2021 में 18 फीसदी तक बढ़े केस, ऐसे लोगों में इस जानलेवा बीमारी का जोखिम अधिक, बरतें सावधानी

देश में ट्यूबरक्लोसिस रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी
भारत सरकार, साल 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने के लक्ष्य पर काम कर रही है, हालांकि इसके विपरीत देश में ट्यूबरक्लोसिस रोगियों की संख्या बढ़ती हुई देखी जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में  पिछले साल 21.4 लाख से अधिक टीबी के मामले दर्ज किए गए जो साल 2020 की तुलना में 18 फीसदी अधिक है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने डब्ल्यूएचओ ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2022 के नवीनतम निष्कर्षों पर प्रकाश डालते हुए यह जानकारी दी है। इस रिपोर्ट में दुनियाभर में टीबी के निदान, उपचार और बीमारी के बोझ पर कोविड-19 महामारी के प्रभावों पर चर्चा की गई है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021 में भारत में प्रति एक लाख लोगों में से 210 को टीबी का शिकार पाया गया है। साल 2015 में भारत में प्रति लाख जनसंख्या पर यह आंकड़ा 256 था।

मंत्रालय की ओर से कहा गया कि कोविड-19 महामारी ने दुनियाभर में टीबी कार्यक्रमों को प्रभावित किया, बावजूद इसके भारत ने 2020 और 2021 में इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। हम आगे भी अपने प्रयासों के माध्यम से देश को टीबी मुक्त बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं। साल 2021 के टीबी के आंकड़ों ने चिंता बढ़ा दी है। आइए इस गंभीर रोग के कारण और जोखिम कारकों के साथ इससे बचाव के प्रभावी तरीकों के बारे में आगे विस्तार से जानते हैं।

टीबी गंभीर संक्रामक रोग है।

टीबी की बीमारी के बारे में जानिए

क्षय रोग (टीबी) एक गंभीर संक्रामक रोग है जो मुख्यरूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। टीबी का कारण बनने वाले बैक्टीरिया एक व्यक्ति से दूसरे में खांसी और छींक के माध्यम से फैल सकते हैं। हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली स्वयं टीबी के बैक्टीरिया को रोक कर हमें सुरक्षित रखने में मदद करती है हालांकि जिन लोगों को प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है उनमें इस संक्रमण का खतरा अधिक हो सकता है। टीबी के कारण खांसी आते रहना सबसे सामान्य लक्षण है, समय पर इसका इलाज आवश्यक होता है। टीबी की गंभीर स्थिति जानलेवा भी हो सकती है। साल 2021 में टीबी के कारण देश में 16 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है।

टीबी के लक्षणों के बारे में जानिए

ऐसे लक्षणों को लेकर बरतें सावधानी

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, समय पर टीबी के लक्षणों की पहचान और इसका उपचार किया जाना आवश्यक होता है। तीन सप्ताह या उससे अधिक समय तक रहने वाली खांसी की स्थिति में टीबी की जांच जरूर करानी चाहिए। खांसी के साथ खून आना या बलगम वाली खांसी, सीने में दर्द, सांस लेने या खांसने के साथ दर्द, तेजी से वजन कम होना, थकान-बुखार, रात को अधिक पसीना आना, भूख में कमी जैसे लक्षण टीबी के संकेत हो सकते हैं। इसपर समय रहते गंभीरता से ध्यान दिए जाने की आवश्यकता होती है।
टीबी के कारण शरीर के कई अंगों पर होता है असर
कई अंगों पर हो सकता है टीबी का असर

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, फेफड़ों के अलावा टीबी की बीमारी शरीर के अन्य कई अंगों को भी प्रभावित कर सकती है, जिसमें किडनी, रीढ़ और मस्तिष्क के हिस्से भी शामिल हैं। जब टीबी आपके फेफड़ों के बाहर होती है, तो इसमें शामिल अंगों के अनुसार लक्षण अलग हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, रीढ़ में टीबी की समस्या के कारण पीठ दर्द और किडनी में इस समस्या के कारण मूत्र से खून आने जैसी दिक्कत हो सकती है। इन गंभीर स्थितियों को जानलेवा भी माना जाता है।

टीबी संक्रमण का इलाज

टीबी संक्रमण का इलाज और बचाव

यदि आपमें टीबी के संक्रमण का पता चलता है तो डॉक्टर इसे ठीक करने और इसके विकास के जोखिम को कम करने के लिए दवाएं देते हैं। दवाओं के साथ टीबी के उपचार में कुछ सप्ताह लगते हैं, इसमें आपको दवाओं का कोर्स पूरा करने की सलाह दी जाती है। कुछ सरल सावधानियां बरतकर संक्रमण के जोखिम को कम किया जा सकता है, इसके लिए कमरे का अच्छा वेंटिलेशन जरूरी है। सूर्य की रोशनी में कुछ समय बिताएं, यूवी रेज टीबी बैक्टीरिया को मारता है। खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को ढकने से टीबी के बैक्टीरिया के प्रसार को कम किया जा सकता है।

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है।

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