बिहार की मिट्टी को जीने वाली अभिनेत्री और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता नीतू चंद्र श्रीवास्तव ने छठ संगीत वीडियो का सातवां संस्करण जारी किया है। छठ महापर्व के मौके पर उन्होंने टीओआई संवाददाता से बातचीत की। उन्होंने बातचीत में बताया कि कैसे छठ ने बिहार के गौरव का प्रतिनिधित्व किया है।
पटना : बिहार की राजधानी पटना में 20 जून 1984 को जन्मी प्रसिद्ध अभिनेत्री और निर्माता-निर्देशक नीतू चंद्रा ने छठ पर्व को लेकर टीओआई से बातचीत की। 13 नेशनल अवॉर्डेड फिल्म मेकर्स के साथ काम कर चुकीं नीतू चंद्रा छठ महापर्व को लेकर भावुक हो जाती हैं। नीतू ने इस पर्व को प्रकृति पूजा का पर्व बताते हुए अपने बचपन की बातें शेयर कीं। आइए जानते हैं नीतू चंद्रा ने छठ पर्व को लेकर क्या-क्या कहा और कैसे अपनी यादें साझा की…
छठ पर्व बिहार के गौरव का कैसे प्रतिध्वनित करता है ?
छठ पर्व बिहार की पहचान है। ये एक भावना है जिससे हम सभी जुड़ते हैं। एक त्योहार से ज्यादा ये मान्यता है कि छठी मैया हमारी मनोकामनाएं पूरी करेंगी। मैं बचपन से ही अपनी दादी, मौसी और मां को एक साथ छठ की रस्म करते देखती रही हूं। जब लाल और पीली साड़ियों में सजी महिलाएं नाक से सिर तक लंबा सिंदूर लगाती हैं, तो मुझे अच्छा लगता है। ये हमारी परंपरा और संस्कृति को दर्शाता है।
कोई अच्छी याद जो आप छठ के बारे में हमसे साझा करना चाहती हैं ?
मैं 35 से अधिक लोगों के संयुक्त परिवार में पली-बढ़ी हूं। हम सब सुबह करीब साढ़े तीन बजे कुर्जी घाट पर ट्रकों में लदकर दउरा, डगरा, मिठाई, बर्तन, मिट्टी और गन्ने से बने सामान लेकर जाते थे। हम घर पर ‘ठेकुआ’ बनाते थे।
आप अपने आप को इस त्योहार से कैसे जोड़ती हैं?
मेरे लिए छठ बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि, ये त्योहार प्रकृति की पूजा के बारे में है। भक्त 36 घंटे का उपवास रखते हैं। ये एकमात्र ऐसा त्योहार है जिसमें प्रकृति की पूजा की जाती है।
छठ पर अपने नए वीडियो के बारे में बताएं?
छठी मैया ने जो कुछ मुझे दिया है। उसका धन्यवाद करने के लिए मैंने छठ संगीत वीडियो के सातवें संस्करण में अभिनय किया। जो हाल ही में जारी किया गया है। मैं अपने भाई और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता लेखक-निर्देशक नितिन चंद्रा का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझे इतना खूबसूरत लुक दिया कि ये वीडियो इतनी अच्छी तरह से सामने आया है। सभी इसे पसंद कर रहे हैं। वीडियो में एक कहानी है। कैसे एक परिवार एक-दूसरे से जुड़ा होता है। मां के न होने पर भी बहनों के बीच का बंधन। बहनें ये याद करते हुए भावुक हो जाती हैं कि कैसे उनकी मां छठ किया करती थीं। उनका मार्गदर्शन करती थीं। कहानी नितिन ने लिखी और निर्देशित की है।
छठ कैसे एक वैश्विक त्योहार बन गया है ?
बिहार और विदेशों में रहने वाले लोग परंपरा का पालन करते हैं। ताकि उनकी अगली पीढ़ी विरासत को बनाए रखे। दूसरे देशों में रहने वाले बिहार के लोग पूरी श्रद्धा के साथ छठ मनाते हैं।