What is White Gold : दुनियाभर के देशों की नजरें अब लिथियम खनिज पर है जिसे सफेद सोना भी कहा जाता है। चीन और ऑस्ट्रेलिया के निवेशक पहले से ही इसके लिए लाइन में लगे हैं। लीथियम खनिज का भंडार चिली, अर्जेंटीना, बोलीविया, ऑस्ट्रेलिया में है जहां अब चीन एंट्री कर रहा है।
ब्यूनस आयर्स : दक्षिणी अमेरिकी देश अर्जेंटीना के विदेश मंत्री ने पुष्टि की है कि चीन की खदान कंपनी तिब्बत समिट रिसोर्सेज देश के दो लिथियम एक्सप्लोरेशन प्रोजेक्ट में 2.2 अरब डॉलर का निवेश करेगी। शुक्रवार को जारी बयान के मुताबिक शंघाई स्थित कंपनी अर्जेंटीना में 10,000 नौकरियां पैदा करेगी। दुनिया में इस समय लिथियम को लेकर एक प्रतिस्पर्धा चल रही है। ज्यादातर देश इस कीमती खनिज में निवेश करना चाहते हैं। इसे 21वीं सदी का ‘सबसे बड़ा खजाना’ कहा जा रहा है जो भविष्य में स्वच्छ ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत साबित हो सकता है।
अर्जेंटीना के मंत्रालय ने बताया कि शंघाई में चाइना इंटरनेशनल इम्पोर्ट एक्सपो में तिब्बत समिट रिसोर्सेज के प्रेसिडेंट जियानरोंग हुआंग ने अर्जेंटीना के राजदूत सबिनो वाका नरवाजा के साथ योजनाओं को साझा किया। प्लान के तहत, चीन की फर्म साल्टा प्रांत में सालार डी डायबिलोस प्रोजेक्ट में करीब 700 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी। इससे अगले साल से 50,000 टन बैटरी-ग्रेड लिथियम कार्बोनेट का उत्पादन होने की उम्मीद है।
नमक के मैदानों में करोड़ों झोंक रहा चीन
रूस की न्यूज एजेंसी आरटी की खबर के अनुसार, इसके अलावा बाकी 1.5 अरब डॉलर का इस्तेमाल साल्टा में स्थित, एरिजारो नमक के मैदान में एक प्लांट के निर्माण में इस्तेमाल किया जाएगा। इससे 2024 तक 50,000 से 100,000 टन लिथियम कार्बोनेट का उत्पादन होने की उम्मीद है। लिथियम की ग्लोबल रेस में आगे निकलने के लिए चीन इन नमक के मैदानों में अरबों डॉलर झोंक रहा है। अर्जेंटीना, बोलीविया और चिली ‘लिथियम त्रिभुज’ का हिस्सा हैं जहां दुनिया के सफेद खनिज का करीब 54 फीसदी मौजूद है।
तेजी से बढ़ रही ‘वाइट गोल्ड’ की मांग
अर्जेंटीना चैंबर ऑफ माइनिंग एंटरप्रेन्योर्स (CAEM) की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में अर्जेंटीना ऑस्ट्रेलिया, चिली और चीन के बाद चौथा सबसे बड़ा लिथियम उत्पादक है। लीथियम का इस्तेमाल बैट्री बनाने में किया जाता है जिससे इलेक्ट्रिक गाड़ियों को पावर मिलती है। लिथियम लकड़ी से भी हल्का होता है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार एक साल में इसके दाम चार गुना से ज्यादा बढ़ गए हैं। इसे ‘वाइट गोल्ड’ भी कहा जाता है जिसे इलेक्ट्रिक कारों में इस्तेमाल किया जाता है। भविष्य में यह पेट्रोल का एक विकल्प बन सकता है इसीलिए इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है।