चार्ली चैपलिन: हंसाते-हंसाते लोगों को रुलाने वाला ‘जादूगर’, जिसने मुसीबत में भी हंसना सिखाया

Indiatimes

चार्ली चैपलिन. फिल्म जगत का एक ऐसा नाम है, जिसने संकट में भी हंसने की सीख दी. जिसे देखने भर से चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. वो मूक फिल्मों का सबसे बेहतरीन कलाकार था. ऐसा कलाकार, जो हंसाते-हंसाते लोगों को रुला देता था. 16 अप्रैल, 1889 को लंदन में जन्मा यह कॉमिक एक्टर अब भले ही हमारे बीच में नहीं, मगर उसका जीवन दर्शन बहुत कुछ सिखाता है. खासकर तब, जब दुनिया कोरोना से लड़ रही है.

विरासत में मिली थी चार्ली को एक्टिंग की प्रतिभा

charlie chaplin

चार्ली को एक्टिंग की प्रतिभा विरासत में मिली थी. उनके पिता, चार्ल्स चैपलिन मशहूर अभिनेता और गायक थे. वहीं उनकी मां हन्ना चैपलिन भी अपने समय की एक प्रतिष्ठित गायिका और अभिनेत्री रहीं. अपने मां-बाप के रास्ते पर चलकर ही चार्ली ने अभिनय सीखा. हालांकि, उनके लिए आगे बढ़ना आसान नहीं था. पिता को शराब की लत थी, इस कारण वो छोटी उम्र में ही चार्ली की आंखें को नम कर भगवान को प्यारे हो गए. 

पिता के निधन के बाद चार्ली की मां भी गंभीर रूप से बीमार पड़ गईं. ऐसे में छोटे से चार्ली को खुद सब कुछ संभालना पड़ा. चार्ली महज 13 साल के थे, जब उन्होंने पढ़ाई-लिखाई छोड़ दी. ताकि, घर चलाने के लिए छोटे-मोटे काम कर सकें. 14 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार एक नाटक में भाग लिया और सबका खूब प्रभावित किया. नाटक में उनके कॉमिक अभिनय को खूब सराहा गया था.

स्‍वयं हिटलर का किरदार निभाकर वाहवाही बटोरी

charlie-chaplin

एक कलाकार के रूप चार्ली का यह पहला कदम था. 1914-1917 तक वो सफलता की कई सीढ़ियां चढ़ गए. 1914 में कीस्टोन स्टूडियो में उनका अभिनय खास था. ऑनस्क्रीन किरदार ‘द ट्रैम्प’ ने उनको लोकप्रिय बनाया. इसी तरह 1940 में चार्ली ने हिटलर पर फिल्‍म द ग्रेट डिक्टेटर बनाई थी, जिसमें उन्‍होंने स्‍वयं हिटलर का किरदार निभाकर खूब वाहवाही बटोरी थी.

इस तरह ‘कॉट इन द रेन’ चार्ली के करियर की एक बड़ी उपलब्धि रही. चार्ली का करियर $150 प्रति सप्ताह से शुरु हुआ था. आगे वो $670,000 सालाना कमाने वाले कलाकार बने. 26 की उम्र में वो दुनिया में सर्वाधिक फीस लेने वाले स्टार बन चुके थे. इसके बाद चार्ली आगे-आगे और सफलता उनके पीछे-पीछे थी. अपने अभिनय के जरिए लोगों को हंसने के लिए चार्ली को 1973 में ‘ऑस्‍कर अवार्ड से नवाजा गया था.

1977 में हमेशा के लिए दुनिया से कूच कर गए

charlie-chaplin

इसके अलावा उन्‍हें कई अन्य पुरस्‍कारों भी दिए गए. जीरो से हीरो बनने वाले चार्ली ढ़ेर सारी यादें देकर 1977 में हमेशा के लिए इस दुनिया से कूच कर गए. मगर अब भी उनके जीवन जीने की अद्भुत कला. हमें हर मुसीबत में भी मुस्कुराने की वजह देती है. जब दुनिया कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रही है. तब चार्ली का जीवन दर्शन बहुत कुछ सिखाता है.