भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों ने 12 घंटे की बातचीत के बाद संयुक्त बयान जारी कर बताया है कि दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से जुड़े मुद्दों के सकारात्मक तरीके से समाधान के लिए वार्ता जारी रखी। दोनों पक्षों ने दोहराया है कि शेष मुद्दों के समाधान से पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास शांति और स्थिरता बहाल करने में मदद मिलेगी।
हाइलाइट्स
- भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख गतिरोध पर हुई बातचीत
- संयुक्त बयान से पता चला, कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका
- चीन ने पट्रोलिंग पॉइंट-15 पर अपना प्लान दे दिया है
LAC पर शांति कैसे आएगी?
मई 2020 से ही डेमचोक और देपसांग क्षेत्र में तनाव बरकरार है लेकिन इस पर भी कोई बात नहीं बन पाई। इतना जरूर है कि दोनों पक्षों ने संयुक्त बयान जारी कर इन मुद्दों का जल्द से जल्द परस्पर स्वीकार्य समाधान निकालने के लिए बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई है। दोनों सेनाओं के संयुक्त बयान के मुताबिक इस बात पर फिर से जोर दिया गया कि लंबित मुद्दों के समाधान से क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शांति व्यवस्था बहाल करने में मदद मिलेगी और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में भी प्रगति होगी।
PP-15 के हालात समझ लीजिए
पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स के पास पीपी 15 पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच तनातनी बरकरार है। दोनों तरफ से करीब 50-50 सैनिक मई 2020 में तनाव बढ़ने के बाद से ही मोर्चा संभाले हुए हैं। इन्हें विवाद वाली जगह के एक किलोमीटर के दायरे में रखा गया है। दोनों पक्ष इस पर सहमत हैं कि विवाद वाले क्षेत्रों को लेकर अगर रजामंदी बनती है तो दोनों पक्ष अपने सैनिकों को पीछे बुलाएंगे और सभी अस्थायी ढांचों को ध्वस्त कर देंगे। इस तरह का आखिरी डिसएंगेजमेंट एक साल पहले हुआ था जब जुलाई 2021 में कोर कमांडर लेवल की बातचीत हुई थी और गोगरा में पट्रोल पॉइंट 17-ए पर गतिरोध को सुलझाने के लिए सहमति बनी थी।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, सैन्य वार्ता के दौरान भारत ने चीन से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले शेष सभी स्थानों से सैनिकों को जल्द से जल्द हटाने को कहा है। इसके साथ ही अप्रैल 2020 में सैन्य गतिरोध शुरू होने से पहले की यथास्थिति बहाल करने की मांग की। संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में जमीनी सीमा पर सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने पर सहमत हुए हैं और लगातार संपर्क में बने रहने और सैन्य एवं राजनयिक माध्यमों के जरिए बातचीत को जारी रखने पर सहमत हुए हैं। इस समय पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों ने अपने 50 से 60 हजार सैनिक तैनात कर रखे हैं।