अमेरिका और चीन (US China) के बीच ताइवान (Taiwan) के अलावा कई और मसलों पर तनाव रहता है। धरती से निकलकर अब दोनों के बीच की टक्कर अंतरिक्ष (Space) तक पहुंच चुकी है। नासा और चीन की तरफ से एक ऐसा प्रोग्राम लॉन्च किया है जिसके बाद दोनों देशों के बीच आने वाले दिनों में अंतरिक्ष में भी टकराव देखने को मिलेगा।
बीजिंग: अमेरिका और चीन, दुनिया की दो आर्थिक महाशक्तियां और अक्सर किसी न किसी मसले की वजह से दोनों आमने-सामने रहते हैं। अब दुनिया को अंतरिक्ष में भी इनकी टक्कर देखने को मिलेगी। हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष संस्था नासा ने एक स्पेसक्राफ्ट की मदद से एक एस्टेरॉयड यानी क्षुद्रग्रह को उसके रास्ते से दूसरी तरफ मोड़ दिया। नासा के लिए यह पहला मिशन था। सुनने में यह आपको भले ही किसी साइंस फिक्शन फिल्म की तरह लग रहा हो लेकिन ऐसा हुआ है। अब चीन की तरफ से भी कुछ ऐसा ही करने की तैयारी हो रही है।
क्या किया है अमेरिका ने
27 सितंबर को जारी एक रिलीज में नासा ने ऐलान किया था कि इसके डबल एस्टेरॉयड री-डायरेक्शन टेस्ट (DART) ने 11 मिलियन किलोमीटर की दूरी से अंतरिक्ष में उड़ान भरने के दस महीने बाद एस्टेरॉयड डिमोर्फोस को सफलतापूर्वक उसके रास्ते से मोड़ दिया है। इसका प्रभाव इतना है कि इसकी वजह से एस्टेरॉयड की कक्षा एक फीसदी यानी करीब 10 मिनट तक छोटी हो गई है। डिमोर्फोस वह छोटा सा पिंड है जिसका व्यास 160 मीटर है। यह डिडिमोस की परिक्रमा करता है जो एक और एक एस्टेरॉयड है जिसका व्यास 780 मीटर का है।
कैसे हुआ यह सबकुछ
वैज्ञानिकों की मानें तो कोई भी एस्टेरॉयड कभी भी धरती के लिए खतरा नहीं बनता है। डार्ट अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सिर्फ एक उपकरण का सहारा ले रहा था। यह उपकरण था डिडिमोस रीकानसन्स एंड एस्टेरॉयड कैमरा फॉर ऑप्टिकल नेविगेशन (DRACO)। इसके अलावा कई खास तरह के गाइडेंस और नेविगेशन कंट्रोल सिस्टम भी उसके पास थे जिसने डिमोर्फोस को टारगेट करने के लिए स्मॉल-बॉडी मैन्युवरिंग ऑटोनॉमस रियल-टाइम नेविगेशन (स्मार्ट एनएवी) एल्गोरिदम के साथ काम किया।
कैसे काम किया डार्ट ने
इस सिस्टम ने 570 किलोग्राम के डब्बे के आकार वाले डार्ट को 90,000 किलोमीटर तक गाइड किया। यह 22,530 प्रति घंटे की रफ्तार से डिमोर्फोस को प्रभावित कर रहा था। इसकी वजह से एस्टेरॉयड की स्पीड कम हो रही थी। इटली की अंतरिक्ष एजेंसी से एस्टेरॉयड्स की इमेजिंग के लिए लाइट इटालियन क्यूबसैट (LICIACube)।
एलआईसीआईएक्यूब ने डिमोर्फोस के साथ डार्ट के प्रभाव और निकाले गए पदार्थ के परिणामी बादल की तस्वीरों को कैप्चर किया, जिससे रिसर्चर्स को कई महत्वपूर्ण बिंदुओं का अध्ययन करने की मंजूरी मिली। आने वाले दिनों में ग्लोबल टीम कई दर्जन टेलीस्कोप्स की मदद से डार्ट के डिमोर्फोस पर होने वाले असर का अध्ययन करेगी। हालांकि इटली की एजेंसी के पास कोई बड़ा एंटेना नहीं है। ऐसे में तस्वीरों को धरती तक डाउनलिंक्ड किया जाएगा। आने वाले हफ्तों में एक-एक करके ये तस्वीरें हासिल होंगी।
क्या है डिमोर्फोस और डिडिमोस
डिमोर्फोस और डिडिमोस नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट्स (एनईओ), क्षुद्रग्रह या धूमकेतु के उदाहरण हैं जो पृथ्वी की कक्षा के कम से कम 50 लाख मिलियन किलोमीटर के भीतर हैं। यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट में कहा गया है कि संज्ञान में आने वाले 18,000 NEO में से 2,000 को संभावित खतरनाक वस्तुओं (PHO) के रूप में करार दिया गया है। PHO पृथ्वी की कक्षा से 7.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर बहुत करीब हैं और इनका आकार 140 मीटर से ज्यादा है। एक रिपोर्ट की मानें तो अंतरिक्ष में इस आकार की वस्तु ग्लोबल रिजल्ट्स के साथ ही साथ क्षेत्रीय स्तर पर तबाही का कारण बन सकती है।
क्या करने वाला है चीन
चीन की तरफ से इस साल अप्रैल में ऐलान किया गया था कि वह साल 2025 साल 2026 में डार्ट जैसा ही प्रयोग करेगा। यह उसका पहला एस्टेरॉयड ब्लास्ट टेस्ट होगा। चीन के सरकारी मीडिया ने चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (CNSA) ने अंतरिक्ष एजेंसी के मुखिया वू यानहुआ के हवाले से बताया है कि चीन जल्द ही एक नीओ डिफेंस सिस्टम स्थापित करेगा।
यह सिस्टम न सिर्फ एस्टेरॉयड्स के प्रभावों का अध्ययन करेगा बल्कि चीन की जमीन और उसके इंसानों की सुरक्षा भी करेगा। साल 2021 में चीन के व्हाइट पेपर में इसके स्पेस प्रोग्राम की जानकारी दी गई थी। इसमें कहा गया था कि चीन सक्रियता के साथ अंतरराष्ट्रीय मसलों पर होने वाली चर्चा का हिस्सा बनेगा। साथ ही वह जरूरी तंत्र विकसित करेगा जिसमें नियो मॉनिटरिंग, रेस्पॉन्स और ग्रहों की सुरक्षा शामिल होगी।