Chhattisgarh sthapna diwas: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) से अलग होकर छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) को राज्य बने हुए 1 नवंबर 2022 को 22 साल हो गए हैं। मध्य प्रदेश के बनने के करीब 44 साल बाद छत्तीसगढ़ उससे अलग हुआ। हम छत्तीसगढ़ के युवाओं को उनके राज्य के बनने के दौरान की एक राजनीतिक घटनाक्रम से रूबरू करा रहा है।
रायपुर/भोपाल: छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बने हुए आज (1 नवंबर) को 22 साल हो गए। 35 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों को इस राज्य के बनने की कहानी याद होगी, लेकिन युवाओं को शायद ही उस दौर की राजनीतिक घटनाक्रम के बारे में मालूम हो। कहते हैं हम जिस भी समाज या देश में रहते हैं हमें उसका इतिहास मालूम होना चाहिए। आमतौर पर पुरानी पीढ़ियां अपने बाद के जेनरेशन को लोगों को इतिहास ट्रांसफर करते जाते हैं। नवभारत टाइम्स.कॉम उसी जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए छत्तीसगढ़ के युवाओं को उनके राज्य के बनने के दौरान की एक राजनीतिक घटनाक्रम से रूबरू करा रहा है।
मध्य प्रदेश के बनने के करीब 44 साल बाद छत्तीसगढ़ उससे अलग हुआ। बंटवारे के समय छत्तीसगढ़ को जनसंख्या के अनुपात से 26 फीसदी हिस्सा अलॉट हुआ था। छत्तीसगढ़ को मध्य प्रदेश की करीब 30 फीसदी जमीन मिली जबकि जनसंख्या 26.62 फीसदी थी। छत्तीसगढ़ का जब बंटवारा हुआ तब उसके पास 41.42 फीसदी वन क्षेत्र था।
विद्याचरण शुक्ल पर भारी पड़े अजीत जोगी
छत्तीसगढ़ में शुरुआत से ही कांग्रेस का बहुमत था और उसी पार्टी का मुख्यमंत्री बनना तय था। कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री पद की रेस में दो लोगों के नाम चल रहे थे। विद्याचरण शुक्ल सीएम बनने को उतावले थे, वहीं प्रशासनिक सेवा की नौकरी रिजाइन करके राजनीति में आए अजीत जोगी गांधी परिवार से नजदीकी का फायदा लेकर सीएम कुर्सी के लिए फिल्डिंग कर रहे थे। आखिरकार 31 अक्टूबर 2000 की सुबह अजीत जोगी को छत्तीसगढ़ का नया मुख्यमंत्री चुन लिया गया। इस बात से विद्याचरण शुक्ल बेहद नाराज हो गए और अपने फॉर्म हाउस पर चले गए। नाराज विद्याचरण शुक्ल की नाराजगी दूर करने के लिए कांग्रेस आलाकमान की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षक गुलाम नबी आजाद, प्रभाव राव फॉर्म हाउस पर पहुंचे। उन्होंने अपने साथ एमपी के तत्कालीन सीएम दिग्विजय सिंह को भी साथ ले लिया था।