मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 11 दिन में नापा सिरमौर, 18वें दिन पच्छाद से दूसरी पारी शुरू…

नाहन, 2 सितंबर : हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 15 अगस्त से 26 अगस्त के बीच सिरमौर के पांचों विधानसभा क्षेत्रों को नाप दिया था। इसमें से तीन विधानसभा क्षेत्रों पांवटा साहिब, नाहन व पच्छाद का प्रवास तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ भी किया।

दिलचस्प बात ये है कि शुक्रवार को 18वें दिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप के गृह क्षेत्र पच्छाद से सिरमौर में विधानसभा चुनाव को लेकर दूसरा टूर शुरू कर दिया है।

खास बात ये है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सिरमौर के आर व पार के क्षेत्रों में धुआंधार प्रवास किए हैं। इसमें से तीन विधानसभा क्षेत्रों को तो सड़क मार्ग से भी नापा है। यही नहीं, इस साल स्वतंत्रता दिवस का राज्य स्तरीय समारोह भी सिरमौर के सराहां में आयोजित हुआ।

इसके बाद 20 अगस्त को हिमाचल की स्थापना के 75 साल पूरा होने पर पांवटा साहिब व नाहन विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की मौजूदगी में कार्यक्रम हुए। 26 अगस्त को श्री रेणुका जी व शिलाई विधानसभा क्षेत्रों में भी कार्यक्रम हुए। हालांकि, 75 साल के बहाने राज्य सरकार ने चुनाव प्रचार का बिगुल भी बजा रखा है।

वैसे तो हरेक विधानसभा क्षेत्र में कार्यक्रम आयोजित करने का ऐलान सरकार ने किया हुआ है, लेकिन पच्छाद निर्वाचन क्षेत्र में मुख्यमंत्री का मात्र 18 दिन में तीसरा प्रवास है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने गिरिपार के राजगढ़ उपमंडल की पझौता घाटी में मतदाताओं की नब्ज को टटोला। 1998 में कांग्रेस सिरमौर से पांचों सीटें जीती थी, लेकिन कांग्रेस के किले में इसके बाद लगातार भाजपा ने सेंधमारी की।

बता दें कि 31 मार्च 2022 को भी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शिलाई विधानसभा क्षेत्र में घोषणाओं का अंबार लगाकर हर किसी को आश्चर्यचकित कर दिया था। हालांकि, पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के सिरमौर में कितने टूर हुए हैं, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि सिरमौर आने में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने रत्ती भर भी कंजूसी नहीं की है।

पौने पांच साल के कार्यकाल में जयराम ठाकुर ने सिरमौर के चप्पे-चप्पे को छानने की कोशिश की है।

खास बात…
सबसे बड़ी खास बात ये है कि राज्य सरकार चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले गिरिपार को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलवाने की अंतिम लड़ाई लड़ रही है। सरकार को इस बात का बखूबी पता है कि ये बात सिरे चढ़ने से सियासी मुनाफा हो सकता है। सिरमौर का 50 फीसदी हिस्सा गिरिपार क्षेत्र में आता है। सबसे अधिक प्रभाव रेणुका व शिलाई विधानसभा क्षेत्रों में है। इसके बाद पच्छाद का आधा हिस्सा भी गिरिपार में है। इसके अलावा पांवटा निर्वाचन क्षेत्र में भी कुछ पंचायतें ट्रांसगिरि की हैं।