महिलाओं में बड़ी संख्या में पाए जा रहे सर्विकल कैंसर को लेकर भारत की पहली स्वदेशी वैक्सीन (Swadeshi Vaccine) को मंजूरी मिल गई है. कल ही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से जानकारी दी गई कि क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमा वायरस वैक्सीन (qHPV) को मार्केट ऑथराइजेशन के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने मंजूरी दे दी है. ऐसे में भारत में हर 8 मिनट में एक महिला की जान लेने वाले गर्भाशय ग्रीवा कैंसर (सर्विकल कैंसर) को रोकने में मदद मिल सकेगी. विश्व में 15 से 44 वर्ष की महिलाओं में सर्विकल कैंसर मौतों के लिए दूसरा सबसे बड़ा कारण है वहीं भारत में इससे सालाना 67,000 महिलाओं की मौत हो जाती है. ऐसे में इस सस्ती वैक्सीन के आने से काफी उम्मीदें पैदा हो गई हैं.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो सर्विकल कैंसर (Cervical Cancer) के खिलाफ आ रही यह एचपीवी वैक्सीन (HPV Vaccine) लड़कियों और महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है. हालांकि यह वैक्सीन सभी उम्र की महिलाओं पर एकसमान रूप से प्रभावी नहीं होगी. वहीं जिन महिलाओं में सर्विकल कैंसर का वायरस (Virus) प्रवेश कर चुका है, उन पर भी इसका प्रभाव कुछ कम होगा. लिहाजा इस वैक्सीन को लगवाने की सही उम्र 12 से 26 साल बताई जा रही है. इसे लेकर विशेषज्ञों की राय अहम है.
इसलिए 12 से 26 साल है वैक्सीनेशन के लिए सही उम्र
दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी विभाग की प्रमुख, गायनेकॉलोजिक ऑन्कोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. नीरजा भाटला कहती हैं कि ह्यूमन पैपिलोमा वायरस का संक्रमण आमतौर पर लड़कियों में शुरुआती उम्र में होता है, जो धीरे-धीरे सर्विकल कैंसर के रूप में विकसित हो जाता है. यह बहुत कॉमन वायरस है. अब चूंकि एचपीवी वैक्सीन वायरस की रोकथाम और इससे बचाव के लिए है तो इसे संक्रमण (Infection) होने से पहले लगाना जरूरी है. वहीं 12 से 26 साल की उम्र में यह वैक्सीन ज्यादा प्रभावी होती है, ऐसे में जरूरी है कि यह वैक्सीन लड़कियों को टीनएज में लगा दी जाए ताकि वायरस का प्रवेश उनके शरीर में न हो सके या वायरस अपना प्रभाव न दिखा सके और वायरस से लड़ने के लिए लड़कियों और महिलाओं के शरीर में पहले से एंटीबॉडीज (Antibodies) पर्याप्त मात्रा में बनी रहें.
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वहीं इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक गायनेकोलॉजी में सीनियर कंसल्टेंड डॉ. सारिका गुप्ता बताती हैं कि एचपीवी वैक्सीन लगवाने के लिए लड़कियों की सही उम्र 12 से 26 साल है. इसमें भी शुरुआती उम्र ज्यादा सही है. आमतौर पर एचपीवी का संक्रमण (HPV Infection) यौन गतिविधि (Sexual Activity) के बाद ही शुरू होता है. उससे पहले यह वायरस प्रभावित नहीं करता. देखा जाए तो 100 में से 80 फीसदी महिलाएं अपने जीवन में एचपीवी से प्रभावित होती हैं लेकिन उनमें से भी 80 फीसदी महिलाएं खुद के शरीर में मौजूद इम्यूनिटी (Immunity) की वजह से इस वायरस को नियंत्रित कर लेती हैं. जबकि 20 फीसदी महिलाएं जिनकी इम्यूनिटी इस वायरस के खिलाफ पर्याप्त काम नही कर पातीं वे इससे पीड़ित होती हैं. कई मामलों में यह वायरस अंदर मौजूद रहते खतरनाक हो जाता है और कैंसर का रूप धारण कर लेता है. इसलिए जरूरी है कि इस वायरस के संक्रमण से पहले ही वैक्सीन ले ली जाए. लिहाजा 12 से 26 साल की उम्र एकदम सही है.
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बड़ी उम्र में क्यों कारगर नहीं होगी वैक्सीन
डॉ. सारिका आगे कहती हैं बड़ी उम्र में वैक्सीन के पूरी तरह कारगर न होने के पीछे दो कारण हैं, पहला चूंकि एचपीवी वैक्सीन उस स्थिति में कारगर है जबकि कोई महिला एचपीवी के संपर्क में नहीं आई है. आमतौर पर यौन संबंध बनाने के बाद ही एचपीवी का संक्रमण होता है, ऐसे में टीनएज के बाद जब यौन गतिविधि के बाद शरीर में संक्रमण आ चुका है तो वैक्सीन का प्रभाव काफी कम होगा. इसीलिए यह कहा जा रहा है कि सेक्सुअल एक्टिविटी शुरू होने से पहले यह वैक्सीन ले ली जाए. वहीं दूसरा कारण यह है कि जैसे जैसे उम्र बढ़ती है इम्यूनिटी पैदा होने की शक्ति शरीर में कम होती जाती है. लिहाजा जो वैक्सीन एक 13 साल की लड़की में इम्यूनिटी बना पाएगी वह एक 40 साल की महिला में नहीं बना पाएगी.
असिम्टोमैटिक होता है सर्विकल कैंसर, बचाव बेहद जरूरी
डॉ. नीरजा कहती हैं कि सर्विकल कैंसर बिना लक्षणों का होता है. या फिर इसके लक्षण इतने कॉमन होते हैं कि बिना जांच या स्क्रीनिंग के इसका पता लगाना काफी मुश्किल है. इसलिए इसका बचाव बेहद जरूरी है. यही वजह है कि आने वाली एचपीवी वैक्सीन को बड़ी राहम माना जा सकता है.
वहीं डॉ. सारिका कहती हैं कि सर्विक्स में संक्रमण होने पर कुछ ऐसे लक्षण सामने आते हैं जो अन्य भी कई कारणों से हो सकते हैं जैसे शारीरिक संबंध बनाने के बाद ब्लीडिंग हो जाना, माहवारी के बीच में फिर से ब्लड के धब्बे आना या लंबे समय तक मासिक चक्र का चलना आदि. ये चीजें अन्य भी कई परेशानियों के चलते होती हैं, लिहाजा सर्विकल कैंसर या एचपीवी संक्रमण को लेकर महिलाएं जागरुकता नहीं दिखा पातीं और यह बीमारी बढ़ जाती है. इसलिए जरूरी है कि इस बीमारी का पहले से बचाव हो.