न बस शुरू होने वाला है. आसपास नज़र दौड़ाइए आप भी इकोनॉमी में दोबारा बढ़ते जोश के अहसास को महसूस करेंगे.