अमेरिका (US), ऑस्ट्रेलिया (Australia) और जापान (Japan) ने चीन (China) को घेरने का एक ऐसा प्लान बनाया है जिसके बाद उसकी दादागिरी पर लगाम लगाई जा सकेगी। यह तीनों क्वाड के सदस्य हैं और चीन की आक्रामकता से त्रस्त आ गए हैं। इस समय ताइवान की वजह से चीन का अमेरिका के साथ तनाव चरम पर है।
वॉशिंगटन: अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के रक्षा मंत्रियों ने चीन को घेरने का एक ऐसा प्लान तैयार किया है जो उसके होश उड़ा देगा। ये तीनों ही क्वाड के भी सदस्य हैं और हिंद महासागर से लेकर हिंद-प्रशांत तक चीन की आक्रामकता से परेशान हैं। पिछले दिनों अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के रक्षा मंत्रियों ने एक मीटिंग की है। इस मुलाकात में तीनों ही रक्षा मंत्री मिलिट्री सहयोग को बढ़ाने पर रजामंद हुए हैं। इन देशों की मानें तो अपने आसपास एक नई दुनिया तैयार करने की चीन की जो महत्वकांक्षा है, उस पर इसी तरह से लगाम लगाई जा सकेगी। अमेरिका की तरफ से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभुत्व का सामना करने के लिए राजनयिक तौर पर आक्रामकता को प्राथमिकता दी जा रही है।
चीन से परेशान देश
अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि सभी लोग चीन की बढ़ती आक्रामकता और ताइवान स्ट्रेट या क्षेत्र में किसी और हिस्से में देशों को चिढ़ाने की प्रवृत्ति से काफी चिंतित हैं। ऑस्ट्रेलिया और जापान के रक्षा मंत्री हवाई स्थित प्रशांत क्षेत्र के हेडक्वार्ट्स पर पहुंचे थे। यहां पर ऑस्टिन ने उनका स्वागत किया। ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री रिचर्ड मारल्स ने कहा, ‘हमारा हित वैश्विक नियमों पर आधारित व्यवस्था को बरकरार रखने में ही है। लेकिन हमनें उेखा है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र और दुनिया के कुछ और हिस्सों पर दबाव बढ़ रहा है।’ उनका कहना था कि चीन अपने आसपास की दुनिया को इस तरह से आकार देने की कोशिश कर रहा है जैसा हमने पहले कभी नहीं देखा।
ताइवान पर दावा करता चीन
इन तीनों ही देशों ने अगस्त में चीन की तरफ से किए गए बैलेस्टिक मिसाइल परीक्षण की भी आलोचना की है। जापान के रक्षा मंत्री यासुकाजू हमादा ने कहा कि अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया तीनों आपसी सहयोग को बढ़ाएंगे जाकि एक स्वतंत्र हिंद-प्रशांत क्षेत्र का निर्माण हो सके। अगस्त में अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान गई थीं। तब से ही चीन लगातार आक्रामक तौर पर मिलिट्री ड्रिल को अंजाम देने में लगा हुआ है। चीन, ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। वह अक्सर यहां के पानी पर भी दावा करता है जो दोनों देशों को अलग-अलग करते हैं। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग कई बार यह बात कह चुके हैं कि अगर जरूरत पड़ी तो मिलिट्री का प्रयोग करके ताइवान को चीन की सीमा में मिलाया जाएगा।
810 मिलियन डॉलर का पैकेज
गुरुवार को प्रशांत द्वीप के देशों के लिए अमेरिकी सरकार ने 810 मिलियन डॉलर का पैकेज देने का ऐलान किया गया है। यह वे देश हैं जहां पर अमेरिका अपनी राजनयिक मौजूदगी को बढ़ाने की योजना बना रहा है। अमेरिकी उप-रक्षा मंत्री कमला हैरिस पिछले हफ्ते जापान और दक्षिण कोरिया गई थीं। यहां पर उन्होंने कहा कि उनका देश बिना किसी डर और हिचकिचाहट के पूरे एशिया में काम करेगा जिसमें ताइवान भी शामिल है। कमला हैरिस ने दक्षिण और उत्तर कोरिया के बीच स्थित डी-मिलेट्राइज्ड जोन का भी दौरा किया। उनका यह दौरा यह बताता है कि अमेरिका, उत्तर कोरिया से दक्षिण कोरिया की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है।