Chaitra Navratri 2023 Upay: शुभ योग में नवरात्रि की सप्तमी, अष्टमी और नवमी, इन महाउपाय से पूरी होगी मन की मुराद

Chaitra Navratri Ke Totke: 28 मार्च को मां कालरात्रि, 29 मार्च को महागौरी और 30 मार्च को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी। साथ ही इन तीन दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इन तिथियों का भी महत्व बढ़ गया है। ज्योतिष शास्त्र में सप्तमी तिथि, अष्टमी तिथि और नवमी तिथि का महत्व बताते हुए कुछ उपाय बताए गए हैं। इन उपायों के करने से मां हर इच्छा पूरी करती है।

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Navratri 2023 Upay: चैत्र नवरात्रि समापन की ओर बढ़ रहे हैं। चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर मां दुर्गा की सातंवी शक्ति कालरात्रि, अष्टमी तिथि पर महागौरी और नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां दुर्गा की ये तीनों शक्तियां सभी का दुख दूर करने वाली और सुख-समृद्धि देने वाली मानी जाती है। इस बार इन तिथियों पर बेहद शुभ योग भी बन रहे हैं। सप्तमी तिथि पर राजयोग, अष्टमी तिथि पर रवियोग और नवरात्रि के अंतिम दिन गुरु पुष्य योग के साथ अमृत सिद्धि योग का भी लाभ मिलेगा। इन शुभ योग से नवरात्रि की तीन तिथियों का भी महत्व बढ़ गया है। ज्योतिष शास्त्र में नवरात्रि की महिमा बताते हुए इन तीन तिथियों के लिए कुछ उपाय भी बताए हैं। इन उपायों के करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होती है और मां दुर्गा मन की हर मुराद पूरी करती हैं। आइए जानते हैं इन तीनों तिथियों पर किए जाने वाले उपायों के बारे में…

इस उपाय से धन-धान्य की नहीं होगी कमी

इस उपाय से धन-धान्य की नहीं होगी कमी

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, काले उबले चने, गुड़, सुपानी, रुई और नए पान पर सिक्का रखकर को तीन दिन मां दुर्गा को अर्पित करें। इन पांचों चीजों को पूरी भक्तिभाव से मां दुर्गा को अर्पित करें और इस मंत्र का जप करें। ऐसा करने से मां दुर्गा बेहद प्रसन्न होती हैं और घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होगी। यह चीजें बहेद सस्ती हैं और आसानी से उपलब्ध भी हो जाएंगी।

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

इस उपाय से माता का मिलेगा आशीर्वाद

इस उपाय से माता का मिलेगा आशीर्वाद

माता को प्रसन्न करने के लिए संधि आरती कर सकते हैं। संधि काल दो प्रहर, दो तिथि, दो दिन, दो पक्ष के मिलने के समय को संधि काल कहा जाता है। सप्तमी तिथि के समापन और अष्टमी तिथि की शुरुआत के काल में आप मां दुर्गा की संधि आरती कर सकते हैं। साथ ही संधि आरती में मां दुर्गा की आरती सुबह, दोपहर, शाम और रात में भी की जाती है। आरती से पहले मां को पांच सूखे मेवे और लाल चुनरी माता को अर्पित करें। यह आप तीनों दिन कर सकते हैं। ऐसा करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलेगा और आर्थिक समृद्धि होगी।

इस जप से परेशानियों का होता है अंत

इस जप से परेशानियों का होता है अंत

तंत्र शास्त्र में देवी के 32 नाम का जप करना बहुत शुभ और लाभकारी माना गया है। सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि की रात में माता के नाम का 108 बार जप करें। ऐसा करने से मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है और जो भी परेशानी चल रही होती है, उससे मुक्ति मिल जाएगी।

इस उपाय से ग्रहों का मिलता है शुभ प्रभाव

इस उपाय से ग्रहों का मिलता है शुभ प्रभाव

ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए ये तीनों तिथियां बहुत उत्तम मानी जाती है। आप सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि की शाम को दुर्गा चालीसा, अर्गलास्तोत्र, कीलक स्तोत्र और दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं। पाठ खत्म होने के बाद छोटा सा हवन भी करें। हवन में आप जायफल, लौंग, इलायची, काले तिलस काली मिर्च, शहद, कमल गट्टा, सुपारी, घी, गूगल की आहुति दें और 108 बार ‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे‘ मंत्र का जप करें। ऐसा करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव जैसे राहु-केतु या शनि से मुक्ति मिलती है और पूरे परिवार की तरक्की होती है।

इस उपाय से रोगों से मिलती है मुक्ति

इस उपाय से रोगों से मिलती है मुक्ति

कई लोगों का व्रत सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि को समाप्त हो जाता है और कन्या पूजन करके अंतिम दिन हवन किया जाता है। ध्यान रखें कि हनव को ईशान कोण में करें और तीनों दिन मां दुर्गा की शास्त्रीय पद्धति से पूजा-अर्चना करें। ऐसा करने सभी रोगों से मुक्ति मिल जाती है और धन वैभव में वृद्धि होती है।

यह उपाय छात्रों के लिए बेहद उत्तम

यह उपाय छात्रों के लिए बेहद उत्तम

नवरात्रि सभी के लिए कल्याणकारी मानी जाती है और मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए यह बेहद उत्तम दिन होते हैं। पढ़ाई में मन नहीं लगता या जो याद करते हैं, भूल जाते हैं, अगर इस तरह की समस्या का छात्र सामना कर रहे हैं तो सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि में से किसी एक दिन माता को ध्वजा अर्पित करें और हर दिन इस मंत्र का जप करें। ऐसा करने से ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है और अपना मार्ग खुद चुनते हैं

‘ॐ शारदा माता ईश्वरी मैं नित सुमरि तोय हाथ जोड़ अरजी करूं विद्या वर दे मोय।’