Nepal Airlines On Chinese Planes: नेपाल चीन में बने यात्री विमानों से तंग आ गया है और अब उसे बेचने की तैयारी कर रहा है। नेपाल एयरलाइंस ने जब से इन मेड इन चाइना विमानों को खरीदा है, उसकी आर्थिक हालत बहुत खराब हो गई है। अब नेपाल एयरलाइन्स इन विमानों से पल्ला झाड़ने की तैयारी कर रही है।
काठमांडू: ओली राज में चीन के इशारे पर नाचने वाले नेपाल को ड्रैगन ने दोस्ती के नाम पर जमकर लूटा है। इसका एक बड़ा उदाहरण चीन के यात्री विमान हैं जो अब नेपाल के लिए बड़ा सिरदर्द बन गए हैं। ये चीनी विमान 8 साल पहले लिए गए थे और यह उम्मीद जताई गई थी कि नेपाल इनके जरिए पर्यटकों को हिमालय के पहाड़ों के दर्शन कराकर कमाई करेगा लेकिन यह काठमांडू के लिए ‘सफेद हाथी’ बन गए हैं। ड्रैगन से करोड़ों रुपये का कर्ज लेकर खरीदे गए चीन के इन विमानों को उड़ाने से ज्यादा उनके मरम्मत पर खर्च आ रहा है।
वहीं कर्ज का भुगतान ऊपर से करना पड़ रहा है। हालत यह हो गई कि अब नेपाल एयरलाइन्स ने अब इनसे पीछा छुड़ाने का फैसला किया है। नेपाल अखबार काठमांडू पोस्ट के मुताबिक इन चीनी विमानों से तराई इलाके के कुछ एयरपोर्ट पर इन विमानों का संचालन किया गया था। हालांकि ये विमान हवा से ज्यादा जमीन पर खड़े रहे हैं। ये प्लेन कर्ज में डूबी नेपाल एयरलाइंस के लिए अब वित्तीय संकट का सबब बन गए हैं। मेड इन चाइना विमान पिछले 2 साल से भी ज्यादा समय से खड़े हैं।
चीन ने 6.67 अरब नेपाली रुपये का कर्ज दिया
अब गत 14 सितंबर को नेपाल एयरलाइंस ने एक नोटिस जारी करके उन्हें लीज पर देने की कोशिश की है। बेकार पड़े ये 5 चीनी प्लेन काठमांडू एयरपोर्ट की पार्किंग में खड़े-खड़े धूल फांक रहे हैं। एक चीनी विमान क्रैश हो गया था और अब उड़ान भरने में सक्षम नहीं है। नेपाल एयरलाइंस की प्रवक्ता अर्चना खडका ने कहा कि इन विमानों को केवल दिया जाएगा, उनके चालक दल या ग्राउंड स्टाफ को नहीं। उन्होंने कहा कि हमने वित्त मंत्रालय के निर्देश का पालन किया है। हमारे पास दो विकल्प हैं, पहला- इन्हें लीज पर दिया जाए, दूसरा- इन विमानों को बेच दिया जाए। पहले लीज पर देने की तैयारी है, अगर इसमें सफलता नहीं मिली तो प्लेन को बेचा जाएगा।
नेपाल एयरलाइंस ने इस निविदा के लिए डेडलाइन 31 अक्टूबर तय की है। वहीं नेपाल एयरलाइंस के कई शीर्ष अधिकारियों ने कहा है कि इन विमानों को लीज पर लेने की संभावना बहुत ही कम है। इन विमानों के मरम्मत के मुद्दे के साथ-साथ उनके कलपुर्जे भी चीन से नहीं मिल रहे हैं। यही नहीं नेपाल एयरलाइंस को चीनी विमानों को उड़ाने के लिए पायलट भी नहीं मिल रहे हैं। चीन सरकार की कंपनी के साथ नेपाल ने साल 2012 में करार किया था। इसके लिए चीन ने 6.67 अरब नेपाली रुपये का कर्ज दिया था। नेपाल एयरलाइंस के मुताबिक जब से उन्होंने चीन के इन विमानों को खरीदा है, उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में वे अब नुकसान से बचने के लिए इनसे छुटकारा चाहते हैं।