Adani के NDTV की हिस्सेदारी खरीदने के बाद चैनल के मालिक प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने दिया इस्तीफा

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29 नवंबर को NDTV (New Delhi Television) के मालिक और संस्थापक प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने RRPR Holding Private Limited के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया. दोनों के इस्तीफे की जानकारी NDTV ने Bombay Stock Exchange को दी. प्रणय और राधिका का इस्तीफा इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि ये ऐसे समय पर आया है जब अडानी ग्रुप, न्यू दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड (NDTV) के अधिग्रहण के लिए ओपन ऑफर लाया है, जो कि 5 दिसंबर तक खुला है.

इस्तीफा हुआ मंजूर

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 29 नवंबर को हुई बैठक के दौरान RRPRH ने प्रणय रॉय और राधिका रॉय के इस्तीफे स्वीकार कर लिए हैं. कंपनी ने जारी बयान में बताया गया कि RRPRH ने सुदीप्ता भट्टाचार्य, संजय पुगलिया, सेंथिल सिन्निया चेंगलवरयण को बोर्ड का नया डायरेक्टर तत्काल प्रभाव से नियुक्त किया है. बता दें अगस्त माह में अडानी समूह ने समाचार मीडिया कंपनी NDTV के प्रमोटर समूह विश्वप्रधान कॉमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (VCPL) की 99.5 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली है. VCPL एएमजी मीडिया नेटवर्क्स लिमिटेड की सब्सिडरी कंपनी है जिसमे 100 फीसदी हिस्सेदारी अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड की है.

5 दिसंबर तक है ओपन ऑफर

एनडीटीवी की प्रमोटर कंपनी के अनुसार, उसने अपनी इक्लिटी पूंजी के 99.5 फीसदी शेयरों को अडानी ग्रुप के स्वामित्व वाली वीसीपीएल को ट्रांसफर कर दिए हैं. इन शेयर्स के ट्रांसफर से अडानी ग्रुप को एनडीटीवी में 29.18 फीसदी की हिस्सेदारी मिल जाएगी. दूसरी तरफ अडानी ग्रुप एनडीटीवी में 26 फीसदी की हिस्सेदारी के लिए मार्केट में 22 नवंबर को ओपन ऑफर लाया था जो 5 दिसंबर तक खुला रहेगा.

बता दें कि जिस विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड को अडानी ग्रुप ने अगस्त में अधिग्रहण करने का ऐलान किया था, उसने साल 2009 और 2010 में एनडीटीवी के बिजनेस प्रमोटर आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड को 403.85 करोड़ रुपये उधार के तौर पर दिए थे. इसके बदले में कर्जदाता से किसी भी समय एनडीटीवी में 29.18 प्रतिशत हिस्सेदारी लेने का प्रावधान रखा गया था. अब अडानी ग्रुप अतिरिक्त 26 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए खुली पेशकश लाया है.

अडानी ने क्यों खरीदा एनडीटीवी?

एनडीटीवी को अपने अधिकार में लेने के संबंध में अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि एनडीटीवी को खरीदना अवसर नहीं बल्कि जिम्मेदारी थी. उनका कहना था कि आजादी का मतलब सही को सही और गलत को गलत कहना होता है. अगर सरकार ने कुछ गलत किया है तो आप कहें कि यह बात गलत है. वहीं सरकार अगर कुछ अच्छा कर रही है तो आपमें  उसे अच्छा कहने का भी साहस होना चाहिए. अडानी ने अपनी बातों में यह जिक्र भी किया था कि एनडीटीवी के मालिक और संस्थापक प्रणय रॉय इसके मुखिया बने रह सकते हैं.